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चीन से अक्साई चिन छिनने का सबसे दमदार मौका, चीन ने जंग छेड़ दी है, हम इसे खत्म कर सकते हैं

दुनिया में चीन विरोधी माहौल है, रगड़ दो इन्हें कोई नहीं बोलेगा!

Abhinav Kumar द्वारा Abhinav Kumar
23 May 2020
in रक्षा, रणनीति
चीन, भारत, युद्ध, लड़ाई
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कहते हैं कुछ मौके कभी कभी मिलते हैं, और अभी भारत के पास ऐसा मौका आया है जो शायद पहले कभी न आया और न कभी आने वाला है। यह मौका है चीन से अपने क्षेत्र अक्साई चिन (Aksai Chin) को वापस लेने का।

आप सोच रहे होंगे ये कैसे हो सकता है? लेकिन ये हो सकता है और इसके कई कारण और कोण है। आइए देखते हैं कैसे?

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पिछले कुछ दिनों से चीन ने बार्डर पर अपनी हरकत बढ़ाई हुई है, और ऐसी रिपोर्ट्स रही हैं कि चीन अक्साई चिन के भारतीय क्षेत्र में अपनी सेना की संख्या बढ़ा रहा है।  बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार उस क्षेत्र के पाँच केन्द्रों यानि चार गैलवान नदी के किनारे, और एक पांगोंग झील के पास पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लगभग 5,000 से अधिक चीनी सैनिक घुसपैठ कर चुके हैं।

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यानि हजारों पीएलए सैनिकों को गालवान घाटी में भेजने का अर्थ है जिस वास्तविक नियंत्रण रेखा को चीन स्वयं भारतीय क्षेत्र मानता है, उसने उसी का उल्लंघन किया है।

यही नहीं कुछ दिनों पहले भारतीय वायु सेना (IAF) के प्रमुख, एयर चीफ मार्शल RKS भदौरिया ने एक साक्षात्कार में यह स्वीकार किया था उस क्षेत्र में चीनी हेलीकॉप्टर गतिविधि करते पाये गए थे लेकिन IAF ने भी आवश्यक कार्रवाई की थी।

परंतु भारत के लिए यही एक सुनहरा मौका है जब वह तुरंत एक्शन लेते हुए कारगिल युद्ध की तरह चीनी सेना को वापस चीन की सीमा में खदेड़ दे क्योंकि किसी भी देश की सीमा में इस तरह से सैनिकों को जमा करना युद्ध को बुलावा देना ही है।

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दरअसल, जब से चीन ने बार्डर पर तनाव बढ़ाया है तब से ही पूरी दुनिया को यह पता है कि चीन ने भारत पर दबाव बनाने के लिए आक्रामकता दिखाई थी और साथ में चीन के साम्राज्यवादी नीति से भी सभी वाकिफ़ ही हैं। इस वजह से दुनिया में चीन के खिलाफ नैरेटिव बना हुआ है। ऐसे समय में अगर भारत कार्रवाई करता है तो उसे जवाबी कार्रवाई ही कही जाएगी। इससे भारत पर वैश्विक दबाव की संभावना ही नहीं रहेगी।

सच कहें तो चीन कितने भी सैनिकों को जमा कर ले, पर अगर युद्ध की स्थिति बनी तो उसकी हार निश्चित है क्योंकि चीन ने अभी तक छोटे-मोटे देशों को छोड़कर किसी से भी युद्ध नहीं जीता है। इस पर आप कहेंगे कि वर्ष 1962 की युद्ध में क्या हुआ था? यह युद्ध सिर्फ इसलिए लड़ा गया था, ताकि चीन का तानाशाह माओ त्से तुंग China में भूखमरी के संकट से ध्यान हटा सके। उनके लिए सोने पे सुहागा ये बात थी कि उस समय भारत पर जवाहरलाल नेहरू का शासन था, जिनके अपरिपक्व नेतृत्व के कारण भारतीय सेना को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

What China Means When It Says India Needs to 'Remember the Lessons ...

लेकिन उसके बावजूद चाइना के लिए यह विजय कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं थी, क्योंकि इस युद्ध में काम संसाधन और बेकार शस्त्रों से सुसज्जित होने के बावजूद भारतीय सेना ने चीनी खेमे में तांडव मचा दिया था।

Indo-china War 1962: What Were Real Reasons Behind It?

इस वक्त कभी अगर भारतीय सेना ने त्वरित कार्रवाई की तो भारत के पक्ष में पूरा विश्व खड़ा रहेगा क्योंकि कोरोना के कारण चीन के खिलाफ भयंकर माहौल बना हुआ है।

अमेरिका तो यह तक कह चुका है कि वह किसी भी बार्डर विवाद में भारत के साथ खड़ा है। इस मामले पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दक्षिण व केंद्रीय एशिया प्रभाग की सबसे वरिष्ठ अधिकारी एलिस वेल्स ने स्पष्ट कहा था-

“दक्षिण चीन सागर हो या भारत के साथ जुड़ी सीमा, चीन का व्यवहार सिर्फ दिखावा करने तक सीमित नहीं है बल्कि यह भड़काने वाला और चिंताजनक है। यह भी बताता है कि चीन का व्यवहार किस तरह का खतरा पैदा कर सकता है।“

पिछली बार जब डोकलाम में दोनो देशों की सेनाएं आमने-सामने आई थीं तब भी अमेरिका भारत के पक्ष में खड़ा था। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया का भी China के साथ रिश्ते खराब हो चुके हैं। जहां तक रूस का सवाल है वह भारत के खिलाफ युद्ध में शामिल नहीं होगा। वह जम्मू-कश्मीर पर पहले ही भारत का साथ दे चुका है जब चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया था।

UPSC China | Current Affairs Current Affairs | Monthly Hindu ...

यानि अभी वैश्विक समीकरण देखा जाए तो चीन के खिलाफ माहौल बना हुआ है और ऐसे में अगर भारत ने चीन के घुसपैठ का हमला कर जवाब दिया तो कोई भी भारत के खिलाफ नहीं खड़ा होगा। ऐसे समय में भारतीय सेना के पास अक्साई चिन के पूरे क्षेत्र को अपने कब्जे में मिलाने का भरपूर मौका होगा।

world against china investment - Central Tibetan Administration

अक्साई चीन भारत का भूभाग है जिसे चीन ने हथिया लिया है और इसे अपना क्षेत्र कहता है। हालांकि नवंबर में जारी हुए नए नक्शे में पूरे क्षेत्र को भारत का हिस्सा बताया गया था और गृह मंत्री अमित शाह भी लोक सभा  में कह चुके हैं कि जम्मू कश्मीर और अक्साई चिन भारत का अभिन्न अंग है और इसके लिए वे जान भी दे सकते हैं।

ऐसा मौका शायद फिर से कभी न आए क्योंकि जिस तरह चीन विरोधी माहौल अभी विश्व में बना हुआ है वह सदियों में एक बार बनती है. जैसा दोनों विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के खिलाफ माहौल बना था। भारत को तुरंत एक्शन लेते हुए पूरे अक्साई चिन को अपने कब्जे में कर लेना चाहिए।

Tags: अक्साई चिनचीनभारतभारतीय सेनायुद्धलद्दाखवार
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