पंजाब इन दिनों बाढ़ से कराह रहा है। खेत-खलिहान पानी में डूबे पड़े हैं। लाखों एकड़ फसलें चौपट हो चुकी हैं। किसान दिन-रात बस एक ही बात कह रहे हैं – “हमारे नुकसान की भरपाई कब होगी?” लेकिन उन्हें फौरन राहत मिलने की राह आसान नहीं है, क्योंकि राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) लागू ही नहीं है।
कांग्रेस और AAP सरकार की हठधर्मिता से आयी ऐसी नौबत
पंजाब में पहले कांग्रेस और फिर आम आदमी पार्टी की सरकार ने PMFBY को लागू करने से मना कर दिया। दावा किया गया कि वे अपनी “पंजाब मॉडल” फसल बीमा योजना लाएंगे। लेकिन दो साल से ज्यादा गुजर गए, कोई योजना आई ही नहीं।
गांव रायकोट के किसान गुरमेल सिंह गुस्से में कहते हैं: “सरकारें वादे करके चली जाती हैं। हमारी फसल डूब गई, अब हम बैंक का कर्ज कैसे चुकाएं? अगर बीमा होता तो कुछ तो मिल जाता।”
केंद्र का रुख साफ – मदद को तैयार
केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि वह पंजाब के किसानों की मदद के लिए तैयार है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि “पंजाब को चालू वित्तीय वर्ष में 1,100 करोड़ रुपये SDRF फंड आवंटित किया गया है। राज्य सरकार चाहे तो इसी फंड से तुरंत राहत दे सकती है। अगर नुकसान ज्यादा है तो NDRF से अतिरिक्त सहायता भी दी जाएगी।”
केंद्र सरकार का कहना है कि जैसे ही पंजाब सरकार नुकसान का सही आंकलन और राहत का प्रस्ताव भेजेगी, अतिरिक्त मुआवजा जारी करने में देरी नहीं होगी।
आंदोलनकारी नेता खामोश
दिल्ली बॉर्डर पर महीनों तक आंदोलन चलाने वाले किसान नेता इस बार कहीं नजर नहीं आ रहे।
मोगा के युवा किसान सुखविंदर सिंह कहते हैं कि “राकेश टिकैत साहब तब आए थे जब दिल्ली में आंदोलन करना था। आज हमारा सबकुछ डूब गया, लेकिन न कोई नेता आता है, न कोई बड़ा धरना होता है। लगता है किसानों का दर्द सिर्फ राजनीति के लिए इस्तेमाल होता है।”
विपक्ष का हमला
विपक्षी दल राज्य सरकार पर निशाना साध रहे हैं। बीजेपी नेता तरुण चुघ का कहना है: “केंद्र सरकार किसानों के साथ खड़ी है। SDRF और NDRF दोनों से फंड तैयार है। लेकिन राज्य सरकार को पहले डाटा और प्रस्ताव भेजना चाहिए। सिर्फ बयानबाज़ी से किसानों की जेब नहीं भरने वाली।”
प्रशासन का बचाव
पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “हम नुकसान का आकलन कर रहे हैं। रिपोर्ट अगले हफ्ते तक केंद्र को भेज दी जाएगी। उसके बाद मुआवजे की प्रक्रिया तेज होगी।” लेकिन किसानों का कहना है कि राहत की यह रफ्तार बहुत धीमी है।
किसानों के लिए सबक
कृषि विशेषज्ञ डॉ. हरप्रीत सिंह का कहना है: “इस संकट से सबक लेना जरूरी है। किसानों को सिर्फ आंदोलन नहीं, बल्कि ठोस बीमा और आपदा सुरक्षा योजनाओं की मांग करनी चाहिए। नहीं तो हर साल यही कहानी दोहराई जाएगी।”
केंद्र सरकार की ओर से फंड और सहायता तैयार है। अब बारी पंजाब सरकार की है कि वह आंकलन रिपोर्ट और प्रस्ताव भेजकर राहत की प्रक्रिया शुरू करे। किसान इस उम्मीद में बैठे हैं कि इस बार उन्हें सिर्फ आश्वासन नहीं, बल्कि वास्तविक मुआवजा मिलेगा। लेकिन, प्रश्न यह है कि राज्य सरकार तैयार हो तब न, जब तक वह अपनी मांग सरकार के पास रखेगी नहीं, तो मुआवजा मिलने का प्रश्न ही नहीं उठता है।