क्या कांग्रेस नेता राहुल गांधी सुविधा की सियासत करते हैं? क्या राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली चाहते हैं? क्या राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर में अपनी सहयोगी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के 370 की बहाली के वादे के साथ हैं? राहुल गांधी स्टेटहुड (राज्य का दर्जा) के लिए संसद से सड़क तक संघर्ष की बात तो करते हैं, लेकिन 370 पर बोलने से वह परहेज क्यों करते हैं? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जो जम्मू-कश्मीर में दो चरण का चुनाव पूरा होने के बावजूद यक्षप्रश्न की तरह बने हुए हैं। इन सवालों का जवाब न तो कांग्रेस के पास है, न ही राहुल गांधी के पास। दूसरी ओर बीजेपी ने अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है।
370 पर साइलेंट, स्टेटहुड पर मुखर राहुल
राहुल गांधी ने 4 सितंबर को रामबन और अनंतनाग में दो रैलियों से कांग्रेस का अभियान शुरू किया था। कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार बनने पर स्टेटहुड लौटाने का वादा किया लेकिन 370 के मुद्दे पर साइलेंट रहे। 25 सितंबर को जम्मू-कश्मीर में दूसरे चरण के लिए मतदान हुआ। सुबह-सुबह राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘जम्मू-कश्मीर के मेरे भाइयों और बहनों, आज दूसरे चरण का मतदान है, बड़ी संख्या में निकल कर अपने हक़, खुशहाली और बरकत के लिए वोट करें- INDIA को वोट करें। आपसे आपका statehood छीनकर भाजपा सरकार ने आपका अपमान और आपके संवैधानिक अधिकारों से खिलवाड़ किया है। INDIA को दिया आपका एक-एक वोट भाजपा के बनाए अन्याय के इस चक्रव्यूह को तोड़ कर जम्मू-कश्मीर को खुशहाली की राह पर लाएगा।‘
जम्मू-कश्मीर के मेरे भाइयों और बहनों, आज दूसरे चरण का मतदान है, बड़ी संख्या में निकल कर अपने हक़, खुशहाली और बरकत के लिए वोट करें – INDIA को वोट करें।
आपसे आपका statehood छीन कर भाजपा सरकार ने आपका अपमान और आपके संवैधानिक अधिकारों से खिलवाड़ किया है।
INDIA को दिया आपका एक-एक…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 25, 2024
एनसी ने किया है 370 बहाली का वादा
इस ट्वीट में राहुल गांधी स्टेटहुड यानी पूर्ण राज्य के दर्जे की तो बात करते हैं, लेकिन अनुच्छेद 370 पर फिर उनकी कोई राय नहीं सामने आई। सवाल इसलिए उठता है, क्योंकि राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी ने उस एनसी के साथ गठबंधन किया है, जिसने अपने घोषणा पत्र में अनुच्छेद 370 की बहाली का वादा किया है। यह बात अलग है कि अब 370 की वापसी तो बहुत दूर, उसे छूना भी एनसी के बूते से बाहर की बात है। इसके लिए संसद से संविधान संशोधन विधेयक पारित कराना होगा। दो तिहाई बहुमत होने पर ही ऐसा संभव है। फिलहाल इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। लगातार तीसरी बार मोदी सरकार सत्ता में है और 370 इतिहास का हिस्सा ही रहेगा।
आर्टिकल-370 की दीवार गिरने के बाद जम्मू-कश्मीर जनभागीदारी से स्थायी शांति की तरफ बढ़ चला है। pic.twitter.com/ZP60mfpRUu
— Narendra Modi (@narendramodi) September 19, 2024
370 और स्टेटहुड पर राहुल से शाह का सीधा सवाल
जम्मू-कश्मीर के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार 370 को मुद्दा बनाया हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सीधे राहुल गांधी से इसको लेकर सवाल पूछे हैं। अमित शाह ने राहुल से पूछा था कि वह बताएं जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की वापसी का फैसला अच्छा था या बुरा? वहीं स्टेटहुड के मुद्दे पर भी बीजेपी ने राहुल गांधी पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है। उधमपुर की रैली में अमित शाह ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा, ‘मैं इस मंच से कहना चाहता हूं कि राहुल बाबा आपकी तीन पीढ़ियों में इतना दम नहीं कि 370 वापस ले आएं। उमर साहब कहते हैं कि कांग्रेस, NC आई तो जम्मू कश्मीर को स्टेटहुड वापस देंगे। अरे क्यों झूठ बोल रहे हो, मैंने जब धारा-370 हटाने का बिल सदन में रखा था, तभी कहा था कि चुनाव के बाद हम जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस देंगे। राहुल बाबा, आप जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा कैसे वापस दे सकते हो, आप तो विपक्ष में बैठे हो। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा भाजपा दे सकती है। अभी-अभी मोदी जी जम्मू कश्मीर आए थे और वो कह कर गए हैं कि हम जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य बना देंगे।‘
उमर साहब कहते हैं कि कांग्रेस, NC आई तो जम्मू कश्मीर को स्टेटहुड वापस देंगे। अरे क्यों झूठ बोल रहे हो… मैंने जब धारा-370 हटाने का बिल सदन में रखा था, तभी कहा था कि चुनाव के बाद हम जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस देंगे।
राहुल बाबा, आप जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा कैसे… pic.twitter.com/aU8uFEQWUL
— BJP (@BJP4India) September 26, 2024
370 पर स्टैंड न लेने की पहली वजह
आखिर राहुल गांधी और कांग्रेस का 370 पर स्टैंड क्या है? दरअसल 370 का मुद्दा जम्मू-कश्मीर के साथ ही राष्ट्रीय रूप से विवादित और सेंसेटिव मसला है। बीजेपी हमेशा इसे राष्ट्रवाद से जोड़कर कांग्रेस से सवाल करती रही है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव लगभग समापन की ओर होने के बावजूद 370 पर कुछ न बोलना कांग्रेस की एक सोची-समझी रणनीति मानी जा रही है। राहुल गांधी या कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने जैसे ही 370 पर कुछ बोला, बीजेपी को और आक्रामक होने का मौका मिल जाएगा। यही वजह है कि दिसंबर 2023 में जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने 370 हटाने के फैसले को संवैधानिक तौर पर सही ठहराया, कांग्रेस ने कहा कि इस मुद्दे पर बहस समाप्त हो गई है। राहुल गांधी 370 पर इसलिए भी बात नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इससे देश की सबसे बड़ी अदालत पर सवाल उठाने की तोहमत उनके ऊपर मढ़ी जाएगी। पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने एकराय से 370 हटाने को वैध माना। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसले में कहा था कि जम्मू-कश्मीर की देश के अन्य राज्यों से हटकर कोई विशेष संप्रभुता नहीं है। यानी जितना देश का कोई राज्य संप्रभु है, उतना ही जम्मू-कश्मीर। हमारे लोकतंत्र में संविधान की व्याख्य़ा का अधिकार न्यायपालिका के पास है और 370 पर इससे स्पष्ट व्याख्या क्या ही हो सकती है? जाहिर है राहुल गांधी के सामने 370 पर चुप रहने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है।
370 पर स्टैंड न ले पाने की दूसरी वजह
राहुल गांधी के लिए एक और मुश्किल पार्टी के अंदर भी है। अनुच्छेद 370 हटाने के मुद्दे पर पार्टी में एक राय नहीं है। ऐसे में राहुल गांधी इस पर कोई टिप्पणी करने से बच रहे हैं। अगर पार्टी के अंदर ही उनके बयान का काउंटर हुआ तो फिर कांग्रेस में कलह छिड़ जाएगी। संविधान के साथ-साथ 370 का मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। कांग्रेस कोई नया राजनीतिक विवाद पैदा करने से बचने के लिए इस पर चुप्पी साधे हुए है। 6 अगस्त 2019 को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने 370 के हटने के मुद्दे पर बैठक की थी। इसमें सीडब्ल्यूसी की दलील थी कि 1947 में जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच विलय पत्र की शर्तों में से अनुच्छेद 370 संवैधानिक मान्यता का प्रतीक थी। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से 370 का नाम लेने से भी परहेज किया जा रहा है।
370 पर स्टैंड न ले पाने की तीसरी वजह
जम्मू-कश्मीर के चुनाव में कांग्रेस को अगर बेहतर प्रदर्शन करना है, तो उसे जम्मू रीजन में अच्छी सीटें लानी होंगी। कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगता है कि 370 हटाने के खिलाफ पार्टी ने कोई बयान दिया, तो इसका असर जम्मू क्षेत्र के लोगों के सेंटीमेंट्स पर पड़ सकता है। दस साल पहले हुए चुनाव में बीजेपी को इस रीजन की 37 में से 25 सीटों पर जीत मिली थी और इसी वजह से बीजेपी ने पहली बार वहां पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी। इस बार जम्मू क्षेत्र में 6 सीटें बढ़ी हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन और परिसीमन के बाद यह पहला चुनाव है। परिसीमन से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 87 सीटें थीं। जम्मू में 37, कश्मीर में 46 और लद्दाख में चार। परिसीमन के बाद जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटें हो गई हैं। लद्दाख के अलग होने से जम्मू क्षेत्र के कठुआ, राजौरी, सांबा, डोडा, किश्तवाड़ और उधमपुर में एक-एक सीट बढ़ गई है। कांग्रेस को एनसी के साथ अलायंस के तहत 32 सीटें मिली हैं। इनमें से जम्मू क्षेत्र की 29 सीटों पर वह लड़ रही है। ऐसे में 370 पर बहस में पड़कर कांग्रेस अपनी चुनावी संभावनाओं को कमजोर नहीं करना चाहती। कांग्रेस को लगता है कि 370 की बजाए बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे दूसरे मुद्दों के जरिए चुनावी लड़ाई में उम्मीद बनी रहेगी।
स्टेटहुड पर मोदी-शाह पहले ही दे चुके भरोसा
राहुल गांधी एक बात लगातार कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के लोगों का अधिकार छीना गया है। वह बार-बार याद दिला रहे हैं कि देश के इतिहास में पहली बार किसी राज्य का स्टेटहुड छीना गया है। इसे वह संवैधानिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं। दूसरी ओर बीजेपी की तरफ से संसद में पहले ही कहा जा चुका है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा फिर से मिलेगा। कटरा की चुनावी रैली में पीएम मोदी ने इस वादे को दोहराते हुए कहा, ‘मां के इस पावन धाम से मैं आपको एक और बात के लिए फिर से आश्वस्त करता हूं। जम्मू-कश्मीर को हम फिर से राज्य बनाएंगे। हमने इसकी घोषणा संसद में ही कर दी थी।‘ ऐसे में स्टेटहुड का नैरेटिव भी कांग्रेस अपने पक्ष में करने में नाकाम रही है। चलते-चलते एक बात और। स्टेटहुड की बहाली के लिए जो भी कदम उठाया जाना है, वह केंद्र की मोदी सरकार को ही लेना है। राहुल गांधी कहते हैं कि भाजपा राज्य का दर्जा वापस नहीं करती है, तो इंडिया गठबंधन पूरी ताकत लगा देगा। सवाल इस बात का है कि क्या राहुल गांधी और उनके इंडिया गठबंधन के पास इसके लिए पर्याप्त नंबर है। संसद का संख्याबल तो एनडीए के पक्ष में है। ऐसे में राहुल गांधी कहां से जम्मू-कश्मीर का स्टेटहुड वापस दिला सकते हैं?