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नारीवादी प्रियंका चोपड़ा अचानक से संस्कृति प्रेमी हो गयी हैं, और हम इनके ढोंग से चकित हैं

Guest Author द्वारा Guest Author
27 September 2017
in चलचित्र
प्रियंका चोपड़ा
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बॉलीवुड में कई हिट फिल्मों के साथ साथ हॉलीवुड में क्वांटिको और बेवॉच में अपने अभिनय कौशल के जरिये प्रियंका चोपड़ा ने हमेशा सुर्खियां बटोरी। वह निःसंदेह एक अच्छी अभिनेत्री है, लेकिन जब बात ढोंगियों की आती है तब वह अपने बॉलीवुड समकक्षों से बिल्कुल भी अलग नहीं है। जब हम सोचते हैं कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित होने वाले उनके विषमता के निचले स्तर पर हैं, तभी एक ऐसा समय आता है जब उनकी अज्ञानता और गहराई में  दिखनी लगती है।

कुछ महीने पूर्व जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बर्लिन में थे तो प्रियंका चोपड़ा भी वहीं थी। उस समय प्रियंका चोपड़ा ने प्रधानमंत्री से मिलने की इच्छा व्यक्त की जिसके बाद एक औपचारिक बैठक की व्यवस्था की गयी। प्रधानमंत्री मोदी ने एक साधारण बंद गले का काला सूट पहना हुआ था वहीं प्रियंका चोपड़ा ने एक कैज़ुअल सफ़ेद पोशाक पहना था जिसकी लंबाई उनके घुटनों तक थी।Priyanka Chopra

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इसके तुरंत बाद सोशल मीडिया में एक महायुद्ध छिड़ गया। कुछ ऐसे लोग थे जो प्रधानमंत्री के समक्ष अच्छे पहनावे नहीं होने के कारण तीखी टिप्पणी कर रहे थे तो कुछ उदारवादी और स्वघोषित नारीवादी थे जिन्होंने “यू गो गर्ल”, “आप एक स्वतंत्र महिला हो”, जैसे शब्दों से सोशल मीडिया को रंग दिया था। थोड़ी ही देर में प्रियंका चोपड़ा ने माँ-बेटी की एक सुंदर सी तस्वीर पोस्ट किया जिसमें दोनों एक छोटी स्कर्ट पहने पार्टी कर रहे थे। लेकिन इस तस्वीर का कैप्शन कुछ ऐसा था – “Legs for days…. #itsthegenes with @madhuchopra night out in #Berlin #beingbaywatchPriyanka Chopra

इस घटना ने उन्हें अचानक ही नारीवादियों की प्रियतम बना दिया और वह अचानक ही महिला अधिकारों की चैम्पियन बन गयी। “लड़कियां जो पहनना चाहती हैं उसके लिए बिल्कुल आज़ाद है”, “जब हम महिला के कपड़ों से ध्यान हटाते हैं तभी महिला के दिमाग की ताकत पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं”, “जब उसकी माँ को प्रियं चोपड़ा के पैर दिखाने से कोई आपत्ति नहीं है तो फैसला लेने वाले तुम कौन होते हो ?” “पीसी इंडिया को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित कर रही है, अपने आप को देखो, कोई जानता भी है तुम्हे? और तुम्हारी राय से कोई फर्क भी नहीं पड़ता” जैसे तमाम शब्दों और कमेंट को लगातार लिखा और कहा गया। इन सब बातों ने अपने छोटे अस्तित्व वाले नारीवादियों को काफी खुश कर दिया था।

इन सब बातों के बीच लोग यह ध्यान देना भूल गए कि यह कभी भी प्रियंका चोपड़ा के पोशाक के बारे में नहीं था, यह शिष्टाचार के बारे में था। जब आप देश के प्रधानमंत्री से एक औपचारिक भेंट कर रहीं हैं तो आप कैज़ुअल पोशाक में नहीं जा सकती। यदि अक्षय कुमार भी शॉर्ट्स और जिम टी-शर्ट में प्रधानमंत्री से मिलते तो वह भी उतना ही ट्रॉल किये जाते।

वहीं अब 2 महीने बाद जॉर्डन में सीरिया के शरणार्थी परिवारों से मिलने पहुँची प्रियंका चोपड़ा को एक अलग ही तरह के पोशाक में देखा गया। प्रियंका चोपड़ा ने अपने शरीर को कपड़े से हर संभव इंच को कवर किया हुआ था, साथ ही उसने कहा “हमें उनकी संस्कृति का सम्मान करना चाहिए।”Priyanka ChopraPriyanka Chopra

आखिर प्रियंका चोपड़ा के पिछले वक्तव्य का क्या हुआ “मैं जो चाहती हूँ वही पहनती हूँ”? या “मेरा कपड़ा मेरी पसंद”, यह बिल्कुल आश्चर्यजनक है कि एक पल के उदारवादी शरिया क्षेत्र में दाखिल होते ही शरिया उनके लिए ‘पसंद’ बन जाता है। प्रियंका चोपड़ा ने एक प्रतिगामी प्रथा को स्वीकार कर अपने शरीर का हर एक इंच ढँका हुआ था, जिसका वास्तविकता में क़ुरान में भी उल्लेख नहीं है। यह तो सिर्फ मुल्लाओं का एक आख्यान मात्र है।

पूरा नारीवादी समूह जो लगातार बड़े पैमाने पर महिलाओं को पितृसत्तात्मक नियमों के खिलाफ खड़ा करने के साथ साथ खुद के लिए और नारीवाद के लिए खड़े होने की बात करते हैं वो सभी अचानक चुप हो जाते हैं। इस विचार को वो स्वीकार कर लेते हैं कि “हिज़ाब एक पसंद है मजबूरी नहीं।” हास्यास्पद !

प्रियंका चोपड़ा जैसे कई अभिनेत्रियों ने विविधता के लिए जोर दिया। एक ओर वो अपने उत्पीड़न के बारे में नारीवादी का रोना रोते हैं वहीं दूसरी ओर स्वेच्छा और ख़ुशी से पीड़ित होते हैं। जबकि प्रियंका चोपड़ा जैसी सशक्त महिलाओं को इन अमानवीय व्यवहारों के खिलाफ सबसे अधिक बोलना चाहिए बजाय कि उन लोगो के खिलाफ जो उन्हें औपचारिक मौकों पर शिष्टाचार तरीके के पहनावे के लिए कह रहे थे। यह एक आम लक्षण है जो पहले भी देखा गया है।

महिलाओं को जो वो चाहते हैं वो पहनने का अधिकार होना चाहिए, लगता है बहुत से अच्छे से अच्छे नारीवादियों को यह ही नहीं पता कि अगर प्रियंका चोपड़ा का यह कहना है कि वह हिजाब पहनने का चुनाव करती है तो, यह इस तथ्य को नकार नहीं सकता कि दुनिया भर में महिलाओं की विशाल संख्या को पर्दे में रहने के लिए मजबूर किया जाता है।

असली नारीत्व (यदि मौजूद है) को महिलाओं के सम्मान और मातृत्व के माध्यम से पूरी तरह स नारीत्व को गले लगाने करने वाले महिलाओं को सृजनात्मक और पौष्टिक बल के रूप में सम्मान करना चाहिए। यह एक बड़ी द्वन्द के भाग के रूप में स्त्री को पहचानती है जो मर्दाना के लिए सामान स्थान बनाती है, और इसमें पुरषों का बराबर सम्मान होता है।

नामी हस्तियां (ज्यादातर) ने बार बार प्रदर्शित किया है कि वे पाखंड से भरे हुए हैं। सामाजिक कारण हो या हमारे प्रधानमंत्री उन्हें किसी भी सम्मान या किसी चीज की चिंता नहीं है। उनका एकमात्र ध्येय है कि उन्हें फर्जी सामाजिक उपस्थिति दर्ज करानी है और अपने अंध अनुयायी बढ़ाने हैं। यह बात स्पष्ट रूप से सामने है कि प्रियंका चोपड़ा का यह कृत्य बिल्कुल ही अनुचित है।

ये लेख इस  लेख का हिंदी अनुवाद है – http://wiseindiantongue.com, उनके फेसबुक पेज का लिंक Facebook.

Tags: प्रियंका चोपड़ा
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टिप्पणियाँ 1

  1. Milan antani says:
    8 years पहले

    ऐसी actresses का अस्तित्व बोहोत छोटा होता है । इसकी 2 पिक्चरें क्या हिट हो गई , अपने आप को superstar समझने लगी । इसको इग्नोर करना ही बेहतर है

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