केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT), हैदराबाद पीठ ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस के महानिदेशक (DG) की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। अधिकरण ने पाया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के बीच वरिष्ठता और पद–स्तर में स्पष्ट अंतर होने के बावजूद अपने चयन को उचित ठहराने में विफल रहा।
29 दिसंबर को दिए गए आदेश में ट्रिब्यूनल ने 25 नवंबर 2024 के उस कार्यालय आदेश को निरस्त कर दिया, जिसके तहत डॉ. जयतीर्थ आर. जोशी को DG (ब्रह्मोस) नियुक्त किया गया था। साथ ही, अधिकरण ने प्राधिकरणों को निर्देश दिया कि वे चार सप्ताह के भीतर विशिष्ट वैज्ञानिक (Distinguished Scientist) डॉ. शिवसुब्रमणियम नाम्बी नायडू की दावेदारी पर पुनर्विचार करें।
डॉ. नायडू, जो DRDO के सेंटर फॉर एडवांस्ड सिस्टम्स के प्रमुख हैं, ने इस नियुक्ति को चुनौती देते हुए तर्क दिया था कि वे डॉ. जोशी से वरिष्ठ हैं, उच्च वैज्ञानिक पद पर कार्यरत हैं और एक कठोर सहकर्मी–समीक्षा प्रक्रिया के बाद पे लेवल-16 में विशिष्ट वैज्ञानिक के रूप में पदोन्नत किए गए हैं। इसके विपरीत, डॉ. जोशी एक आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट थे और पे लेवल-15 में थे, तथा उस ग्रेड में उन्हें लगभग एक वर्ष का ही अनुभव था।
दोनों अधिकारियों ने विज्ञापन संख्या 03/2024 के तहत इस पद के लिए आवेदन किया था। चयन समिति ने उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया, 22 अक्टूबर 2024 को इंटरैक्शन किए और तीन नामों का एक पैनल सक्षम प्राधिकारी को भेजा। CAT ने नोट किया कि आवेदक, चयनित अधिकारी और एक अन्य उम्मीदवार—तीनों को समान अंक दिए गए थे, लेकिन पैनल को वर्णानुक्रम (alphabetical order) में भेजा गया, बिना किसी प्राथमिकता क्रम या तुलनात्मक मूल्यांकन को दर्ज किए।
ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि यद्यपि रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और DRDO के अध्यक्ष को सेवा नियमों के तहत पैनल से किसी एक उम्मीदवार को चुनने का अधिकार है, लेकिन इस विवेकाधिकार का प्रयोग तर्कसंगत और पारदर्शी आधार पर किया जाना चाहिए। निर्णय में कहा गया कि विवेकाधिकार का अर्थ यह नहीं है कि वरिष्ठता, अनुभव और वैज्ञानिक प्रतिष्ठा जैसे प्रासंगिक सेवा कारकों को बिना कारण दर्ज किए नजरअंदाज कर दिया जाए।
DRDO के आंतरिक अभिलेखों का हवाला देते हुए CAT ने रेखांकित किया कि ‘विशिष्ट वैज्ञानिक’ का पद बहुत सीमित मामलों में दिया जाता है और सामान्यतः महानिदेशक के पद पर इसी स्तर के अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं। अधिकरण ने यह भी नोट किया कि डॉ. नायडू 2017 से साइंटिस्ट ‘H’ के रूप में कार्यरत थे और 2024 में उन्हें विशिष्ट वैज्ञानिक पद पर पदोन्नति मिली, जबकि डॉ. जोशी को 2023 में ही साइंटिस्ट ‘H’ बनाया गया था। इस पृष्ठभूमि में, ट्रिब्यूनल को कनिष्ठ अधिकारी को प्राथमिकता देने का कोई औचित्य नहीं मिला।
आदेश में यह भी कहा गया कि स्वीकृति फाइल में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि अंक कैसे आवंटित किए गए या समान अंकों के बावजूद डॉ. जोशी को “सबसे उपयुक्त” क्यों माना गया। CAT के अनुसार, कारण दर्ज न होने से यह निर्णय मनमाना हो जाता है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।
अधिकरण ने नियुक्ति को रद्द करते हुए DRDO को निर्देश दिया कि वह डॉ. नायडू की दावेदारी पर नए सिरे से विचार करे। अंतिम निर्णय होने तक संगठन को अंतरिम ‘इन–चार्ज’ व्यवस्था करने को कहा गया है, जिसमें उस अधिकारी को शामिल नहीं किया जाएगा जिसकी नियुक्ति रद्द की गई है।

































