उत्तर प्रदेश का चुनाव खत्म हो चुका है और भाजपा को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में पुनः वापस आने का जनादेश मिल गया है। योगी आदित्यनाथ के सुशासन पर जनता की मुहर लग गई है और अब जल्द ही मंत्रिमंडल का गठन होगा। इसके लिए दिल्ली में मंथन शुरू हो गया है। बीते दिन रविवार को योगी आदित्यनाथ दिल्ली पहुंचे और उन्होंने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री के साथ चर्चा भी की। उत्तर प्रदेश चुनाव का कार्यभार देख रहे बीएल संतोष के साथ ही गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मुलाकात के दौरान मौजूद रहे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भाजपा मंत्रिमंडल में नए चेहरों को जगह देने वाली है। भाजपा को भले ही अपने बल पर पूर्ण बहुमत मिल गया है, किंतु 11 मंत्री अपनी सीट नहीं बचा सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनसेवा के जितने भी कार्य हुए थे, उस आधार पर भाजपा को अपने सीटों का विस्तार करना चाहिए था किंतु पार्टी के कुछ विधायकों और मंत्रियों का कार्य व्यक्तिगत रूप से इतना बुरा था कि जनता उन्हें दोबारा स्वीकार नहीं कर सकी।
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क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखेगी भाजपा
हालांकि, अब नए मंत्रिमंडल का विस्तार होने वाला है और इस बार भाजपा को जाति के साथ क्षेत्रीय समीकरणों पर भी ध्यान देना होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां हवा बनाई गई थी कि जाट भाजपा के विरुद्ध हैं, किंतु इस क्षेत्र के 126 में से 85 सीटों पर भाजपा विजयी हुई है। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। आगरा ग्रामीण सीट से जीत हासिल करने वाली बेबी रानी मौर्या को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। वो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही OBC वर्ग का चेहरा भी हैं। बागपत से चुनाव में जीत हासिल करने वाले योगेश धामा को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है, क्योंकि वो जाटों के बीच में एक प्रसिद्ध नेता हैं। इसके अतिरिक्त नोएडा से जीत हासिल करने वाले केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। पंकज सिंह अपना चुनाव रिकॉर्ड मत से जीते हैं और उन्होंने कोरोना काल में बहुत ही सराहनीय कार्य किया है।
पूर्वांचल की बात करें, तो चकिया विधानसभा से विधायक कैलाश खरवार को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। उनके संघ में अच्छे संबंध हैं, उनकी छवि ईमानदार नेता की है और वो SC चेहरा भी हैं। इसके अतिरिक्त वाराणसी से पूर्व मंत्री रवीन्द्र जयसवाल पुनः मंत्री बनाए जा सकते हैं। किंतु नीलकंठ तिवारी को नए मंत्रिमंडल में जगह मिलना मुश्किल है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर उनके विरुद्ध बहुत नाराजगी है। प्रयागराग से सिद्धार्थनाथ सिंह पुनः मंत्री बनाए जा सकते हैं। पिछले मंत्रिमंडल में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री का कार्य किया है। यदि उन्हें जगह नहीं मिलती है, तो कायस्थ चेहरे के रूप में उनके स्थान पर वाराणसी कैंट से जीते सौरभ श्रीवास्तव को जगह मिल सकती है। इसके साथ ही OBC चेहरे के रूप में यूपी भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को बड़ा दायित्व मिल सकता है। केशव प्रसाद मौर्य अपना चुनाव हार गए हैं, ऐसे में मंत्रिमंडल में उनका स्थान संदिग्ध हो गया है।
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इन ब्राह्मण चेहरों को भी मिल सकता है मौका
दूसरी ओर ब्राह्मण चेहरे में पूर्व कानून मंत्री ब्रजेश पाठक को पुनः मंत्री बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त देवरिया से जीत हासिल करने वाले शलभमनी त्रिपाठी मंत्री बन सकते हैं। वो ब्राह्मण हैं, अतः उनके जरिये पूर्वांचल और ब्राह्मण दोनों को साधा जा सकता है। इसके अतिरिक्त सहयोगियों में अपना दल से आशीष पटेल और निषाद पार्टी से संजय निषाद का मंत्री बनना तय है। पूर्व पुलिस अधिकारी और ADG पद से सेवानिवृत्त हुए असीम अरुण को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। लखनऊ से विधायक और ED के लखनऊ के संयुक्त निदेशक रहे पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह को भी मंत्री बनाया जा सकता है। अपने कार्यकाल में वह एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे। इसके अतिरिक्त सीतापुर, लखीमपुर वाले क्षेत्र से भी विधायकों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। किसान आंदोलन के दौरान वहां बहुत भ्रम फैलाया गया था, किन्तु जनता ने भाजपा का साथ दिया इसलिए इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व मिलना तय है।