सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?

    ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?

    संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़ संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़

    संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़

    कमल सखी मंच के तत्वावधान में 19 अगस्त को कांस्टीट्यूशन क्लब में सुंदरकांड पाठ

    कमल सखी मंच के तत्वावधान में 19 अगस्त को कांस्टीट्यूशन क्लब में सुंदरकांड पाठ

    तिरंगे से छेड़छाड़? कांग्रेस पर भगवा रंग हटाने का आरोप, तुष्टिकरण की राजनीति गरमाई

    तिरंगा से छेड़छाड़? कांग्रेस पर भगवा रंग हटाने का आरोप, तुष्टिकरण की राजनीति गरमाई

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत किसानों के हितों से नहीं करेगा कोई समझौता।

    किसानों के लिए दीवार की तरह खड़े हैं मोदी, पीएम ने ट्रंप को दिया भारत का कड़ा संदेश

    गलवान से लेकर व्यापार की मेज़ तक: 5 साल बाद भारत-चीन की सीधी बातचीत

    गलवान से लेकर व्यापार की मेज़ तक: 5 साल बाद भारत-चीन की सीधी बातचीत

    ट्रंप का पाकिस्तान तेल सौदा और बलूच विद्रोहियों पर अमेरिकी आतंकवाद का ठप्पा

    ट्रंप की पाकिस्तान से तेल डील और बलूच विद्रोही ‘आतंकी’, क्या संसाधन युद्ध की है तैयारी?

    बचत खाते के लिए 50 हज़ार रुपये का मिनिमम बैलेंस- क्या ICICI चाहता है सिर्फ अमीर ही खाता खुलवाएं ?

    बचत खाते के लिए 50 हज़ार रुपये का मिनिमम बैलेंस- क्या ICICI चाहता है सिर्फ अमीर ही खाता खुलवाएं ?

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    1962 में नेहरू की गलतियों की कीमत भारत को चुकानी पड़ी, मोदी के ऑपरेशन सिंदूर ने बहाल किया राष्ट्रीय सम्मान

    1962 में नेहरू की गलतियों की कीमत भारत को चुकानी पड़ी, मोदी के ऑपरेशन सिंदूर ने बहाल किया राष्ट्रीय सम्मान

    114 राफेल जेट के लिए भारत-फ्रांस में सीधे सौदे की तैयारी, ग्लोबल टेंडर को किया दरकिनार

    114 राफेल जेट के लिए भारत-फ्रांस में सीधे सौदे की तैयारी: रिपोर्ट

    भारत की मिसाइल ताकत का प्रदर्शन, 4,795 किमी नो-फ्लाई ज़ोन के साथ बड़ा परीक्षण जल्द

    भारत की मिसाइल ताकत का प्रदर्शन, 4,795 किमी नो-फ्लाई ज़ोन के साथ बड़ा परीक्षण जल्द

    बांग्लादेशी घुसपैठ है देश की बड़ी समस्या।

    कोई अपना देश दूसरों के हवाले नहीं कर सकता, जानें पीएम मोदी ने क्यों कही ये बात

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?

    ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?

    पाकिस्तान की कंगाली से ध्यान भटकाने की कोशिश: नक़वी ने मुनीर का ‘मर्सिडीज़’ वाला मज़ाक दुहराया

    पाकिस्तान की कंगाली से ध्यान भटकाने की कोशिश: नक़वी ने मुनीर का ‘मर्सिडीज़’ वाला मज़ाक दुहराया

    सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

    सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

    स्वतंत्रता दिवस पर अंटार्कटिका में भारतीय व्यक्ति ने तिरंगा फहराया

    गर्व: स्वतंत्रता दिवस पर अंटार्कटिका में भारतीय व्यक्ति ने तिरंगा फहराया

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    सिन्ध में संघ कार्य के प्रणेता राजपाल पुरी, आज भी याद करते हैं पाकिस्तान से आए हिन्दू

    सिन्ध में संघ कार्य के प्रणेता राजपाल पुरी, आज भी याद करते हैं पाकिस्तान से आए हिन्दू

    संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़ संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़

    संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़

    TOI का दोहरा मापदंड: एक ओर तुष्टिकरण, दूसरी ओर हिंदू संस्कृति पर चोट

    TOI का दोहरा मापदंड: एक ओर तुष्टिकरण, दूसरी ओर हिंदू संस्कृति पर चोट

    सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

    सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    ₹18,541 करोड़ का बंपर पैकेज: 4 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट, लखनऊ मेट्रो विस्तार को हरी झंडी

    ₹18,541 करोड़ का बंपर पैकेज: 4 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट, लखनऊ मेट्रो विस्तार को हरी झंडी

    स्मृति ईरानी की टीवी पर शानदार वापसी, रुपाली गांगुली और हिना खान को पछाड़ बनीं हाईएस्ट पेड टीवी स्टार

    स्मृति ईरानी की टीवी पर शानदार वापसी, रुपाली गांगुली और हिना खान को पछाड़ बनीं हाईएस्ट पेड टीवी स्टार

    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?

    ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?

    संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़ संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़

    संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़

    कमल सखी मंच के तत्वावधान में 19 अगस्त को कांस्टीट्यूशन क्लब में सुंदरकांड पाठ

    कमल सखी मंच के तत्वावधान में 19 अगस्त को कांस्टीट्यूशन क्लब में सुंदरकांड पाठ

    तिरंगे से छेड़छाड़? कांग्रेस पर भगवा रंग हटाने का आरोप, तुष्टिकरण की राजनीति गरमाई

    तिरंगा से छेड़छाड़? कांग्रेस पर भगवा रंग हटाने का आरोप, तुष्टिकरण की राजनीति गरमाई

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत किसानों के हितों से नहीं करेगा कोई समझौता।

    किसानों के लिए दीवार की तरह खड़े हैं मोदी, पीएम ने ट्रंप को दिया भारत का कड़ा संदेश

    गलवान से लेकर व्यापार की मेज़ तक: 5 साल बाद भारत-चीन की सीधी बातचीत

    गलवान से लेकर व्यापार की मेज़ तक: 5 साल बाद भारत-चीन की सीधी बातचीत

    ट्रंप का पाकिस्तान तेल सौदा और बलूच विद्रोहियों पर अमेरिकी आतंकवाद का ठप्पा

    ट्रंप की पाकिस्तान से तेल डील और बलूच विद्रोही ‘आतंकी’, क्या संसाधन युद्ध की है तैयारी?

    बचत खाते के लिए 50 हज़ार रुपये का मिनिमम बैलेंस- क्या ICICI चाहता है सिर्फ अमीर ही खाता खुलवाएं ?

    बचत खाते के लिए 50 हज़ार रुपये का मिनिमम बैलेंस- क्या ICICI चाहता है सिर्फ अमीर ही खाता खुलवाएं ?

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    1962 में नेहरू की गलतियों की कीमत भारत को चुकानी पड़ी, मोदी के ऑपरेशन सिंदूर ने बहाल किया राष्ट्रीय सम्मान

    1962 में नेहरू की गलतियों की कीमत भारत को चुकानी पड़ी, मोदी के ऑपरेशन सिंदूर ने बहाल किया राष्ट्रीय सम्मान

    114 राफेल जेट के लिए भारत-फ्रांस में सीधे सौदे की तैयारी, ग्लोबल टेंडर को किया दरकिनार

    114 राफेल जेट के लिए भारत-फ्रांस में सीधे सौदे की तैयारी: रिपोर्ट

    भारत की मिसाइल ताकत का प्रदर्शन, 4,795 किमी नो-फ्लाई ज़ोन के साथ बड़ा परीक्षण जल्द

    भारत की मिसाइल ताकत का प्रदर्शन, 4,795 किमी नो-फ्लाई ज़ोन के साथ बड़ा परीक्षण जल्द

    बांग्लादेशी घुसपैठ है देश की बड़ी समस्या।

    कोई अपना देश दूसरों के हवाले नहीं कर सकता, जानें पीएम मोदी ने क्यों कही ये बात

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?

    ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?

    पाकिस्तान की कंगाली से ध्यान भटकाने की कोशिश: नक़वी ने मुनीर का ‘मर्सिडीज़’ वाला मज़ाक दुहराया

    पाकिस्तान की कंगाली से ध्यान भटकाने की कोशिश: नक़वी ने मुनीर का ‘मर्सिडीज़’ वाला मज़ाक दुहराया

    सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

    सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

    स्वतंत्रता दिवस पर अंटार्कटिका में भारतीय व्यक्ति ने तिरंगा फहराया

    गर्व: स्वतंत्रता दिवस पर अंटार्कटिका में भारतीय व्यक्ति ने तिरंगा फहराया

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    सिन्ध में संघ कार्य के प्रणेता राजपाल पुरी, आज भी याद करते हैं पाकिस्तान से आए हिन्दू

    सिन्ध में संघ कार्य के प्रणेता राजपाल पुरी, आज भी याद करते हैं पाकिस्तान से आए हिन्दू

    संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़ संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़

    संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़

    TOI का दोहरा मापदंड: एक ओर तुष्टिकरण, दूसरी ओर हिंदू संस्कृति पर चोट

    TOI का दोहरा मापदंड: एक ओर तुष्टिकरण, दूसरी ओर हिंदू संस्कृति पर चोट

    सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

    सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    ₹18,541 करोड़ का बंपर पैकेज: 4 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट, लखनऊ मेट्रो विस्तार को हरी झंडी

    ₹18,541 करोड़ का बंपर पैकेज: 4 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट, लखनऊ मेट्रो विस्तार को हरी झंडी

    स्मृति ईरानी की टीवी पर शानदार वापसी, रुपाली गांगुली और हिना खान को पछाड़ बनीं हाईएस्ट पेड टीवी स्टार

    स्मृति ईरानी की टीवी पर शानदार वापसी, रुपाली गांगुली और हिना खान को पछाड़ बनीं हाईएस्ट पेड टीवी स्टार

    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

बहुतों को यह भी याद नहीं है कि जब इस संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे तो यह संसद से परामर्श लेने की भी जरूरत नहीं समझी गई।

Vibhuti Ranjan द्वारा Vibhuti Ranjan
18 August 2025
in इतिहास, चर्चित, ज्ञान, भारत, भू-राजनीति, राजनीति, विश्व
सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

सिंधु जल संधि के कारण पानी से वंचित रहे भारत के किसान।

Share on FacebookShare on X

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए 1960 की सिंधु जल संधि को “अन्यायपूर्ण और एकतरफ़ा” बताया। उनके शब्दों ने जवाहरलाल नेहरू के समय से चली आ रही बहस को फिर से हवा दे दी, जब संसद भी इस समझौते के ख़िलाफ़ थी। उस समय राजनीतिक हलकों में एक प्रमुख राय यह थी कि भारत ने बहुत ज़्यादा त्याग किया है, जिसकी कीमत उसके किसानों और आने वाली पीढ़ियों को चुकानी पड़ रही है।

संबंधितपोस्ट

सिन्ध में संघ कार्य के प्रणेता राजपाल पुरी, आज भी याद करते हैं पाकिस्तान से आए हिन्दू

ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?

पाकिस्तान की कंगाली से ध्यान भटकाने की कोशिश: नक़वी ने मुनीर का ‘मर्सिडीज़’ वाला मज़ाक दुहराया

और लोड करें

संसद से भी नहीं लिया गया परामर्श

बहुतों को यह याद नहीं है कि जब इस संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, तो यह संसद से परामर्श किए बिना किया गया था और जब तक सांसदों ने इस पर बहस की, तब तक समझौते की पुष्टि हो चुकी थी। सिंधु जल समझौता नेहरू के करियर में उनकी सबसे तीखी आलोचना के कारणों में से एक बन गया, जिसकी आलोचना न केवल अटल बिहारी वाजपेयी जैसे विपक्षी नेताओं ने की, बल्कि कांग्रेस के भीतर से भी हुई। सिंधु जल संधि की कहानी सिर्फ़ पानी के बारे में नहीं है। यह इस बारे में है कि कैसे एक राष्ट्र के नेतृत्व ने राष्ट्रीय हित की बजाय तुष्टिकरण को चुना और कैसे इस विकल्प ने छह दशकों से भी ज़्यादा समय तक भारत के विकास और सुरक्षा पर ग्रहण लगा दिया।

संधि: नेहरू ने क्या त्याग दिया

सिंधु जल संधि पर 19 सितंबर, 1960 को कराची में नेहरू और पाकिस्तान के सैन्य शासक, राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विश्व बैंक गारंटर के रूप में कार्यरत था। इस समझौते के तहत तीन पूर्वी नदियों रावी, व्यास और सतलुज का पानी भारत को आवंटित किया गया था। तीन पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम और चिनाब पाकिस्तान को दी गईं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह थी कि उस समय विदेशी मुद्रा संकट से जूझने के बावजूद भारत को प्रतिस्थापन कार्यों के लिए पाकिस्तान को ₹83 करोड़ स्टर्लिंग पाउंड का भुगतान करना पड़ा।

इसका प्रभावी अर्थ यह था कि भारत के पास सिंधु बेसिन के कुल जल का केवल लगभग 20% ही नियंत्रण रह गया, जबकि पाकिस्तान को लगभग 80% का बड़ा हिस्सा मिल गया। नेहरू ने इस समझौते की सराहना सहयोग की एक मिसाल के रूप में की, लेकिन विभिन्न दलों के सांसदों ने इसे “बेचना”, “दूसरा विभाजन” और “भारतीय किसानों के साथ घोर अन्याय” बताया। आलोचना केवल पानी को लेकर नहीं थी। यह इस सिद्धांत को लेकर भी थी कि भारत इतना महत्वपूर्ण संसाधन एक शत्रुतापूर्ण पड़ोसी को क्यों दे रहा है। खासकर संसद से परामर्श किए बिना या इसे जम्मू-कश्मीर के व्यापक मुद्दे से जोड़े बिना?

नेहरू बनाम संसद: “दूसरा विभाजन”

30 नवंबर, 1960 को लोकसभा में सिंधु जल संधि पर बहस हुई। दस सदस्यों ने इसके खिलाफ प्रस्ताव पेश किए। केवल दो घंटे का समय दिया गया था, लेकिन इतने कम समय में किए गए हस्तक्षेपों से असंतोष की सीमा का पता चलता है। कांग्रेस के सांसद भी इस पर तीखे थे। हरीश चंद्र माथुर ने चेतावनी दी कि इस संधि का मतलब राजस्थान को सालाना 70-80 करोड़ रुपये का स्थायी नुकसान होगा और इसे “अपने ही लोगों की कीमत पर अति-उदारता” का कार्य बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री पर 1948 से ही पाकिस्तान के सामने कदम दर कदम समर्पण करने और जल समझौते को कश्मीर से जोड़ने में विफल रहने का आरोप लगाया।

कांग्रेस के एक अन्य दिग्गज नेता अशोक मेहता ने इस संधि की तुलना “दूसरे विभाजन” से की और चेतावनी दी कि इसने 1947 के ज़ख्मों को फिर से ताज़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि एक निष्पक्ष समझौता हासिल करने के बजाय भारत को वास्तव में पहले के प्रस्तावों से भी बदतर शर्तें मिली हैं, और इसे एक ऐसी भूल बताया जो आने वाली पीढ़ियों को परेशान करेगी।

एसी गुहा ने क्या कहा था जानें

बंगाल के एसी गुहा ने इस भयावह असंतुलन की ओर इशारा किया: भारत के पास सिंधु बेसिन में 2.6 करोड़ एकड़ ज़मीन थी, लेकिन उसमें से केवल 19% ही सिंचित थी, जबकि पाकिस्तान के 3.9 करोड़ एकड़ में 50% से ज़्यादा सिंचाई होती थी। उन्होंने वित्तीय शर्तों की भी आलोचना की। पाकिस्तान को 400 करोड़ रुपये से ज़्यादा का अनुदान मिला, जबकि भारत कर्ज़ों के बोझ तले दबा हुआ था। उन्होंने पाकिस्तान को 83 करोड़ रुपये का भुगतान “मूर्खता की पराकाष्ठा” बताया, ऐसे समय में जब भारत ख़ुद संघर्ष कर रहा था।

ये सिर्फ़ विपक्ष की आवाज़ें नहीं थीं। ये नेहरू की अपनी पार्टी के भीतर से भी उठ रही थीं, जो इस बात पर गहरी बेचैनी ज़ाहिर कर रही थीं कि प्रधानमंत्री ने संसद की अवहेलना करके भारत के हितों से समझौता कैसे किया।

वाजपेयी की चेतावनी: “यह संधि ग़लत है”

इस समझौते के सबसे कड़े आलोचकों में युवा अटल बिहारी वाजपेयी भी थे, जो उस समय 30 के आसपास थे। स्पष्टता और दृढ़ता के साथ बोलते हुए, वाजपेयी ने सदन को याद दिलाया कि सरकार ने पहले घोषणा की थी कि वह 1962 तक पाकिस्तान को पानी देना बंद कर देगी। अब, वही सरकार स्थायी अधिकार दे रही है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “या तो वह घोषणा गलत थी, या यह संधि गलत है।”

वाजपेयी ने अयूब खान का हवाला दिया, जिन्होंने दावा किया था कि भारत ने नदियों पर संयुक्त नियंत्रण स्वीकार कर लिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की रियायतें पाकिस्तान को और मज़बूत करेंगी और भारत की संप्रभुता को कमज़ोर करेंगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि वाजपेयी ने इस समझौते से जुड़ी गोपनीयता की भी आलोचना की और कहा कि संसद को जानबूझकर तब तक अंधेरे में रखा गया जब तक कि यह एक निश्चित निष्कर्ष पर नहीं पहुंच गया।

उनका निष्कर्ष तीखा था: “यह संधि भारत के हित में नहीं है। इससे पाकिस्तान के साथ स्थायी मित्रता नहीं बनेगी।” उनके ये शब्द भविष्यसूचक साबित हुए। सद्भावना पैदा करने के बजाय पाकिस्तान ने अपनी शत्रुता जारी रखी। भारत के खिलाफ आतंकवाद और युद्धों को प्रायोजित किया, जबकि उसे सिंधु नदी प्रणाली से पानी की गारंटी वाली एक संधि का लाभ मिल रहा था।

नेहरू का बचाव: एकाकी रुख

जब नेहरू जवाब देने के लिए उठे, तो वे थके हुए और रक्षात्मक लग रहे थे। उन्होंने विभाजन से तुलना को “निरर्थक भाषा” कहकर खारिज कर दिया, यहां तक कि आलोचना का मज़ाक उड़ाते हुए पूछा, “किस चीज़ का विभाजन? एक बाल्टी पानी का?”

उन्होंने तर्क दिया कि अंतर्राष्ट्रीय संधियों को निरंतर संसदीय परामर्श के माध्यम से नहीं चलाया जा सकता और पाकिस्तान को भुगतान को “शांति ख़रीदने” के रूप में उचित ठहराया। उनके अनुसार, संधि को अस्वीकार करने से पश्चिमी पंजाब और व्यापक उपमहाद्वीप में अस्थिरता फैल जाती। लेकिन उनका तर्क लोगों को राज़ी नहीं कर सका। इसके तुरंत बाद, वे एक अतिथि गणमान्य व्यक्ति से मिलने के लिए सदन से चले गए और अपने पीछे एक असंतुष्ट सदन और यह बढ़ती धारणा छोड़ गए कि भारत के साथ धोखा हुआ है।

विरासत और मोदी का सुधार

दशकों तक सिंधु जल संधि (IWT) अछूती रही, जबकि पाकिस्तान छद्म युद्धों और सीमा पार आतंकवाद के ज़रिए भारत को नुकसान पहुंचाता रहा। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर के किसान पानी की कमी से जूझते रहे, जबकि पाकिस्तान भारत की रियायतों का फ़ायदा उठाता रहा।

1960 में की गई आलोचना वास्तव में कभी खत्म नहीं हुई। बाद के वर्षों में, खासकर जब पाकिस्तान ने अपनी शत्रुता बढ़ा दी, तो इसने नई प्रतिध्वनि पाई। अंततः, 2025 में, पहलगाम आतंकी हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संधि को स्थगित करने का फैसला किया। उनकी सरकार ने संकेत दिया है कि भारत अब अपने संसाधनों को ऐसे पड़ोसी के हाथों में नहीं जाने देगा जो खुलेआम आतंकवाद का समर्थन करता है। लाल किले से मोदी के ये शब्द कि यह संधि अन्यायपूर्ण है और इससे भारत के किसानों को भारी नुकसान होगा, वाजपेयी और अन्य नेताओं की चेतावनियों की प्रतिध्वनि थे, जिन्होंने छह दशक पहले नेहरू के इस समझौते का विरोध किया था।

इतिहास से सीख

सिंधु जल संधि इस बात का एक ज्वलंत उदाहरण है कि कैसे नेतृत्व के फैसले पीढ़ियों तक किसी राष्ट्र के भाग्य को आकार दे सकते हैं। एक राजनेता के रूप में पहचाने जाने की नेहरू की उत्सुकता ने उन्हें संसद की मंजूरी के बिना महत्वपूर्ण संसाधनों को सौंपने के लिए प्रेरित किया और तब से भारत को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। उनके आलोचकों वाजपेयी, अशोक मेहता, गुहा और कई अन्य लोगों ने इसके खतरों को स्पष्ट रूप से देखा था।

प्रधानमंत्री मोदी का इस संधि पर पुनर्विचार करने का निर्णय केवल पानी के बारे में नहीं है। यह एक ऐतिहासिक भूल को सुधारने, भारत की संप्रभुता की पुष्टि करने और यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि राष्ट्रीय हित कभी भी गलत आदर्शवाद की बलि न चढ़े। 1960 में भारत को एक ऐसे समझौते को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा जिसे कई लोगों ने “दूसरा विभाजन” कहा था। 2025 में, मोदी के नेतृत्व में, भारत ने उस विरासत को खत्म करना शुरू कर दिया है, जो तुष्टिकरण से नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और ताकत से प्रेरित है।

Tags: Atal Bihari VajpayeeIndiaIndus Water TreatyNarendra ModiPakistanPandit jawaharlal nehruअटल बिहारी वाजपेयीनरेंद्र मोदीपंडित जवाहर लाल नेहरूपाकिस्तानभारतसिंधु जल संधि
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

“घुसपैठिये ग़रीब हैं, बाहर मत निकालो”- कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का बयान

अगली पोस्ट

भारत ने पाकिस्तान के किराना हिल्स में अमेरिकी परमाणु भंडार पर हमला किया: पूर्व राजदूत दीपक वोहरा का बड़ा दावा

संबंधित पोस्ट

सिन्ध में संघ कार्य के प्रणेता राजपाल पुरी, आज भी याद करते हैं पाकिस्तान से आए हिन्दू
इतिहास

सिन्ध में संघ कार्य के प्रणेता राजपाल पुरी, आज भी याद करते हैं पाकिस्तान से आए हिन्दू

18 August 2025

18 अगस्त/जन्म-दिवस पर विशेष श्री राजपाल पुरी का जन्म 18 अगस्त, 1919 को स्यालकोट (वर्तमान पाकिस्तान) में एक वकील श्री बिशम्भर नाथ एवं श्रीमती बिन्द्रा...

ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?
AMERIKA

ट्रंप से मुलाक़ात के बाद अहम कूटनीतिक पहल, जानें मोदी-पुतिन बातचीत में क्या था खास?

18 August 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन से कहा कि यूक्रेन...

संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़ संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़
ज्ञान

संसद में शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा, विपक्षी हंगामे पर राजनाथ सिंह नाराज़

18 August 2025

सोमवार को संसद के मानसून सत्र का 18वां दिन था. इस दौरान सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया।...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

After 35 Years : Kashmiri Pandits Finally Getting Justice

After 35 Years : Kashmiri Pandits Finally Getting Justice

00:05:59

Hidden Heroes of India’s Freedom: How Temples Silently Fought for Independence

00:06:30

Why do Journalists like Ravish kumar Keep Speaking Pakistan’s Script all the time | Op Sindoor

00:05:55

why are Punjabi pop icons yo yo honey Singh, karan aujla abusing indian culture?

00:04:17

'We’ll Start from the East’: Asim Munir’s Threat – Who’s Arming Pakistan?

00:06:14
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited