चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन के दूसरे ही दिन भारत को बड़ी जीत मिली है, इस समिट में जो घोषणा पत्र साझा किया गया उसमें चीन और तुर्की समेत सभी SCO सदस्य देशों द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई। साथ ही कहा गया कि अपराधियों को सज़ा मिलनी ही चाहिए। यह एक ऐसा हमला था जिसने सिर्फ भारत को ही नही बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था, और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी निंदा हो रही है तो यह भारत की जीत की तरफ एक बड़ा कदम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ़ कहा कि आतंकवाद पर किसी भी तरह का डबल स्टैंडर्ड बर्दाश्त नहीं होगा।
यह बयान अप्रैल 22 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद आया, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई। भारत के लिए यह हमला पाकिस्तान से लगातार फैल रहे आतंकवाद की याद दिलाने वाला था।
मोदी का साफ़ संदेश
अपने 11 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ कहा कि आतंकवाद केवल भारत की परेशानी नहीं बल्कि पूरी दुनिया और मानवता के लिए खतरा है। उनका कहना था कि आतंकवाद पर किसी भी तरह का दोहरा रवैया स्वीकार नहीं किया जा सकता। पहलगाम हमला हर उस देश और व्यक्ति के लिए सीधी चुनौती है जो इंसानियत में भरोसा रखता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम सब मिलकर आतंकवाद को हर रूप और रंग में ख़ारिज करें, यही हमारी मानवता के प्रति जिम्मेदारी है।
यह संदेश शहबाज़ शरीफ़ के लिए खुली बेइज्जती था और शी जिनपिंग के लिए सच्चाई का सामना करने जैसा। मोदी ने साफ़ कर दिया कि अगर चीन वाकई भारत के साथ साझेदारी चाहता है तो उसे पाकिस्तान जैसे आतंक को पनाह देने वाले देश को हथियारों की सप्लाई बंद करनी होगी।
चीन की मुश्किल: ड्रैगन साँप को नहीं खिला सकता
शी जिनपिंग ने अपने भाषण में कहा था कि एशिया की शांति और तरक्की के लिए ड्रैगन और हाथी को साथ चलना चाहिए। लेकिन मोदी का इशारा साफ़ था, अगर चीन सच में भारत के साथ चलना चाहता है, तो उसे पाकिस्तान जैसे “साँप” को पालना बंद करना होगा।
आज चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है। पाकिस्तान के 80% से ज़्यादा हथियार चीन से आते हैं। 2021 में पाकिस्तान ने चीन से 1.5 अरब डॉलर का सौदा किया, जिसमें J-10CE लड़ाकू विमान और PL-15E मिसाइलें शामिल थीं। चीन इसे सिर्फ़ “व्यापार” कहता है, लेकिन असलियत यह है कि वह आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश को ताक़त दे रहा है।
तियानजिन बैठक में चीन ने एक तरफ़ पाकिस्तान को हथियार दिए और दूसरी तरफ़ पहलगाम हमले की निंदा की, जिससे उसकी छवि पर सवाल उठे। मोदी ने साफ़ कर दिया कि अगर चीन को भारत का साथी बनना है, तो उसे पाकिस्तान को हथियार सप्लाई बंद करनी होगी।
भारत न तो झुकेगा, न समझौता करेगा और न ही पाखंड स्वीकार करेगा। जैसा मोदी ने कहा “आतंकवाद से लड़ना कोई दान नहीं, बल्कि हमारी मानवता के प्रति जिम्मेदारी है।”
SCO में भारत का विज़न: सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर
प्रधानमंत्री मोदी ने SCO के लिए भारत की सोच तीन हिस्सों में समझाई
- S – Security (सुरक्षा): जब तक कुछ देश आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरपंथ को बढ़ावा देते रहेंगे, तब तक शांति और विकास संभव नहीं है।
- C – Connectivity (कनेक्टिविटी): एशिया को जोड़ने का सही तरीका असली आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्ते बनाना है, न कि ऐसे प्रोजेक्ट जो देशों की संप्रभुता की अनदेखी करें या आतंकवाद को पैसा पहुँचाएँ।
- O – Opportunity (अवसर): भारत SCO में एक सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभा रहा है और मध्य एशिया, रूस, चीन और ग्लोबल साउथ को जोड़ने वाला सेतु बनना चाहता है।