केरल में ओणम का त्योहार शुरू होते ही पूरा राज्य रंग-बिरंगे पुखलम, भव्य नाव दौड़ और पारंपरिक ओणसद्या भोज से सज जाता है। लेकिन यह त्योहार केवल फसल कटाई का उत्सव नहीं है। यह भगवान विष्णु के वामन अवतार और धर्मप्रिय राजा महाबली के पुनरागमन की स्मृति है।
महाबली ने कर लिया था स्वर्ग पर अधिकार
भगवदपुराण के अनुसार, महाबली ने तप और यज्ञ के बल पर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। देवमाता अदिति की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और महाबली से तीन पग भूमि मांगी। वचनबद्ध महाबली ने दान दे दिया। तब वामन विराट रूप में फैल गए – एक पग में पृथ्वी, दूसरे में स्वर्ग नापा और तीसरे पग के लिए महाबली ने अपना सिर झुका दिया। भगवान ने उन्हें सुतल लोक भेजा, लेकिन यह वरदान दिया कि वे हर वर्ष अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी पर आएंगे। इसी पावन अवसर को ओणम के रूप में मनाया जाता है।
इतिहास भी इस कथा की पुष्टि करता है। 9वीं शताब्दी के चेरा शिलालेखों में ओणम पर अन्नदान का उल्लेख मिलता है। औपनिवेशिक काल के मलाबार मैनुअल और ईस्ट इंडिया कंपनी के दस्तावेज़ भी ओणम को भगवान विष्णु और महाबली की स्मृति का पर्व बताते हैं।
हिन्दू चेतना को जड़ों से काटने की साजिश
इसके बावजूद, वामपंथी और तथाकथित सेकुलर समूह ओणम को मात्र “फसल उत्सव” के रूप में प्रस्तुत करने पर जोर दे रहे हैं। सोशल मीडिया, पाठ्यपुस्तकों और सरकारी अभियानों में भगवान वामन और विष्णु का उल्लेख तक हटा दिया जाता है। जानकार मानते हैं कि यह प्रयास हिन्दू चेतना को कमजोर करने और आने वाली पीढ़ियों को धर्मिक जड़ों से काटने की कोशिश है।
फिर भी, हिन्दू समाज हर साल इस दिन भगवान वामन और महाबली का स्मरण करता है। घर-घर पुखलम सजाए जाते हैं, पारंपरिक ओणसद्या तैयार की जाती है और नाव दौड़, पुलिकली नृत्य जैसे आयोजन होते हैं। यह परंपरा इस बात का प्रमाण है कि सनातन स्मृति को मिटाना आसान नहीं है।
ओणम को उसके असली स्वरूप में मनाने की जरूरत
विशेषज्ञ मानते हैं कि 2025 और आगे भी ओणम को उसके असली स्वरूप में मनाना आवश्यक है। परिवारों को चाहिए कि इस अवसर पर वामन पूजा करें, बच्चों को महाबली-वामन की कथा सुनाएँ और सोशल मीडिया पर ओणम के धर्मिक महत्व को प्रचारित करें।
ओणम केवल सांस्कृतिक शो नहीं, बल्कि वामन-जयंती है – धर्म, विनम्रता और सनातन गौरव का उत्सव। इसे उसकी वास्तविक पहचान के साथ मनाना ही हमारी सभ्यता की रक्षा का सच्चा मार्ग है।