1977 में संयुक्त राष्ट्र में अटल बिहारी वाजपेयी का हिंदी में दिया गया भाषण केवल एक संबोधन नहीं था—यह भारत की संप्रभु पहचान की घोषणा थी। हिंदी में बोलकर उन्होंने भारतीय कूटनीति को औपनिवेशिक छाया से मुक्त किया।
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑटो-दा-फे” नामक सार्वजनिक हत्याओं के आयोजन किए जाते थे

    गोवा इन्क्विज़िशन: पुर्तगाली शासन में हिंदुओं पर हुआ अमानवीय अत्याचार

    अटल बिहारी वाजपेयी

    संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की गूंज: अटल बिहारी वाजपेयी का ऐतिहासिक संबोधन

    वे चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने

    मदन मोहन मालवीय: BHU की नींव रखने वाले ‘महामना’, जिन्होंने निजाम की जूती को कर दिया था नीलाम

    भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति को कथित तौर पर ध्वस्त किए जाने की घटना पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी

    कंबोडिया में भगवान विष्णु की मूर्ति तोड़े जाने पर भारत का कड़ा विरोध, थाईलैंड–कंबोडिया से शांति और संवाद की अपील

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या

    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या, पार्टनर अब्दुल गफूर फरार

    ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    पेंटागन की रिपोर्ट: 2027 तक ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    रूस की पुतिन सरकार ने भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है

    पुतिन सरकार की बड़ी सौगात: भारतीय छात्रों को बिना प्रवेश परीक्षा रूसी विश्वविद्यालयों में मिलेगा दाखिला

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    बौद्धिक योद्धा डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त: इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑटो-दा-फे” नामक सार्वजनिक हत्याओं के आयोजन किए जाते थे

    गोवा इन्क्विज़िशन: पुर्तगाली शासन में हिंदुओं पर हुआ अमानवीय अत्याचार

    अटल बिहारी वाजपेयी

    संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की गूंज: अटल बिहारी वाजपेयी का ऐतिहासिक संबोधन

    वे चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने

    मदन मोहन मालवीय: BHU की नींव रखने वाले ‘महामना’, जिन्होंने निजाम की जूती को कर दिया था नीलाम

    भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति को कथित तौर पर ध्वस्त किए जाने की घटना पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी

    कंबोडिया में भगवान विष्णु की मूर्ति तोड़े जाने पर भारत का कड़ा विरोध, थाईलैंड–कंबोडिया से शांति और संवाद की अपील

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या

    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या, पार्टनर अब्दुल गफूर फरार

    ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    पेंटागन की रिपोर्ट: 2027 तक ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    रूस की पुतिन सरकार ने भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है

    पुतिन सरकार की बड़ी सौगात: भारतीय छात्रों को बिना प्रवेश परीक्षा रूसी विश्वविद्यालयों में मिलेगा दाखिला

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    बौद्धिक योद्धा डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त: इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की गूंज: अटल बिहारी वाजपेयी का ऐतिहासिक संबोधन

अटल बिहारी वाजपेयी की वाणी को हमेशा उस क्षण के रूप में याद किया जाएगा, जब भारत ने विश्व मंच पर अपनी बात अपनी ही आवाज़ में कहना शुरू किया।

Kashish Mishra द्वारा Kashish Mishra
25 December 2025
in भारत, राजनीति
अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी

Share on FacebookShare on X

इसी दिन भारत के प्रमुख नेताओं में से एक, अटल बिहारी वाजपेयी ने इतिहास रचा था, जब उन्होंने पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को हिंदी में संबोधित किया। 1977 में, मोरारजी देसाई सरकार में भारत के विदेश मंत्री के रूप में, अटल बिहारी वाजपेयी संयुक्त राष्ट्र के मंच पर पहुँचे और कूटनीति की पारंपरिक भाषा अंग्रेज़ी में नहीं, बल्कि भारत के हृदय की भाषा हिंदी में अपना वक्तव्य दिया।

अपने शांत किंतु प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ दिए गए इस संबोधन ने भारत की कूटनीतिक पहचान में एक निर्णायक मोड़ ला दिया। पहली बार विश्व ने वैश्विक शासन के मंच पर हिंदी की गूंज सुनी—जो भारत के सभ्यतागत आत्मविश्वास, लोकतांत्रिक पुनर्जागरण और भाषाई स्वाभिमान का प्रतीक बनी। उस दिन अटल बिहारी वाजपेयी की वाणी को हमेशा उस क्षण के रूप में याद किया जाएगा, जब भारत ने विश्व मंच पर अपनी बात अपनी ही आवाज़ में कहना शुरू किया।

संबंधितपोस्ट

मेरा भी आरएसएस से संबंध है, जानें गृह मंत्री अमित शाह में क्यों कही यह बात

सिंधु जल संधि: नेहरू के एकतरफा समझौते के कारण कैसे दशकों तक परेशान रहा देश

“जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें”- स्वाधीनता दिवस और अखंड भारत का लक्ष्य:

और लोड करें

आपातकाल के बाद लोकतंत्र की विजय की घोषणा

जब 1977 में वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र को संबोधित किया, तब भारत हाल ही में आपातकाल के अंधेरे दौर से बाहर निकला था। उनका यह भाषण केवल वैश्विक शांति या परमाणु निरस्त्रीकरण तक सीमित नहीं था, बल्कि यह भारत के नैतिक पुनर्जागरण की घोषणा भी था।

उन्होंने कहा—

इसके माध्यम से उन्होंने विश्व को यह संदेश दिया कि भारत में लोकतंत्र ने तानाशाही पर निर्णायक विजय प्राप्त की है। वह ऐसे राष्ट्र के प्रतिनिधि के रूप में बोले, जिसने अपनी स्वतंत्रता को पुनः खोजा था, और यह स्पष्ट किया कि भारत की आंतरिक लोकतांत्रिक जीत स्वतंत्रता में विश्वास रखने वाले सभी देशों की जीत है। उनके शब्द एक पुनर्जीवित भारत की आत्मा को प्रतिबिंबित करते थे—एक ऐसा भारत जो न तो दबेगा, न चुप रहेगा, और जिसने अपने संविधान तथा जनता की आवाज़ में फिर से विश्वास जताया।

वैश्विक मंच पर हिंदी: सांस्कृतिक आत्मगौरव का प्रतीक

वाजपेयी से पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के सभी नेता अंग्रेज़ी में ही भाषण देते थे, लेकिन हिंदी में बोलने का उनका निर्णय क्रांतिकारी था। यह केवल भाषा का प्रश्न नहीं था, बल्कि पहचान को पुनः स्थापित करने का प्रयास था। हिंदी को चुनकर वाजपेयी ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब औपनिवेशिक परंपराओं से बंधा नहीं रहेगा। यह आत्मविश्वास की घोषणा थी—इस बात का ऐलान कि भारत के विचार, मूल्य और संस्कृति अपनी ही भाषा में अभिव्यक्त होने योग्य हैं।

हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों पर समान अधिकार रखने के बावजूद, वाजपेयी ने जानबूझकर हिंदी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिष्ठित किया। वे चाहते थे कि विश्व भारत को केवल एक विकासशील देश नहीं, बल्कि एक महान सभ्यतागत शक्ति के रूप में पहचाने। उसी दिन से यह परंपरा स्थापित हो गई कि भारतीय नेता संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में संबोधन करें—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाया।

शांति, गुटनिरपेक्षता और वैश्विक सहयोग का संदेश

1977 के अपने भाषण में वाजपेयी ने वैश्विक कूटनीति में भारत के मूल सिद्धांतों—शांति, गुटनिरपेक्षता और सहयोग—को प्रभावशाली ढंग से दोहराया।

उन्होंने कहा— “ यह वक्तव्य भारत की प्राचीन अवधारणा वसुधैव कुटुम्बकम्—संपूर्ण विश्व एक परिवार है—से प्रेरित था। शीत युद्ध के तनावपूर्ण वातावरण में, वाजपेयी ने भारत को संतुलन की नैतिक आवाज़ के रूप में स्थापित किया, जो किसी भी महाशक्ति के पीछे आँख मूंदकर चलने को तैयार नहीं था। उनकी दृष्टि न्याय, समानता और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की थी।

निरंतर वैश्विक नेतृत्व: निरस्त्रीकरण से लोकतंत्र तक

संयुक्त राष्ट्र में वाजपेयी की भूमिका केवल एक ऐतिहासिक भाषण तक सीमित नहीं रही। 1977 से 2003 के बीच उन्होंने विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में सात बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया।

1978 में उन्होंने परमाणु निरस्त्रीकरण का मुद्दा उठाते हुए चेतावनी दी।

जब विश्व परमाणु हथियारों की होड़ में लगा था, तब वाजपेयी ने व्यापक और सत्यापन योग्य निरस्त्रीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। दो दशक बाद, 1998 में पोखरण-II परमाणु परीक्षणों के बाद वे प्रधानमंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र लौटे। वहाँ उन्होंने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हुए कहा कि भारत को यह कदम मजबूरी में उठाना पड़ा, क्योंकि परमाणु शक्तियों ने निरस्त्रीकरण से इनकार किया और क्षेत्रीय खतरे बने रहे। उनका संतुलित दृष्टिकोण—दृढ़ लेकिन जिम्मेदार—भारत को वैश्विक सम्मान दिलाने वाला सिद्ध हुआ।

राज्य-प्रायोजित आतंकवाद का पर्दाफाश

9/11 के हमलों के बाद, 2001 और 2002 में अपने संयुक्त राष्ट्र संबोधनों में वाजपेयी ने उस पीड़ा को वैश्विक मंच पर रखा, जिसे भारत लंबे समय से झेल रहा था—राज्य-प्रायोजित आतंकवाद। उन्होंने उन देशों की कड़ी निंदा की जो आतंकवादियों को संरक्षण देते हैं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ऐसे नेटवर्क को समाप्त करने का आह्वान किया। 2002 में उन्होंने दक्षिण एशिया में “परमाणु ब्लैकमेल” को राज्य-प्रायोजित आतंकवाद का नया हथियार बताया—यह पाकिस्तान की ओर स्पष्ट संकेत था। जब विश्व इस खतरे को पूरी तरह समझ भी नहीं पाया था, तब वाजपेयी ने इसकी चेतावनी दे दी थी।

संयुक्त राष्ट्र सुधार की मांग

2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए अपने अंतिम भाषण में वाजपेयी ने यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाया। संयुक्त राष्ट्र में आस्था जताते हुए भी उन्होंने उसकी सीमाओं की ओर स्पष्ट संकेत किया।

इराक का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा—उन्होंने संगठन की संरचना और कार्यप्रणाली में व्यापक सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जब भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग कर रहा है।

एक वैश्विक राजनेता की विरासत

संयुक्त राष्ट्र में वाजपेयी के योगदान ने भारत की कूटनीति को सिद्धांतनिष्ठ, स्वतंत्र और सभ्यतागत मूल्यों से युक्त स्वरूप दिया।

दस बार लोकसभा सांसद रहे, कवि, वक्ता और दूरदर्शी राजनेता वाजपेयी ने नैतिक शक्ति को व्यावहारिक नेतृत्व से जोड़ा।

16 अगस्त 2018 को उनके निधन पर भारत ने केवल एक नेता नहीं, बल्कि ऐसे राजनेता को खोया, जिसने भारत की आवाज़ को विश्व के कोने-कोने तक पहुँचाया।

वह नेता जिसने भारत को अपनी आवाज़ दी

1977 में संयुक्त राष्ट्र में अटल बिहारी वाजपेयी का हिंदी में दिया गया भाषण केवल एक संबोधन नहीं था—यह भारत की संप्रभु पहचान की घोषणा थी। हिंदी में बोलकर उन्होंने भारतीय कूटनीति को औपनिवेशिक छाया से मुक्त किया। उनकी वाणी में शांति, लोकतंत्र और सहअस्तित्व में विश्वास रखने वाली एक प्राचीन सभ्यता की शक्ति थी। आज जब भारतीय नेता संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में बोलते हैं, तो वह परंपरा अटल बिहारी वाजपेयी की ही देन है। जब वे बोले, तो केवल अटल बिहारी वाजपेयी नहीं बोले—भारत बोला, आत्मविश्वासी, गरिमामय और शाश्वत।

Tags: atalbihari bajpaihistorical addressparmanu blackmailrajnetaअटल बिहारी वाजपेयी
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

संघ शिविर में महात्मा गांधी की मौजूदगी, इतिहास में दर्ज होगा क्षण

अगली पोस्ट

गोवा इन्क्विज़िशन: पुर्तगाली शासन में हिंदुओं पर हुआ अमानवीय अत्याचार

संबंधित पोस्ट

ऑटो-दा-फे” नामक सार्वजनिक हत्याओं के आयोजन किए जाते थे
भारत

गोवा इन्क्विज़िशन: पुर्तगाली शासन में हिंदुओं पर हुआ अमानवीय अत्याचार

25 December 2025

गोवा इन्क्विज़िशन औपनिवेशिक इतिहास की सबसे क्रूर घटनाओं में से एक था, जिसमें पुर्तगाली शासकों ने ढाई सौ वर्षों तक हिंदुओं को व्यवस्थित रूप से...

गांधी जी शिविर पहुँचे
भारत

संघ शिविर में महात्मा गांधी की मौजूदगी, इतिहास में दर्ज होगा क्षण

25 December 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और महात्मा गांधी को लेकर समाज में अनेक धारणाएँ प्रचलित हैं। प्रायः यह मान लिया जाता है कि गांधी जी संघ से...

वे चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने
भारत

मदन मोहन मालवीय: BHU की नींव रखने वाले ‘महामना’, जिन्होंने निजाम की जूती को कर दिया था नीलाम

25 December 2025

महान देशभक्त, स्वतंत्रता सेनानी, दूरदर्शी शिक्षाविद, समाज सुधारक, पत्रकार, वकील और राजनेता मदन मोहन मालवीय को भारत माता के सच्चे सेवक के तौर पर याद...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

00:00:58

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited