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Life After Death: कथित मृत्यु के बाद एयरपोर्ट पर किससे मिले थे नेताजी?; पहले ही बता दी थी प्लेन क्रैश की कहानी!

अलग-अलग शोधकर्ताओं द्वारा तमाम सबूतों के आधार पर प्लेन क्रैश की थ्योरी को खारिज किया जाता रहा है

Shiv Chaudhary द्वारा Shiv Chaudhary
22 January 2025
in इतिहास
सेल्युलर जेल से बाहर आते नेताजी (बाएं) नेताजी का आखिरी चित्र (दाएं)

सेल्युलर जेल से बाहर आते नेताजी (बाएं) नेताजी का आखिरी चित्र (दाएं)

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निधन को लेकर अब तक भी सरकारी तौर पर यही माना जाता रहा है कि उनका निधन 18 अगस्त 1945 को ताइवान के ताइपेई में एक प्लेन क्रैश में हुआ था। जापान के इस सिद्धांत को अलग-अलग शोधकर्ताओं द्वारा तमाम सबूतों के आधार पर खारिज किया जाता रहा है। मौजूदा समय में तमाम सवालों और तथ्यों के बाद इस बात को लगभग नकारा जा चुका है कि बोस का निधन विमान हादसे में हुआ था।

नेताजी का निधन विमान हादसे में ना होने को लेकर कई लोगों ने दावा किया है, कुछ लोगों ने यहां तक भी दावा किया है कि वे इस कथित विमान दुर्घटना के बाद नेताजी से मिले थे। इस खबर में हम कुछ ऐसे ही लोगों के दावों की पड़ताल करेंगे जिन्होंने नेताजी के विमान हादसे में निधन की बात को नकारा है।

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डॉक्टर कर्नल रामचंद्र राव

डॉक्टर कर्नल राम चंद्र राव लंबे समय तक नेताजी के निजी डॉक्टर रहे थे और उन्होंने दावा किया था कि नेताजी के कथित प्लेन क्रैश के दौरान वे ताइपेई में उस एयरपोर्ट पर ही मौजूद थे। जर्मनी में डॉक्टरी की शिक्षा लेने वाले कर्नल राव नेताजी के जर्मनी पहुंचने के बाद से ही उनके साथ जुड़ गए थे। 18 अगस्त 1945 को कर्नल राव साइगॉन में ही मौजूद थे और इसके बाद अंग्रेज़ों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। पहले उन्हें जिगारकाचा रखा गया और बाद में मुल्तान (मौजूदा पाकिस्तान) की जेल में भेज दिया गया। दिसंबर 1948 में रिहाई के बाद कर्नल राव 1949 की शुरुआत में भारत आए लेकिन भारत में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और  आंध्र प्रदेश और भुवनेश्वर की जेलों में कैद रखा गया था।

‘नेताजी, आज़ाद हिंद सरकार और फौज: भ्रांतियों से यथार्थ की ओर’ किताब लिखने वाले इतिहासकार प्रो. कपिल कुमार बताते हैं कि जब कर्नल राव को नेताजी के निधन की जांच के लिए बनाए गए खोसला कमीशन के सामने पेश किया गया तो उन्हें हथकड़ियां और बेडियां लगी हुई थीं। प्रोफेसर कपिल बताते हैं, “राव का (कमीशन के सामने)बयान था कि ‘नेताजी उस विमान में उड़े तो ज़रूर थे और हम सबको आदेश दे दिया गया था कि हम हवाई अड्डे से तुरंत चले जाएं। उन्होंने कहा कि मैं किसी कारणवश वहां रूक गया था और मैंने देखा कि 10-15 मिनट बाद वो विमान एक दूसरी हवाई पट्टी पर उतरा और नेताजी उसमें से नीचे उतर आए थे’।”

प्रोफेसर कपिल ने बताया, “राव ने कहा कि ‘मुझे देखते ही नेताजी बहुत गुस्सा हुए थे कि मैं वहां से गया क्यों नहीं। उसके बाद 4 दिन तक मैं नेताजी के साथ सैगोन में ही रहा और वो पनडुब्बी के रास्ते वहां से निकल गए’। इस दौरान नेताजी का बीपी बढ़ा हुआ था और कर्नल राव को इस बात का अफसोस रहा कि उनके पास उस दौरान बीपी को मापने का यंत्र तक मौजूद नहीं था।” भारत आने पर गिरफ्तार किए गए राव का कहना था कि उन्हें बिना कोर्ट में पेश किए गिरफ्तार किया गया था और ऐसे करने वाले अधिकारियों को पदोन्नतियां भी दी गईं। राव के बयान से नेताजी के प्लेन क्रैश में निधन की थ्योरी पूरी तरह झूठी साबित होती है।

समरसेन गुप्ता

समरसेन गुप्ता नेताजी के गुप्तचर विभाग के वो अधिकारी थे जिन्होंने नेताजी के संदेश को नेपाल के राजा तक पहुंचाया था। पनडुब्बी से चिल्का के निकट उतरकर ये पुरी होते हुए पटना और रक्सौल के रास्ते काठमांडू पहुंचे थे और अपना मिशन पूरा करने के बाद सिलचर और बिशनपुर होते हुए वापस बर्मा पहुंच गए थे। प्रोफेसर कपिल बताते हैं, “बैंकाक में जो अंतिम रात नेताजी ने बिताई थी, उस रात भी सेन गुप्ता उनके साथ थे। यहां पर नेताजी अपने खास सहयोगियों को पत्र लिखवा रहे थे और सेन गुप्ता ने नेताजी को जॉन एलॉयसियस थिवी के नाम पत्र में ये बोलते सुना कि ‘किसे पता कल सुबह कोई विमान दुर्घटना ना हो जाए’ तो वह (सेन गुप्ता) चौंककर उठ गए और नेताजी ने मुस्कुराकर उनसे सोने का कह दिया था।”

बैंकाक से चलते समय नेताजी ने सेन गुप्ता को आदेश दिया था कि वे भूमिगत हो जाएं और हिकारी कीकन (आज़ाद हिंद सरकार के साथ जापानी संबंधों के लिए जिम्मेदार संपर्क कार्यालय) के दफ्तर से पैसा ले लें। जब समरसेन गुप्ता इस धन को लेने के लिए जब हिकारी कीकन के दफ्तर गए तब तक हवाई दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु की घोषणा की जा चुकी थी।

प्रोफेसर कपिल बताते हैं, “पैसे तो वहां से नैय्यर लेकर चले गए थे लेकिन जब सेन गुप्ता दफ्तर से नीचे आ रहे थे तो उस कार्यालय के बाहर एक काले रंग की कार आकर रूकी और उस कार में से जो शख्स नीचे उतरा तो उसे देखकर सेन गुप्ता बिल्कुल हैरान रह गए। यह शख्स जापानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल सुनामासा शिदेई थे। जनरल शिदेई कि मृत्यु की घोषणा भी उसी विमान दुर्घटना में जापान के रेडियो द्वारा की जा चुकी था।” प्रोफेसर कपिल के मुताबिक, सेन गुप्ता ने लिखा है, “मैंने जनरल शिदेई के साथ काम किया था। उन्होंने मुझे देखा कि मैं खड़ा होकर एकटक उनकी और ही देख रहा हूं, वह धीरे से मेरे पास आए और कहा कि महामहिम (नेताजी) एक सुरक्षित स्थान पर हैं।”

ऐसे दावे और भी कई लोगों के हैं उन्होंने भी नेताजी को लेकर अलग-अलग तरह के दावे किए हैं। कर्नल हबीब-उर-रहमान से लेकर, एहसान कादिर और कर्नल डॉक्टर कासलीवाल जैसे लोग इनमें शामिल हैं, जिन्होंने नेताजी की प्लेन क्रैश थ्योरी पर सवाल उठाए हैं। कई इतिहासकार लगातार नेताजी की मृत्यु से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग करते रहे हैं, सरकार ने कुछ फाइलें सार्वजनिक की हैं लेकिन अभी भी ऐसे कई फाइलें बाकी हैं जिनके सामने आने पर उनकी मृत्यु से जुड़े कई राज़ खुल सकते हैं।

स्रोत: नेताजी, सुभाष चंद्र बोस, कर्नल राव, समरसेन गुप्ता, जापान, ताइवान, आज़ादी की लड़ाई, Netaji, Subhash Chandra Bose, Colonel Rao, Samarsen Gupta, Japan, Taiwan, freedom struggle,
Tags: Colonel RaoFreedom struggleJapanNetajiSamarsen GuptaSubhash Chandra BoseTaiwanआजादी की लड़ाईकर्नल रावजापानताइवाननेताजीसमरसेन गुप्तासुभाष चंद्र बोस
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वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव
इतिहास

वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

7 November 2025

भारत के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब एक गीत, एक पंक्ति, या एक विचार समूचे राष्ट्र की आत्मा बन जाता है। वंदे...

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