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जब लंदन के प्रिवी काउंसिल पहुंचा था भारत का वक्फ संपत्ति विवाद; जानें क्या हैं वक्फ के मायने?

मुगल काल का भारत में अंत हो गया है लेकिन वक्फ बोर्ड उसके आधार पर मुगल आक्रांताओं की संपत्तियों को भी मुस्लिमों की बताकर उस पर दावा करता रहता है

khushbusingh1 द्वारा khushbusingh1
19 March 2025
in इतिहास, चर्चित
वक्फ अरबी भाषा के 'वकुफा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना

वक्फ अरबी भाषा के 'वकुफा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना

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भाजपा सरकार वक्फ संशोधन बिल इस सत्र में ही पेश करने जा रही है। इस बिल का मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और जमीय उलेमा-ए-हिंद (JUeH) ने मुस्लिमों से इसके विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। मुस्लिम संगठनों ने दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों के मुस्लिमों से भारी संख्या में पहुँचकर विरोध करने की अपील की थी।

हमने अपने पिछले आलेख में बताया कि विरोध प्रदर्शन के बहाने मुस्लिम संगठन एक बार फिर से CAA-NRC के विरोध के तर्ज पर शाहीन बाग जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश में लगे हैं। इसके लिए वक्फ बिल को लेकर लगातार अफवाह फैलाकर मुस्लिमों को भ्रमित किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस बिल के जरिए सरकार मुस्लिमों के मस्जिदों एवं उनकी संपत्तियों पर कब्जे की योजना बना रही है। इस तरह के अफवाह को फैलाने में नाम सिर्फ मुस्लिम संगठन, नेता एवं अन्य लोग शामिल हैं, बल्कि मुस्लिम देशों में बैठे भारत विरोधी तत्वों द्वारा इस तरह के अफवाह को सोशल मीडिया पर लगातार हवा दी जा रही है।

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जिस वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम संगठन देश में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, दरअसल वह है क्या, इसके बारे में आज हम जानेंगे। दरअसल, वक्फ बोर्ड मुस्लिमों की वक्फ की गई यानी दान की गई संपत्तियों का रख-रखाव करता है। इन संपत्तियों का इस्तेमाल वह सिर्फ और सिर्फ मुस्लिमों के काम के लिए करता है। विदेशी आक्रांता मुगल काल का भारत में अंत हो गया है, लेकिन वक्फ बोर्ड उसके आधार पर मुगल आक्रांताओं की संपत्तियों को भी मुस्लिमों की बताकर उस पर दावा करता रहता है। इतना ही नहीं, वह अन्य निजी संपत्तियों पर भी दावा करते रहता है। इस देश में ऐसे दर्जनों मामले में जहाँ, जो सार्वजनिक संपत्ति है, लेकिन वक्फ बोर्ड उन पर दावा करता है।

क्या है वक्फ का अर्थ?

वक्फ अरबी भाषा के ‘वकुफा’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना। अल्लाह के नाम पर या दीन के हित में (इस्लाम को फैलाने या अन्य उद्देश्यों के लिए) दिए गए दान को वक्फ के अंतर्गत रखा जाता है। इस्लाम में इस दान को जकात कहा जाता है। वक्फ संपत्ति में घर, जमीन, सोना-चाँदी, रुपया-पैसा, खेत-बगीचा आदि कुछ भी हो सकता है। हालाँकि, मुस्लिमों की पवित्र पुस्तक माने जने वाले कुरान में वक्फ शब्द का जिक्र है ही नहीं, लेकिन माना जाता है कि बाद में दीन के हित में शामिल किया गया।

हालाँकि, जकात का जिक्र है। जकात इस्लाम का एक महत्वपूर्ण अंग है। जकात की संपत्ति पर मुस्लिम सिर्फ ‘अल्लाह’ का हक मानते हैं। इस संपत्ति को खरीदा-बेचा नहीं जा सकता। इन संपत्तियों को सिर्फ किराए पर दी जा सकती है और वह भी अधिकतम 30 वर्षों के लिए। एक बार संपत्ति वक्फ को दे देने के बाद वह संपत्ति कभी वापस नहीं मिल सकती। यानी एक बार वक्फ तो हमेशा के लिए वक्फ। इस तरह अल्लाह की संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है। वक्फ बोर्ड उन संपत्तियों के रख-रखाव, मरम्मत से लेकर उसके सारे कानूनी काम को सँभालता है।

कैसे भारत में वक्फ को मिलनी शुरू हुईं संपत्तियां?

चूँकि, मुस्लिम आक्रांता मजहबी उन्माद और लूटपाट के इरादे से भारत पर हमला किया था। उनका उद्देश्य भारत के मूर्तिपूजकों का खात्मा और उनकी संपत्तियों को लूटना ही नहीं था, बल्कि इस्लाम के परचम को लहराना भी था। उनका शासन जब भारत में स्थापित हो गया तो सारी अचल संपत्तियाँ उनके अधिकार क्षेत्र में आ गई। इस तरह वे मुस्लिमों के प्रति ज्यादा दयालु रूख रखने लगे और मस्जिदों-दरगाहों एवं कब्रिस्तानों के लिए जमीन एवं जायदाद देने लगे। यह सब कुछ इसलिए हो रहा था कि ताकि मस्जिद-दरगाह अपना रखरखाव के साथ धर्मांतरण एवं इस्लाम के प्रभाव को विस्तार देने के लिए कर सकें। मुस्लिम शासन में इन मस्जिदों एवं दरगाहों को गाँव के गाँव दान के रूप में दे दिए गए। ये सब वहीं, जमीनें थीं तो पूर्व में हिंदुओं के थे।

जब लंदन पहुंचा वक्फ संपत्ति का मामला

मुगल के बाद जब अंग्रेजों का शासन आया। शुरू में अंग्रेजों ने हिंदुओं और मुस्लिमों, दोनों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया और अपनी ताकत बढ़ाते रहे। समय बीतने के साथ ही इन संपत्तियों पर भी उन्होंने अपने अधिकार में लेने की कोशिश की।इसके लिए सन 1890 में अंग्रेजों ने चैरिटेबल एंडॉवमेंट्स एक्ट लाया। इस कानून में चैरिटेबल संपत्तियों के लिए कोषाध्यक्षों की स्थापना की गई। इसके तहत मुस्लिमों से जुड़ा एक मामला सामने आया। सन 1894 में अब्दुल फता मोहम्मद इशाक बनाम रुसोमॉय धुर का विवाद सामने आया और इसमें एक फैसला आया।फैसले में कहा गया कि परिवार को लाभ पहुँचाना तब तक अमान्य है, जब तक कि वे दान के लिए समर्पित न हों। इसके बाद मुस्लिमों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि इस्लाम में पारिवारिक वक्फ की व्यवस्था है। उन्होंने इसे शरिया या इस्लामी कानून के अधिकार क्षेत्र का बताया। इस तरह वक्फ संपत्ति विवाद का विषय बन गया। मुस्लिमों की ताकत को देखते हुए उस समय अंग्रेज भी सीधा अधिकार करने के बजाय इसे कानून के दिखावा के जरिए कब्जे में लेना चाहते थे।

आखिरकार वक्फ संपत्ति को लेकर मुस्लिमों और अंग्रेजों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि मामला लंदन के प्रिवी काउंसिल में जा पहुँचा। प्रिवी कॉन्सिल में चार जजों की बेंच ने इस पर सुनवाई की और वक्फ को अवैध बता दिया। हालाँकि, इस भारत में हंगामें को देखते हुए ब्रिटिश भारत की सरकार ने बीच का रास्ता निकाला। उसने मुस्लिम वक्फ वैलिडेंटिंग एक्ट 1913 पारित। किया। इस कानून के तहत मुस्लिमों के वक्फ बोर्ड को मान्यता दे दी गई। इस तरह पहली बार मुस्लिमों के वक्फ बोर्ड का कानूनी अस्तित्व सामने आया।

इसके बाद सन 1920 में चैरिटेबल एवं धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम लाया गया। इसके तहत धार्मिक ट्रस्टों की न्यायिक निगरानी की अनुमति दी गई। इस तरह नियंत्रण कठोर कर दिया गया। आगे चलकर सन 1923 में मुस्लिम वक्फ अधिनियम लाया गया। इसमें वक्फ संपत्तियों का लेखा-जोखा रखना अनिवार्य कर दिया गया। आगे चलकर साल 1934 में बंगाल वक्फ अधिनियम और बिहार वक्फ अधिनियम जैसे संशोधन पेश किए गए। इन कानूनों के जरिए अंग्रेजों ने मुस्लिमों के लिए अलग व्यवस्था की, जो धर्मनिरपेक्ष कानूनों से पूरी तरह अलग थे। यह मुस्लिमों को साधने की अंग्रेजों की एक रणनीति थी, लेकिन यह रणनीति कारगर साबित नहीं हुई। आगे चलकर देश आजाद हुआ और वक्फ बोर्ड एक स्थायी पहचान बन गया, जो इस्लामी काल में हिंदुओं की संपत्तियों को लूटकर मुस्लिमों को दिया गया और मुस्लिमों ने उसे अपने धर्म से जोड़कर अपना बता दिया।

आगे के लेख में हम बताएँगे कि आज़ादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने देश के बँटवारे के बावजूद मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए इस कानून को जिंदा रखा। नेहरू सरकार ने ना सिर्फ उस कानून को जिंदा रखा, बल्कि उसे मजबूत किया और आगे चलकर उन्हीं की कांग्रेस के वारिसों ने इस वक्फ बोर्ड को एक ताकतवर बना दिया कि वह भस्मासुर बन गया। हम बताएँगे कि वक्फ कानून में कब-कब और क्या-क्या संशोधन हुए, जिसके कारण वह नीत नई सरकारी संपत्तियों पर अपना दावा ठोक रहा है और सुप्रीम कोर्ट जैसा सर्वोच्च संस्थान चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है। आखिरकार इस वक्फ बोर्ड को इतनी ताकत किसने और क्यों दी, इसका भी जिक्र करेंगे। हम यह बताएँगे कि वक्फ के पास इस समय कितनी संपत्तियाँ हैं।

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