आम चुनाव को नजदीक आते कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को राजनीति में उतार भले ही दिया है लेकिन देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य यानी उत्तर प्रदेश में न तो जनता और न ही वहां का सपा-बसपा गठबंधन उन्हें अपने साथ शामिल करने को तैयार है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रियंका वाड्रा के सक्रिय राजनीति में आने व उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान मिलने के बाद भी कांग्रेस को साथ लेने से साफ मना कर दिया है।
पत्रकारों से बात करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मंझे हुए अंदाज में कहा कि सपा-बसपा गठबंधन हमारा नहीं बल्कि जनता का गठबंधन है। हम इस गठबंधन को बस आगे ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी सच में बीजेपी को हराने को लेकर गंभीर है तो उसे हमारा समर्थन करना चाहिए। सपा प्रमुख की यह बात स्पष्ट संकेत दे रही थी कि फिलहाल वह कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है। ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि सपा-बसपा गठबंधन प्रियंका वाड्रा को बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं ले रहा है। अब यह सोचने वाली बात है कि जब सपा-बसपा ही कांग्रेस को लेकर तनिक भी गंभीर नही हैं तो फिर बीजेपी को तो प्रियंका वाड्रा को गंभीरता से लेने का सवाल ही नहीं उठता। वैसे अभी हाल ही में राजनाथ सिंह ने खुलेआम कहा था कि हम तो कांग्रेस को ही चुनौती नहीं मानते हैं तो फिर प्रियंका का तो सवाल ही नहीं उठता।
इन सबके बावजूद लुटियन मीडिया प्रियंका गांधी को आधुनिक भारत की इंदिरा गांधी सिद्ध करने पर तुली है। वह जनता की आवाज दबाकर अपनी आवाज में प्रियंका गांधी का प्रमोशन करने में लगी है। जबकि हाल ही में एक पत्रकार ने दिल्ली में प्रियंका गांधी के बारे में लोगों की राय जाननी चाही तो लोगों ने एक स्वर में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी किसी भी सूरत में कांग्रेस का उद्धार नहीं कर पाएगी। ज्यादातर युवाओं ने कहा कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को राजनीति में लाकर परिवारवाद का एक बार फिर से प्रदर्शन किया है। बता दें कि प्रियंका गांधी को राजनीति में लाए जाने के बाद चारों तरफ से कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप लगे हैं। इससे कांग्रेस की बची-बचाई प्रतिष्ठा भी मिट्टी में मिल गई है। जनता का कहना है कि कांग्रेस धीरे-धीरे एक परिवार तक सिमटकर रह गई है।
हालांकि, इससे पहले अखिलेश ने प्रियंका गांधी के कांग्रेस महासचिव बनाए जाने पर औपचारिक रूप से बधाई दी थी। उस वक्त उन्होंने बधाई देते हुए कहा था कि युवाओं को पार्टी में मौका दिया जा रहा है। समाजवादी पार्टी इससे खुश है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से यह भी कहा कि उन्होंने बसपा से गठबंधन करने के लिए ही कांग्रेस का साथ छोड़ा। पीटीआई से अखिलेश ने 2017 के विधानसभा चुनाव में हार का कारण भी बताया। उन्होंने बताया कि उस चुनाव में गलत गणित लगा बैठने के कारण हम हारे। इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपनी जीत की गणित भी समझाई।
ऐसे में एक बात मालूम पड़ती है कि बीजेपी से हार को अखिलेश पचा नहीं पाए हैं। उन्होंने हार से बहुत कुछ सीखा है। शायद यही कारण है कि वे अकेले चुनाव लड़ने से घबरा रहे हैं और उन्होंने बसपा से गठबंधन किया लेकिन वे कांग्रेस को अब भी दरकिनार ही कर रहे हैं। बता दें कि अभी तक कांग्रेस को पूरी आशा थी कि उसे यूपी में गठबंधन में शामिल किया जाएगा लेकिन सपा-बसपा द्वारा दरकिनार किए जाने के बाद कांग्रेस ने अकेले ही सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। यहां गौर करने लायक यह है कि, ये बात जनता के साथ-साथ कांग्रेस को भी पता है कि वह इस बार यूपी में मात्र औपचारिकता निभाने के लिए लड़ रही है। साथ ही अब उत्तर प्रदेश में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा जिसमें बीजेपी को फायदा होना तय है।