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योगी आदित्यनाथ के दृढ़ नेतृत्व में महाकुंभ की भव्यता: अमृत स्नान में श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था पर कड़ी नजर

TFI Desk द्वारा TFI Desk
3 February 2025
in चर्चित
MahaKumbh Under Yogi Adityanath's Strong Leadershi

MahaKumbh Under Yogi Adityanath's Strong Leadershi

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महाकुंभ में बसंत पंचमी के पावन अमृत स्‍नान के लिए प्रयागराज में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। इस श्रद्धा और विश्वास के संग, यहाँ हर कोने में सनातन धर्म की गहरी छाप देखने को मिलती है। कहीं कोई अव्‍यवस्‍था नहीं, कोई हड़बड़ी नहीं, हर एक गतिविधि पूरी तरह से सुव्‍यवस्थित और शांतिपूर्ण ढंग से चल रही है। मौनी अमावस्‍या के दिन हुई घटना के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद अपनी निगरानी में इस पूरे महाकुंभ की व्यवस्था संभाली है। वह 3 बजे तड़के अपने सरकारी आवास पर स्थित वॉर रूम में डीजीपी, प्रमुख सचिव गृह, मुख्यमंत्री कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों और मेलाधिकारियों से लगातार संपर्क में रहे, उचित दिशा-निर्देश देते हुए स्थिति को नियंत्रित करने में जुटे रहे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद अपनी निगरानी में इस पूरे महाकुंभ की व्यवस्था संभाली
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद अपनी निगरानी में इस पूरे महाकुंभ की व्यवस्था संभाली

योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अमृत स्नान के दौरान श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए। मौनी अमावस्या पर हुई घटना ने जो विश्वास को झकझोरा था, उसके बाद मुख्यमंत्री ने खुद की जिम्मेदारी निभाते हुए सुनिश्चित किया कि ऐसी स्थिति फिर से न आए। महाकुंभ में 30 श्रद्धालुओं की जान जाने और 50 से अधिक के घायल होने की दुखद घटना ने पूरे देश को आहत किया, और इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य नेताओं ने तत्परता से कदम उठाए। इन नेताओं के सक्रिय होने के बाद स्थिति पर काबू पाया गया और एक बड़े जनसमूह के बावजूद श्रद्धालुओं का स्नान शांति से संपन्न हुआ।

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महाकुंभ की परंपराओं में साधु-संतों का स्नान, जिसे शाही स्नान या अमृत स्नान कहा जाता है, का विशेष महत्व है। इस परंपरा को बाधित करने का खतरा महसूस हो रहा था, लेकिन अंततः यह अमृत स्नान निर्धारित समय पर हुआ, जिससे यह साबित हुआ कि योगी आदित्यनाथ की प्रबंधकीय क्षमता और प्रदेश सरकार की तत्परता ने एक बार फिर से दिखा दिया कि किसी भी संकट से उबरने में उनका अनुभव और समर्पण सर्वोत्तम है।

इस महाकुम्भ का अंतिम अमृत स्नान

अमृत स्नान में नागाओं से लेकर साधू -संन्यासियों के चेहरे और हाव-भाव तथा दूसरी ओर त्रासदी की घटना के बीच कोई तालमेल नहीं था। इसे हम आप अपने अनुसार व्याख्यायित कर सकते हैं। एक ओर महाकुंभ में स्नान करते लोग प्रफुल्लित तो दूसरी ओर जिनके अपने बिछड़े, जो घायल हुए उनको इससे शांति नहीं मिल सकती। हालांकि सनातन धर्म और विशेषकर हिंदू धर्म में मनुष्य की मृत्यु के कारण, स्थान और समय पूर्व निर्धारित माना गया है। कौन कब कहां किन कारणों से किस समय इस शरीर से अलग हो जाएगा यह बताना हमारे आपके लिए संभव नहीं है। इसीलिए कहा गया है कि मृत्यु पर शोक कैसा और जन्म पर उल्लास कैसा।

हमारी आपकी सामान्य सोच के विपरीत ऐसी प्रतिक्रियायें भी सुनी कि जिनकी मृत्यु हुई वे पुण्यात्मा थे और उनका जीवन धन्य हो गया। पर इस परिस्थिति में जीवन सत्य की ये बातें आसानी से गले नहीं उतरती। कुछ लोगों के अंदर इससे गुस्सा भी पैदा होगा, किंतु यही जीवन का सच है। हमारे साधु – संन्यासियों ,शरीर के रूप में जीवित दिव्य आत्माओं को इसका पूरा आभास है और इसीलिए अमृत स्नान के समय मनुष्य के रूप में भले व्यथा रही होगी, इससे उनके कर्मकांड , दिव्य अनुभूति और चेहरे के हाव-भाव में अंतर नहीं आया। बावजूद हम जिस काल और परिस्थिति में हैं, उसके अनुसार भी घटना की व्याख्या करनी होगी। त्रासदी हुई तो किसी न किसी पर इसकी जिम्मेवारी निश्चित होगी।

करोड़ों की संख्या में ऐसे लोग थे जिन्हें दुर्घटना हुई इसका पता भी नहीं था। लोग सामान्य तरीके से स्नान कर रहे थे। सामान्यत: जाने वालों की मानसिकता में ही कष्ट उठाने का भाव होता है। इसलिए महाकुंभ मेंमौनी अमावस्या के मौन के अलौकिक वातावरण में पुण्य लाभ के भाव से भरे थे और स्नान के साथ ही उन सबके चेहरे पर महासंतोष था। आप टीवी पर प्रतिक्रियाएं देख लीजिए, ऐसे लोग कम होंगे, जिन्होंने स्नान के बाद असंतोष की भावाभिव्यक्ति की। मुख्यमंत्री ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश के साथ मृतकों के लिए 25 लाख रुपए क्षतिपूर्ति की घोषणा की है। यह मृतक पुण्य आत्माओं के परिवारों को थोड़ी सांत्वना अवश्य देगा। घटना के निश्चित कारणों की जानकारी जांच रिपोर्ट से ही सामने आएगी। वीआईपी व्यवस्था पर प्रश्न उठाने वाले नेताओं को स्वयं के अंदर झांकना चाहिए कि क्या वे इसे छोड़ सकते हैं? वीआईपी व्यवस्था वहां बड़ी समस्या थी लेकिन यह केवल सत्ता पक्ष पर लागू नहीं होता। अखिलेश यादव जी को भी वहां वही वीआईपी व्यवहार मिला, रास्ते खाली थे और स्नान घाट के आसपास तक पूरी सुरक्षा व्यवस्था थी।

भगदड़ में VIP व्यवस्था की भूमिका कितनी

वैसे इस त्रासदी में वीआईपी व्यवस्था की भूमिका नहीं दिखती है। जैसा मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और पुलिस उपमहानिरीक्षक वैभव कृष्ण ने बताया मौनी अमावस्या के ब्रह्म मुहूर्त स्नान के लिए एकत्रित भारी जनसमूह के बीच अपरा – तफरी मची और अमृत स्नान के लिए बनी बैरिकेडिंग टूटी, भीड़ आगे आगे बड़ी और जो श्रद्धालु आगे स्नान की प्रतीक्षा में लेटे थे वे दबते चले गए। घटना इतनी भी हो तो अंदर से दिल दहल जाता है कि क्या बीती होगी उन लोगों पर, जो संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ की दृष्टि से वहां बैठे या लेटे रहे होंगे। प्रत्यक्षदर्शी यह भी बता रहे हैं कि कुछ शरारती लोग थे जो समस्याएं पैदा कर रहे थे ,उन्हीं के कृत्यों के कारण समस्याएं बढ़ीं , और अफरातफरी मची। इसकी जांच होनी चाहिए कि वो कौन थे? मोटा -मोटी अनुमान है कि 1 बजे रात के बाद संगम तट पर भीड़ का दबाव बढ़ा। लगभग 12 लाख से ज्यादा श्रद्धालु उस समय संगम तट पर थे और 3:00 बजे भोर से मौनी अमावस्या के अमृत स्नान का ब्रह्म मुहूर्त था। जिन्हें हमारे पंचांग, कर्मकांडों ,उनके मुहूर्त आदि की तात्विक जानकारी नहीं वे इसके महत्व को नहीं समझेंगे। करोड़ों लोगों का अंतर्भाव उस मुहूर्त के साथ स्नान का है तथा साधकों ने उसके दिव्य प्रभावों को प्रमाणित भी किया है।

घटना के बाद अखाड़े और अन्य आश्रमों ने पूरी तरह संयम सहयोग का प्रशंसनीय उदाहरण प्रस्तुत किया। यह सामान्य बात नहीं है कि निश्चित मुहूर्त में निर्धारित समय के अनुसार स्नान पूर्व के कर्मकांड साधन संपन्न कर चुके हो उन्हें अचानक रोकने को कहें, वे मान लें और विलंब से इस स्वरूप और भाव से स्नान के लिए जाएं। यह हमारी महान संत परंपरा की मानवीयता, संवेदनशीलता और सहनशीलता का उदाहरण है। दृश्य देखिये, एक ओर ऐसी त्रासदी और वहीं इससे परे लाखों श्रद्धालु बैरिकेड के दोनों ओर हाथ जोड़ संत महात्माओं, नागाओं के प्रति सम्मान प्रकट कर रहे थे।

स्वाभाविक रूप से पुलिस प्रशासन पर अमृत स्नान को सर्व प्रमुखता देकर संपन्न करने का दायित्व था और उस रूप में वे व्यवस्था कर रहे थे। कुछ भुक्तभोगी बता रहे हैं कि वे सोए थे और पुलिस वालों ने उन्हें जगाया कि उठो स्नान करो और जब उन्होंने कहा कि हम ब्रह्म मुहूर्त में करेंगे तो उन्होंने दबाव बनाया। संभव है ऐसा हुआ और इसके कारण भी समस्या पैदा हुई हो। जितनी बड़ी संख्या एकत्रित हुई थी उसका दबाव पुलिस प्रशासन पर बिल्कुल रहा और भोर 3 बजे से अमृत स्नान होना था, अखाड़े, साधुओं, संतों की निर्धारित सवारियां आनीं थीं , जिन्हें निर्बाध रूप से संपन्न कराना था , इसलिए संभव है कि आम लोगों को उसके पहले स्नान कराकर कुछ घाटों को खाली करने की योजना रही हो।

बार बार चेताने पर भी नहीं मानें श्रद्धालु

बताया गया है कि सुबह तक वहां करीब 6 करोड़ और थोड़ी देर बाद 8 करोड़ की संख्या प्रयागराज में पहुंच चुकी थी। यह विश्व के किसी शहर ही नहीं, अनेक देशों की आबादी से भी ज्यादा संख्या है। जानकारी यह भी आ रही है कि अमृत स्नान की दृष्टि से पांटून पूलों को बंद रखा गया था ताकि समस्या नहीं हो। लोगों के आने और जाने का एक ही रास्ता बचा था जिसके कारण समस्या पैदा हुई। सच यह है कि प्रदेश सरकार ने अपने स्तर से स्वतंत्र भारत के इतिहास की सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था की कोशिश की, दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर पुलिस और प्रशासन का उसके अनुरूप व्यवहार अनेक स्थानों पर नहीं दिखता है। निर्माण में लगे ठेकेदारों से लेकर सुपरवाइजरों तक ने भी अपने सारे कार्यों को मानक के रूप अंजाम नहीं दिया। यह सब वहां दिखाई दे रहा है। किसी भी तरह के जोखिम से बचने की दृष्टि से अतिवादी सुरक्षा व्यवस्था, जहां आवश्यकता नहीं हो उन रास्तों को भी बैरिकेड से घेर देने आदि के कारण पहले से ही पूरी प्रयागराज में ट्रैफिक जाम की भयावह समस्या थी। लाखों की संख्या में लोग संगम घाट पर पहुंचने से वंचित होते रहे। व्यावहारिकता से उनकी समीक्षा कर आवश्यकतानुसार इनमें बदलाव के लिए कोई कदम उठाने को तैयार नहीं था।

अब वाहन निषिद्ध क्षेत्र घोषित करना भी इसी तरह का अतिवादी कदम है। संगम नगरी, जहां आश्रमों और आम लोगों ने कल्पवास किया है वहां भीड़ नहीं है और गाड़ी जाने- आने में भी समस्या नहीं है। आप वाहन रोक देंगे तथा रेलवे में बसों में जगह नहीं मिलेगी तो लोग महाकुंभ आने , संगम स्नान करने से वंचित होंगे और इससे नए सिरे से परेशानियां पैदा होंगी। इस घटना से सीख लेकर ,ठीक प्रकार से समीक्षा कर व्यवस्था नहीं हुई तो दूसरे प्रकार की समस्यायें हो सकती हैं। पूरी व्यवस्था पुलिस प्रशासन के जिम्मे छोड़ने की जगह पार्टियों , संगठनों के कार्यकर्ताओं आदि की भूमिका हो। आप देखेंगे स्वयंसेवी संगठन, धार्मिक -सामाजिक -सांस्कृतिक संस्थाएं भी जबरदस्त भूमिका निभा रहीं हैं और उनसे लोगों को स्नान, पूजा, आवास, आने – जाने सबमें सहयोग मिल रहा है।

स्रोत: प्रयागराज, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ, महाकुंभ 2025, योगी, सीएम योगी, बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा, महाकुंभ भगदड़, Prayagraj, Chief Minister Yogi Adityanath, Maha Kumbh, Maha Kumbh 2025, Yogi, CM Yogi, Basant Panchami, Saraswati Puja, Maha Kumbh Stampede
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