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भारत की कूटनीतिक जीत, मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए तैयार हुआ एंटिगुआ

Vikrant Thardak द्वारा Vikrant Thardak
26 September 2019
in चर्चित
मेहुल चोकसी

PC: DNA

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पिछले वर्ष अगस्त में जब भारत ने हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए एंटिगुआ की सरकार से संपर्क किया था, तब भारत को निराशा हाथ लगी थी। एंटीगुआ सरकार ने मेहुल चोकसी को गिरफ्तार कर भारत भेजने से इंकार कर दिया था। एंटीगुआ सरकार का कहना था कि ‘उनकी भारत के साथ कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है, साथ ही एंटीगुआ ने नियमों के मुताबिक ही मेहुल चोकसी को नागरिकता दी है। ऐसे में उनको भारत प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा’। बता दें कि ये वही मेहुल चोकसी है जिनपर पीएनबी बैंक से फर्जी LOU  के जरिये साढ़े तेरह हजार करोड़ के घाटोले करने का आरोप है। हालांकि, यह पीएम मोदी की कमाल की कूटनीति का ही असर है कि अब ठीक एक साल के बाद एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने कहा है कि उनके देश में भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी का कोई मूल्य नहीं है और सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद बिना किसी देरी के उसे भारत को प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा।

ब्राउन ने भारत के सरकारी न्यूज़ चैनल डीडी न्यूज से कहा, ‘हम कानून को मानने वाले एक देश हैं, और मामला न्यायपालिका के समक्ष है’। इतना ही नहीं, एंटिगुआ जिस मेहुल चोकसी को एक साल पहले तक गले लगा रहा था, आज उसी देश के प्रधानमंत्री उसे धूर्त तक कह रहे हैं। बता दें कि हाल ही में गैस्टन ब्राउन ने मेहुल चोकसी की नागरिकता को रद्द करने का भी ऐलान किया था और उन्होंने ये कदम भारत के दवाब में उठाया था। पीएम ब्राउन ने ये भी बताया कि मेहुल चोकसी की वजह से कैसे उनके सिटिजनशिप बाय इनवेस्टमेंट प्रोग्राम को नुकसान पहुंचा है। बता दें कि अभी अगर किसी व्यक्ति को भी एंटिगुआ देश की नागरिकता चाहिए, तो उसे सिर्फ एक तय मात्रा में उस देश में निवेश करना होगा। इसी स्कीम के जरिये मेहुल चोकसी ने इस देश की नागरिकता ली थी। हालांकि, यह हथकंडा भी चोकसी के किसी काम नहीं आया, और अब उसे भारत सरकार को जल्द ही सौंपा जा सकता है।

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बता दें कि इससे पहले इस्लामिक प्रीचर और भगौड़े ज़ाकिर नाइक के साथ भी ठीक ऐसा ही हुआ था। ज़ाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फ़ाउंडेशन पर भारत सरकार ने पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था और इसके बाद ज़ाकिर भागकर मलेशिया चला गया था और वहां की नागरिकता भी हासिल कर ली थी। उसके बाद जब भारत ने मलेशिया की सरकार से ज़ाकिर नाइक के प्रत्यर्पण की अर्ज़ी लगाई थी, तब वहां की सरकार ने भी पहले इसके लिए मना कर दिया था। जून 2018 में मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने विवादित धर्म उपदेशक को भारत प्रत्यर्पित करने से साफ इंकार कर दिया था, लेकिन भारत सरकार ने मलेशिया की सरकार पर दबाव बनाना नहीं छोड़ा।

इसी महीने सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी ने इसको लेकर रूस में ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम की पांचवीं बैठक के इतर मलेशिया के प्रधानमंत्री से बात भी की थी। मलेशिया इस मुद्दे पर यह कह रहा था कि एक स्वतंत्र देश होने के नाते उसके पास ज़ाकिर नाइक पर सभी फैसले लेने का पूरा अधिकार है। हालांकि, पिछले कुछ समय में ज़ाकिर नाइक पर मलेशिया सरकार का रुख भी सख्त हुआ है। इसी वर्ष अगस्त में मलेशिया के मानव संसाधन विकास मंत्री एम. कुलसेगरन ने जाकिर नाइक को भारत के हवाले करने की मांग की थी। कुलसेगरन ने एक पत्र जारी किया था जिसमें उन्होंने कहा था ‘जाकिर मलेशिया के कर दाताओं के पैसे पर यहां मौज कर रहा है। उस पर गंभीर आरोप हैं। वो मलेशिया में सामुदायिक घृणा फैलाने की साजिश रच रहा है। उसे भारत को सौंप देना चाहिए। वहां वो अपने ऊपर लगे आरोपों का सामना करेगा’। बता दें कि मलेशियाई अधिकारियों ने अगस्त में ही जाकिर नाइक को हिंदुओं एवं चीनियों के खिलाफ कथित नस्ली टिप्पणी करने के मामले में दूसरी बार तलब किया था। इससे कुछ घंटे पहले प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने विवादित भारतीय इस्लाम धर्म उपदेशक को कहा था कि उसे देश में राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति नहीं है। पहले जाकिर और अब मेहुल चोकसी, साफ है कि भारत की शानदार कूटनीति ने ऐसे देशों को भी अपने सामने झुकने को मजबूर किया है जो कुछ समय पहले तक भारत के हितों के खिलाफ बयान दे रहे थे। इसके लिए मोदी सरकार की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है।

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