भारत ने हाल ही में रेल-आधारित मोबाइल प्लेटफॉर्म से अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल 2,000 किलोमीटर तक के लक्ष्यों पर सटीक हमले करने में सक्षम है और इसके परीक्षण ने यह साबित कर दिया कि देश की सामरिक क्षमताएं लगातार विकसित हो रही हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और सामरिक बल कमान (SFC) के संयुक्त प्रयासों से यह सफलता मिली है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया और कहा कि अब भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास रेल नेटवर्क से मिसाइल प्रक्षेपण की क्षमता है।
हालांकि, इस परीक्षण के तुरंत बाद चर्चा शुरू हो गई कि अग्नि-प्राइम की तुलना भारत की लंबी दूरी की मिसाइल अग्नि-5 से की जा रही है। दोनों ही मिसाइलें अग्नि परिवार की सदस्य हैं, लेकिन उनका उद्देश्य, रणनीति और दुश्मनों के लिए खतरा अलग है।
अग्नि-प्राइम: त्वरित, मोबाइल और अप्रत्याशित
अग्नि-प्राइम मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 2,000 किलोमीटर है। इसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चिंग क्षमता है। यह मिसाइल सामान्य परिस्थितियों में रेल नेटवर्क के भीतर छिपी रह सकती है और जरूरत पड़ने पर अचानक किसी भी लक्ष्य की ओर प्रक्षेपित की जा सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, रेल-लॉन्चिंग की यह क्षमता दुश्मन के लिए यह मिसाइल पहले से पहचानना और नष्ट करना कठिन बनाती है। ट्रेन टनल में छिपाकर या अलग-अलग लोकेशनों पर रखी जा सकती है, जिससे मिसाइल का सर्वाइवेबिलिटी स्तर काफी बढ़ जाता है। यह तात्कालिक कार्रवाई और क्षेत्रीय युद्ध परिदृश्य में अप्रत्याशित हमले के लिए इसे बेहद खतरनाक बनाती है।
अग्नि-प्राइम की विशेषताएं इसे क्षेत्रीय रक्षा रणनीति में महत्वपूर्ण बनाती हैं। इसका त्वरित तैनाती समय, गति और छुपाने-निकालने की क्षमता इसे एक ऑपरेशन-लेवल खतरा बनाती है। यह मिसाइल भारत के लिए एक अतिरिक्त सुरक्षा परत प्रदान करती है, जिससे दुश्मन के लिए क्षेत्रीय हमले की योजना बनाना कठिन हो जाता है।
अग्नि-5: लंबी दूरी और सामरिक विनाश की शक्ति
अग्नि-5 भारत की सबसे लंबी दूरी वाली मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर से अधिक है और यह तीन चरणों वाली ठोस ईंधन वाली मिसाइल है। इसे कैनिस्टर से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे इसे तेजी से तैनात किया जा सकता है।
सबसे खास बात इसकी MIRV (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल) क्षमता है। इसका मतलब है कि अग्नि-5 एक बार लॉन्च होकर एक से अधिक वारहेड अलग-अलग लक्ष्यों पर भेज सकती है। इस क्षमता ने भारत को रणनीतिक स्तर पर अद्वितीय निवारक शक्ति दी है। अग्नि-5 लंबी दूरी और बहु-लक्ष्य क्षमता के कारण, दुश्मनों के लिए सामरिक और राष्ट्रीय स्तर पर सबसे खतरनाक मिसाइल मानी जाती है।
अग्नि-5 की ताकत सिर्फ दूर के लक्ष्यों तक पहुंचने में ही नहीं है, बल्कि यह मिसाइल-रक्षा प्रणालियों को चुनौती देने और कई क्षेत्रों में एक साथ विनाश करने की क्षमता रखती है। इसे रणनीतिक निवारक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और यह भारत की परमाणु संतुलन नीति का अहम हिस्सा है।
दोनों मिसाइलों का सामरिक महत्व
अग्नि-प्राइम और अग्नि-5 एक-दूसरे के पूरक हैं। अग्नि-प्राइम त्वरित, गतिशील और क्षेत्रीय कवरेज सुनिश्चित करता है, जबकि अग्नि-5 लंबी दूरी की सामरिक शक्ति प्रदान करता है। दोनों मिलकर भारत की बहु-स्तरीय निवारक रणनीति को मजबूत करते हैं।
अग्नि-प्राइम: क्षेत्रीय सुरक्षा, तात्कालिक और अप्रत्याशित हमलों के लिए। दुश्मन के लिए ऑपरेशन-लेवल खतरा।
अग्नि-5: लंबी दूरी, बहु-लक्ष्य और रणनीतिक निवारक। दुश्मन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खतरा।
रेल-आधारित अग्नि-प्राइम के परीक्षण ने यह साबित किया कि भारत न केवल तकनीकी रूप से सक्षम है, बल्कि अपनी मिसाइलों को तेजी से और अप्रत्याशित रूप से तैनात करने में भी सक्षम है। वहीं अग्नि-5 की MIRV क्षमता और लंबी दूरी इसे वैश्विक स्तर पर सबसे शक्तिशाली मिसाइलों में से एक बनाती है।
दुश्मनों के लिए कौन ज्यादा खतरनाक?
यह तय करना इस बात पर निर्भर करता है कि खतरे की परिभाषा क्या है।
रणनीतिक विनाश (Long-range destruction): अग्नि-5 सबसे खतरनाक, क्योंकि यह दूरस्थ बड़े लक्ष्यों पर कई वारहेड भेज सकती है और मिसाइल-रक्षा प्रणालियों को चुनौती देती है।
क्षेत्रीय और अप्रत्याशित हमला (Operational threat): अग्नि-प्राइम सबसे खतरनाक, क्योंकि इसका रेल-आधारित प्लेटफॉर्म इसे छुपाकर रखने और अचानक प्रक्षेपित करने की क्षमता देता है।
मतलब, Agni-5 रणनीतिक दृष्टि से अधिक ताकतवर है, जबकि Agni-Prime ऑपरेशनल स्तर पर अधिक खतरनाक है। दोनों मिलकर भारत की बहु-स्तरीय रक्षा रणनीति का आधार बनते हैं।
भारत की अग्नि मिसाइल क्षमताएं अब एक नई दिशा में बढ़ रही हैं। रेल-लॉन्च अग्नि-प्राइम और लंबी दूरी की MIRV-युक्त अग्नि-5 दोनों ही अलग-अलग स्तर पर दुश्मनों के लिए गंभीर खतरा हैं। अग्नि-प्राइम से क्षेत्रीय सुरक्षा और अप्रत्याशित हमले की क्षमता बढ़ती है, जबकि अग्नि-5 से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामरिक संतुलन मजबूत होता है।
इन दोनों मिसाइलों का संयुक्त अस्तित्व भारत की बहु-स्तरीय निवारक रणनीति को और प्रभावी बनाता है। क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिए Agni-Prime ज़रूरी है और वैश्विक रणनीतिक संतुलन के लिए Agni-5। इस तरह, दोनों मिसाइलें एक-दूसरे की कमजोरियों को पूरा करती हैं और भारत की सुरक्षा क्षमता को कई गुना बढ़ा देती हैं।