वर्ष 2021 में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अगस्त को ‘विभाजन की विभीषका स्मृति दिवस’ (Partition Horrors Remembrance Day) के रूप में मनाने का आह्वान किया था। 14 अगस्त 1947 को इस्लाम के कारण भारत के टुकड़े किये गए थे। देश का यह विभाजन हिन्दुओं की मांग नहीं थी, बल्कि मुस्लिमों की मांग थी। और यह विभाजन चुपचाप शांतिपूर्ण ढंग से नहीं हुआ था। भारत विभाजन के समय इस्लामवादियों के कुकृत्यों के किस्से हम आये दिन सुनते रहते हैं। 14 अगस्त को ‘अखंड भारत संकल्प दिवस‘ के रूप में भी मनाया जाता है। आजकल तिरंगा यात्राएँ अथवा रैलियाँ भी निकल रही हैं और ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत घर घर तिरंगा भी फहराया जा रहा है।
15 अगस्त 1947 से पहले 15 दिन देश में क्या हुआ था यह सटीक जानकारी लेने के लिए सुप्रसिद्ध लेखक प्रशांत पोल की पुस्तक ‘वे पंद्रह दिन’ जरूर पढ़ना चाहिए। ये वो दिन हैं जब देश को स्वतंत्रता दिलाने की बात करने वाली कांग्रेस के नेता पहले ही अपना बोरिया बिस्तर बांधकर दिल्ली भाग गए थे। विभाजन की विभीषका के समय केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके स्वयंसेवक अंतिम क्षण तक डटे रहे थे। कांग्रेस के लोग चाहे जितना मर्जी मुँह चला लें, लेकिन ये सत्य है कि भारत विभाजन के समय केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मैदान में डटा हुआ था। प्रमाण के लिए ए. एन. बाली ली पुस्तक ‘नाउ इट कैन बी टोल्ड‘ पढ़नी चाहिए।
भारत का विभाजन मुस्लिम लीग और जिन्ना की कट्टरपंथी सोच और उद्देश्य का परिणाम था। जिसके आगे कांग्रेस, गाँधी, नेहरू सभी ने घुटने टेके थे। भारत विभाजन की विभीषिका पर बहुत कुछ लिखा और बोला गया है और लिखा तथा बोला जा सकता है। लेकिन मेरा यह आलेख भविष्य में फिर से ‘दूसरा विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस’ न मनाना पड़े इस ओर संकेत करने पर आधारित है। आईये कुछ बिन्दुओं पर नजर डालें:
- आये देश में पाकिस्तानी झंडा फहराया जाता है, वह किस बात का संकेत है?
- 14 अगस्त 1947 का भारत विभाजन एक मोहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग के कारण हुआ था। लेकिन क्या आज के भारत में इस बात को नकारा जा सकता है कि आज हजारों जिन्ना इस देश में पैदा हो चुके हैं? क्या इस बात को नकारा जा सकता है कि सैंकड़ों मुस्लिम लीग इस देश में पनप चुके हैं?
- क्या देश ने कट्टर इस्लामिक गिरोह पीएफआई का विजन 2047 का दस्तावेज़ कुछ समय पहले नहीं देखा है?
- इतिहास पर दृष्टि डालेंगे तो पता चलेगा सन 1923 में कांग्रेस के काकीनाडा अधिवेशन में गांधी की उपस्थिति में मुस्लिमों के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने ‘वन्दे मातरम’ गायन का विरोध किया था। अब प्रश्न उठता है क्या आज वन्दे मातरम गीत का विरोध मुस्लिम नेताओं और लोगों द्वारा नहीं किया जाता?
- वैसे तो भारत विभाजन के बीज बहुत पहले ही रोपित किये गए थे। फिर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की नींव रखने वाले सर सैयद अहमद खान के विचार कौन भूल सकता है? उन सबके के लिए भारत विभाजन कराने वाला जिन्ना ही सब कुछ था। क्या ये सच नहीं है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आज भी जिन्ना की तस्वीर टंगी हुई है?
- क्या देश इस बात को नकार सकता है कि पकिस्तान यदि गलती से भारत को खेलों में पराजित कर दे तो भारत देश में पटाखे नहीं फोड़े जाते? क्या पाकिस्तान का झंडा भारत में फहराना और पाकिस्तान के लिए ख़ुशी मनाना भारत विभाजन कराने वाली मुस्लिम लीग की सोच नहीं है?
- क्या इस बात को देश नकार सकता है कि टुकड़े टुकड़े गैंग और ताली बजाकर आज़ादी लेने वाली गैंग इस देश में फल फूल रही है?
- क्या इस देश का बुद्धिजीवी इस बात पर विचार करेगा कि देश का माहौल लगभग 1930 जैसा हो गया है? क्या ये सच नहीं है कि जहाँ भी मुस्लिम आबादी बढ़ी है या पहले से ज्यादा है उन क्षेत्रों को ‘संवेदनशील’ (सेंसिटिव) कहा जाता है?
- क्या देश इस बात को नकार सकता है कि हिन्दू बहुल क्षेत्रों में जहाँ कुछ पुलिस वाले चुनाव बिना किसी बबाल के सफल करा देते हैं, वहीं मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में बड़ी संख्या में फ़ोर्स लगानी पड़ती है?
- क्या देश इस बात को नकार सकता है कि शुक्रवार का दिन कई जगहों पर ‘पत्थरबाजी दिवस’ बन चुका है? और पत्थर किस पर बरसाये जाते हैं? किसके घर, व्यवसाय लूटे जाते हैं? वो मंदिर किसके है जिनमें तोड़ फोड़ की जाती है?
- देश के समक्ष बहुत सारी बाह्य चुनौतियां है लेकिन उतनी ही आंतरिक चुनौतियां भी है। क्या देश इस बात को नकार सकता है कि भारतीय सेना के पूर्व सेना अध्यक्ष ने कहा था कि भारत को ‘ढाई मोर्चों’ पर युद्ध लड़ना होगा? दो मोर्चे तो समझ आते हैं लेकिन आधा मोर्चा कौन सा है? क्या देश इस बात को नकार सकता है कि मुस्लिम मोहल्लों या मस्जिद के सामने से हिन्दुओं का जुलुस निकलने पर पत्थरबाजी होती है?
- हर घर तिरंगा अभियान के तहत जहां हर तरफ तिरंगा फहराया जा रहा है वहीं ‘अशोक चक्र’ की जगह इस्लामिक चिन्ह लगे तिरंगे के वीडियो भी वायरल होते हैं। क्या इस तरह की घटनाओं को एक नए भारत विभाजन की तैयारी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए?
- क्या देश इस बात को नकार सकता है कि आये दिन देश में हथियारों के बड़े बड़े जखीरे पकड़े जाते हैं और अपराधी इस्लामवादी होते हैं? आखिर इतने सारे हथियार इकट्ठे किये क्यों जा रहे हैं? बंगाल में तो हर तीसरे दिन किसी न किसी के घर में बम फूटने के समाचार सुनने को मिलते हैं। क्या ये सब कहीं पुराने जिन्ना के ‘डायरेक्ट एक्शन’ के लिए आधुनिक जिन्नाओं की तैयारी तो नहीं हैं?
- क्या भारत देश और हिन्दू समाज इस बात को नकार सकता है कि विभाजन की विभीषिका के समय मारे गए उन अभागे हिन्दुओं की लाशों पर, हमारे माता- बहनों की करुण चीख पुकारों पर, उन अभागे हिन्दू शिशुओं की वीभत्स अकाल हत्याओं पर और उस समय के हमारे नेताओं की हठधर्मिता पर और तुष्टीकरण की राजनीतिक नपुंसकता पर हमारी स्वतंत्रता खड़ी हैं?
- क्या देश इस बात से इनकार कर सकता है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में हिन्दुओं के घरों पर ‘यह घर बिकाऊ है’ ऐसे पोस्टर वायरल होते हैं?
- ऐसे में क्या फिर से भारत का विभाजन नहीं हो सकता, इस बात को नकारने का देश के पास कोई तर्क है?
‘विभाजन की विभीषिका दिवस’ मनाने का अर्थ जो मुझे समझ आता है वह यह है कि देश और खासकर हिन्दू समाज उस भयानक दृश्य को याद करे जो 14 अगस्त 1947 को घटित हुआ था। देश और हिन्दू समाज याद करे, “विभाजन की उस असहनीय पीड़ा को, देश और हिन्दू समाज याद करे उन लगभग डेढ करोड़ से ज्यादा भारतीयों को जिन्होंने इस पीड़ा को झेला था। देश और हिन्दू समाज याद करे उन लगभग लाखों हिन्दुओं को जो इस विभाजन के कारण असमय और अकारण मारे गए थे और जिनकी आत्मायें आज तक बिना श्राद्ध तर्पण के भटक रही हैं। देश और हिन्दू समाज याद करें उन लाखों माता–बहनों को जिनकी गरिमा के साथ खिलवाड़ हुआ था। देश और हिन्दू समाज याद करे उन लाखों हिन्दुओं को जिनके घर – बार, आशियाने उजाड़ दिए गए थे, जिनको सब छोड़कर भागना पड़ा था।
ऐसे अनेक विकराल प्रश्न आज देश के सामने खड़े हैं जिनका उत्तर बिजली की गति से ढूँढना होगा। नहीं तो भारत में ऐसे भी क्षेत्र है जहाँ पुलिस और प्रशासन भी जाने की हिम्मत नहीं करता और इस बात को भी देश नकार नहीं सकता। भविष्य में भारत का विभाजन फिर से न हो यह संकल्प लेने और सतर्क रखकर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के लिए काम करने का संकल्प लेने का दिवस है ’14 अगस्त’ अर्थात ‘विभाजन की विभीषिका दिवस’ अर्थात् ‘अखंड भारत संकल्प दिवस’।