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मैं समन्दर हूं, फिर लौट कर आऊंगा… और 89% स्ट्राइक रेट के साथ लौटे देवेंद्र फडणवीस, फेक नैरेटिव्स को ध्वस्त करने में कामयाब रही BJP

इन पांच सालों में महाराष्ट्र ने सियासी रूप से काफी कुछ घटते हुए देखा है। तीन-तीन मुख्यमंत्री देखे, निष्ठाएं बदलते देखीं और पार्टियां बदलते भी देखीं।

Sambhrant Mishra द्वारा Sambhrant Mishra
24 November 2024
in चर्चित, राजनीति
देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र

बीजेपी ने अपना पूरा प्रचार तंत्र सिर्फ बीजेपी के लिए नहीं रखा, बल्कि इसे बीजेपी-महायुति के लिए इस्तेमाल किया (फोटो: देवेंद्र फडणवीस)

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मेरा पानी उतरते देख, किनारे घर मत बना लेना
मैं समन्दर हूं, फिर लौट कर आऊंगा….

पांच वर्ष पहले महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का कहा ये शेर, आज हर किसी की जुबान पर है और वजह शेर नहीं, स्वयं फडणवीस हैं। दिसंबर 2019 की बात है, महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद शिवसेना की वजह से बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई थी और फडणवीस को दोबारा CM पद की शपथ लेने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। लंबी खींचतान के बाद उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी (अविभाजित) के सहयोग से सरकार बनाई और बीजेपी को विपक्ष में बैठने को मजबूर होना पड़ा और उस वक्त विधानसभा में बतौर नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने अपने विचार कुछ इसी तरह व्यक्त किए थे।

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पांच वर्षों के इस अंतराल में जब बीजेपी एक बार फिर महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और शिवसेना-एनसीपी की मदद से सरकार बनाने जा रही है, तब देवेंद्र फडणवीस का वो शेर फिर से वायरल है। सियासी गलियारों में ये सवाल तैरने लगा है कि क्या देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। ये प्रश्न इसलिए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के कई नेता इसे लेकर लगातार अपनी बात रख रहे हैं और पार्टी के एक बड़े वर्ग का मानना है कि जिस तरह की स्थितियां हैं, उन्हें देखते हुए अब बीजेपी को अपना मुख्यमंत्री ही बनाना चाहिए।

दरअसल, इन पांच सालों में महाराष्ट्र ने सियासी रूप से काफी कुछ घटते हुए देखा है। तीन-तीन मुख्यमंत्री देखे, निष्ठाएं बदलते देखीं और पार्टियां बदलते भी देखीं।
महाराष्ट्र के ये पांच साल शायद राजनीति विज्ञान के छात्रों के लिए आने वर्षों में शोध का विषय बनें, जहां राजनीति के न जाने कितने दांव-पेंच आजमाए गए, संविधान विशेषज्ञों की भी कड़ी परीक्षा हुई और कम अस कम तीन बार मामला सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंचा, कुल मिलाकर कहें तो महाराष्ट्र की राजनीति बेहद कन्फ्यूजन भरी रही और ये कन्फ्यूजन लोकसभा चुनावों में भी दिखा, लेकिन विधानसभा चुनावों में मतदाता पूरी तरह स्पष्ट दिखा और उसने बिना लाग-लपेट बीजेपी और महायुति को अपना समर्थन दिया।

दरअसल 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की ज़रूरत है, जबकि एनडीए को 228 सीटों पर बढ़त है और इसमें भी 132 सीट तो बीजेपी अकेले जीतती दिख रही है। वो भी तब जब उसने सिर्फ 149 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे थे। यानी बीजेपी का न सिर्फ स्ट्राइक रेट जबरदस्त रहा बल्कि एक तरह से देखें तो वो अकेले दम बहुमत हासिल करने के काफी करीब पहुंच गई। जाहिर है, ये जीत यूँ ही हासिल नहीं हुई और ये बीजेपी की बेहतरीन रणनीति का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां ख़ुद फ़्रंट से प्रचार अभियान की कमान सँभाली, तो वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ‘लीडिंग फ्रॉम द फ्रंट’ के तौर पर प्रचार किया और कार्यकर्ताओं के बीच विश्वास जगाया कि जीतेगी महायुति ही। प्रत्याशी की घोषणा हो या प्रचार अभियान, भाजपा सबमें आगे रही। लोकसभा चुनावों के उलट इस बार बीजेपी ने नैरेटिव सेट किए और विरोधी बीजेपी की पिच पर खेलने को मजबूर रहे।

लेकिन बात सिर्फ़ भाजपा की नहीं, महायुति की थी ऐसे में सीट बँटवारे से लेकर रणनीति निर्धारण तक बीजेपी ने न सिर्फ बड़े भाई की भूमिका निभाई, बल्कि जहां ज़रूरी त्याग करना पड़ा, तो बिना प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाए वो भी किया। बीजेपी ने अपना पूरा प्रचार तंत्र सिर्फ बीजेपी के लिए नहीं रखा, बल्कि इसे बीजेपी-महायुति के लिए इस्तेमाल किया।

यही नहीं, लोकसभा चुनाव से सबक़ लेते हुए बीजेपी ने इस बार फेक नैरेटिव का भी सटीक जवाब दिया और कांग्रेस के बनाए नैरेटिव्स ध्वस्त करने में कामयाब भी रही।
अब जबकि बीजेपी अपने दम पर ही बहुमत के क़रीब आ खड़ी हुई है, तो कहा जा रहा है कि इस बार बीजेपी महाराष्ट्र में अपना सीएम बना सकती है।

दरअसल, पिछली बार के विधानसभा चुनाव (2019) में भी बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन को ही बहुमत मिला था और दोनों ने मिलकर 161 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर तनातनी होने के चलते वो गठबंधन टूट गया। शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन बैठे। हालांकि यह सरकार ज़्यादा दिनों तक नहीं चल सकी और शिवसेना को तोड़ते हुए एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ सरकार बना ली। हालाँकि तब भी सरकार बनाने के लिए बीजेपी को मुख्यमंत्री पद से समझौता करना पड़ा था और बतौर मुख्यमंत्री एक कार्यकाल पूरा करने के बावजूद देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री पद पर संतोष करना पड़ा था।

लेकिन, इस बार की स्थित अलग है और यही वजह है कि पार्टी के अंदर बीजेपी का मुख्यमंत्री बनाने की माँग चल रही है। हालाँकि सीएम कौन होगा, ये तस्वीर अभी भी स्पष्ट नहीं है और ज़ाहिर है कि बीजेपी चुनाव अभियान की ही तरह ये फ़ैसला भी मिलजुल कर करना चाहेगी।

स्रोत: Devendra Fadnavis, देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम, Maharashtra Vidhan Sabha Election Results, महायुति, Mahayuti, भाजपा, BJP
Tags: BJPDevendra FadnavisMaharashtraMahayutiVidhan Sabha Election Resultsदेवेंद्र फडणवीसभाजपामहायुतिमहाराष्ट्रविधानसभा चुनाव परिणाम
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