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2 राज्य, 2 मुख्यमंत्री: एक ने प्रवासी मजदूरों को अपने राज्य में इज्जत के साथ रखा तो दूसरे ने सड़क पर फेंक दिया

कौन है सच्चा नेता ये अब आप तय करीये

Abhinav Kumar द्वारा Abhinav Kumar
31 March 2020
in समीक्षा
केसीआर

PC: Asianet News Telugu

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विषम परिस्थितियाँ ही किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को बाहर निकालती हैं और जब किसी नेता या लीडर की लीडरशिप Quality का एहसास कराती हैं। भारत में कोरोना वायरस की महामारी ने भी भारत में कुछ ऐसी ही विषम परिस्थिति पैदा की है जिससे अलग अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों का असली चेहरा सामने आ रहा है। साथ ही यह भी स्पष्ट होता जा रहा है कि कौन कितना सक्षम प्रशासक है। इस दौरान हमे दो ऐसे मुख्यमंत्री देखने को मिले जिनके बारे में बात करना आवश्यक है। पहले हैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) और दूसरे हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल। देशव्यापी लॉकडाउन के बाद अलग अलग राज्यों में खड़ी हुई प्रवासी श्रमिकों की समस्या को दोनों ने अलग  तरीके से निपटा। एक तरफ जहां तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने श्रमिकों को अपने राज्य में अपने परिवार की तरह रखा तो वहीं, दूसरी तरफ केजरीवाल ने अफवाह फैला कर सभी श्रमिको को DTC बसों से यूपी-दिल्ली बार्डर पर भटकने के लिए छोड़ दिया था।

दरअसल, कोरोना के समय में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने इस मामले को सबसे बेहतर तरीके से संभाला है। जब दिल्ली में श्रमिकों की समस्या खड़ी हुई थी और अरविंद केजरीवाल ने 1-2 लाख से अधिक लोगों को लॉकडाउन के बावजूद यूपी में भेज दिया था, तभी केसीआर की एक वीडियो सामने आई जिसमें वे श्रमिकों को हिन्दी में विश्वास दिलाते दिखाई दे रहे थे।

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Hindi Speech : CM KCR assuring the migrant labour in the state and urges not to panic.True statesman behaviour in the crisis. Other states should also find such kind of approach towards daily migrant labour. @thakur_shivangi @ShivAroor @smitaprakash @sardesairajdeep @BDUTT pic.twitter.com/JzBRZmYit0

— Agasthya Kantu (@kantuagasthya) March 30, 2020

केसीआर ने प्रवासी मजदूरों से कहा था कि, ‘उनको अभी तेलंगाना छोड़ कर जाने की जरूरत नहीं है। उनको कोई दिक्कत नहीं होगी।‘ उन्होंने कहा कि, ‘राज्य में कोई भी प्रवासी महदूर भूखे–प्यासे नहीं रहेंगे। चाहे वे देश के किसी भी कोने से क्यों न हों, उनका ख़याल रखना हमारी जिम्मेदारी है।‘ मुख्यमंत्री ने प्रवासी मजदूरों से आगे  कहा था कि, ‘आप लोग हमारे राज्य के विकास के लिए आये हैं, राज्य की सेवा करने के लिए आये हैं, इसलिए हम आपको हमारे भाई, बंधू और बेटे समझते हैं। आप किसी चीज़ की फ़िक्र न करें। आपकी हर जरूरत का ख़याल रखा जाएगा।‘

Hon'ble Chief Minister Sri K Chandrashekar Rao announced 12 kg rice, Rs 500 per migrant labour in Telangana.#CoronaLockdown pic.twitter.com/vgNbbrp0vW

— BRS Party (@BRSparty) March 29, 2020

केसीआर ने रविवार देर रात कहा कि प्रवासी मजदूरों को प्रति व्यक्ति 12 किलो चावल और 500 रूपए दिए जाएंगे और अगर किसी मजदूर के परिवार में चार लोग हैं तो उन्हें 2000 रूपए दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर वे चावल नहीं खाते हैं तो रोटी के लिए आटा दिया जाएगा और जो लोग पका नहीं सकते हैं, उनको खाना पका कर भी दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के भोजन, पानी और स्वास्थ्य सेवा का ख़याल रखा जाएगा और रहने की भी व्यवस्था की जायेगी। साथ ही कहा कि अगर जरूरत पड़े तो और ज्यादा राशि भी खर्च की जाएगी।

केसीआर ने कहा कि सर्वे के बाद पता चला कि तेलंगाना में करीब साढ़े 3 लाख प्रवासी मजदूर हैं जो ज्यादातर बिहार ओडिशा, झारखण्ड और तमिलनाडु राज्य के हैं। सभी का ध्यान रखा जायेगा।

वहीं दूसरी तरफ, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने कोरोना जैसी विपदा के समय में भी अपनी गंदी राजनीति नहीं छोड़ी और दिल्ली में रह रहे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के मन में ऐसा भय पैदा किया और घर जाने का लालच दिया कि देखते ही देखते UP और दिल्ली के बार्डर पर हजारों की तादाद में घर जाने वाले लोगों की भीड़ जमा हो गई थी।

https://twitter.com/rajshekharTOI/status/1243912621629136901

देश में लॉकडाउन लगा हुआ है और दिल्ली ने तो केंद्र सरकार से भी पहले लॉकडाउन की घोषणा की थी लेकिन, फिर भी ऐसा माहौल बनाया गया जिससे दिल्ली में काम करने वाले सभी, गरीब से लेकर पढ़ने वाले और अमीर तक घर जाने की चाहत में आ गए।

https://twitter.com/rajshekharTOI/status/1244106000128282625

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूपी सरकार ने बयान जारी कर कहा था कि दिल्ली सरकार ने इन लोगों के बिजली -पानी के कनेक्शन काट दिए हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्हें भोजन, दूध, पानी नहीं मिला जिस कारण भूखे लोग सड़कों पर उतर आए। यहां तक कि दिल्ली सरकार के अधिकारी बक़ायदा एनाउंसमेंट कर अफ़वाह फैलाते रहे कि यूपी बॉर्डर पर बसें खड़ी हैं, जो उन्हें यूपी और बिहार ले जाएँगी। इसके बाद बहुत सारे लोगों को मदद के नाम पर डीटीसी की बसों से बॉर्डर तक पहुँचाकर छोड़ दिया गया।

इस बीच निज़ामुद्दीन क्षेत्र से 24 कोरोना पॉज़िटिव मरीजों के सामने आने और 350 से अधिक के अस्पताल में भर्ती होने की खबर के बाद से देश में हड़कंप मचा हुआ है।

इस तरह से देखा जाए तो केजरीवाल और केसीआर ने अपना असली रंग दिखाया है। एक तरफ केसीआर ने न सिर्फ गरीब मजदूरों को अपने राज्य में बेखौफ रहने का विश्वास दिलाया बल्कि, उनके लिए खाने-पीने से लेकर रहने तक का इंतजाम किया। वहीं दूसरी तरफ, केजरीवाल ने श्रमिकों को बोझ समझ कर उतार फेंका और उन्हें रोड पर ठोकरे खाने के लिए छोड़ दिया।

सिर्फ श्रमिकों की ही बात नहीं है बल्कि तेलंगाना भारत में कोरोना से सबसे बेहतर तरीके से लड़ने वाला राज्य है वहीं, दिल्ली सबसे खराब। निज़ामुद्दीन में हुए तब्लीगी जमात के हुए जलसे के कारण कई केस बढ़ सकते हैं। इसी जलसे से तेलंगाना गए 6 लोगों की मौत भी हो चुकी है। वहीं पूरे भारत से इस जमात के जलसे में जाने वाले लोगों में से कुल 10 कि मौत हो चुकी है।

तेलंगाना, ने पूरे राज्य में 5,274 निगरानी दल और 78 निरीक्षण दल बना रखा है जिससे वो किसी भी प्रकार की तुरंत कार्रवाई करते हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने दावा किया है कि अगले 9 दिन में राज्य कोरोनावायरस के संक्रमण से मुक्त हो जाएगा। भारत को ऐसे ही मुख्यमंत्रियों की आवश्यकता है न कि केजरीवाल जैसे जो अपने ही देश के लोगों को सड़क पर छोड़ दे।

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