जब वैश्विक स्तर पर ई-पेमेंट की बात आती है, तो भारत का नाम सबसे पहले आता है क्योंकि इस क्षेत्र में भारत का विशेष दबदबा है। भारत उस दौर से गुजर रहा है, जिसे हम डिजिटल भुगतान क्रांति कह सकते हैं। यूएस-आधारित भुगतान प्रणाली कंपनी एसीआई वर्ल्डवाइड की एक हालिया रिपोर्ट में कुछ दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं। ई-पेमेंट क्षेत्र में भारत अग्रणी है, जिसका प्रमाण ये है कि भारत ने अन्य देशों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। चीन 15.7 बिलियन लेनदेन के साथ भारत से काफी पीछे है। इसके बाद दक्षिण कोरिया में 6 बिलियन, थाईलैंड में 5.2 बिलियन, यूनाइटेड किंगडम में 2.8 बिलियन लेनदेन दर्ज किया गया है। साल 2020 में भारत में 25.5 बिलियन रीयल-टाइम भुगतान लेनदेन दर्ज किए गए हैं।
डिजिटल भुगतान में लगातार हो रही है वृद्दि
भारत में डिजिटल भुगतान के आंकड़ें बताते हैं कि पिछले 250 दिनों में, डिजिटल भुगतान लेनदेन में वृद्धि शानदार रही है। 30 नवंबर, 2020 से 6 अगस्त, 2021 के बीच, डिजिटल लेनदेन में 80% की वृद्धि हुई। प्लंबिंग और बढ़ईगीरी जैसे घरेलू सेवा उद्योग उक्त अवधि में 138% की वृद्धि के साथ ई-पेमेंट पर निर्भर है। भारतीय रिज़र्व बैंक का डिजिटल भुगतान सूचकांक, जो ऑनलाइन भुगतान प्रणाली को अपनाने का एक संकेतक है, उसमें भी मार्च 2020 और मार्च 2021 के बीच 30% तक ट्रांजेक्शन बढ़ गया है।
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देश में बढ़े हुए ई-पेमेंट के आंकड़े संकेत देते हैं कि आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र का स्तर और वृहद हो जाएगा। ऑनलाइन लेनदेन, 2025 तक भारत में सभी भुगतानों के 71.7% हिस्से पर कब्जा कर लेगा। नकद और चेक-आधारित भुगतान 28.3% तक सिमट कर रह जाएंगे। मौजूदा समय में कुल भुगतान का 15.6% तत्काल भुगतान के माध्यम से किया जाता है, 22.9% भुगतान अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से किया जाता है और 61.4% भुगतान कागज आधारित होते हैं।
हेड ऑफ प्रोडक्ट मैनेजमेंट एंड मार्केटिंग और एसीआई वर्ल्डवाइड के उपाध्यक्ष कौशिक रॉय ने कहा, “भारत के निर्माण की यात्रा में डिजिटल पेमेंट बुनियादी ढांचा बन गया है। इसमें विशेषत: सरकार, नियामक, बैंक और फिनटेक उच्च स्तर पर सहयोग दे रहे हैं। इससे आगे बढ़ने में मदद मिली है। वित्तीय समावेशन को सक्षम बनाने का देश का लक्ष्य और तेजी से आगे बढ़ रहा है, और भुगतान डिजिटलीकरण की ओर अग्रसर हो रहा है।” उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे उद्योग विकसित हो रहा है, हम उम्मीद करते हैं कि अलग-अलग उपयोगकर्ताओं द्वारा डिजिटल पेमेंट में वृद्धि और बड़े पैमाने पर दिखेगी।”
मोदी सरकार की नीतियों का हुआ असर
2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए तो उन्होंने अपने लिए कई लक्ष्य निर्धारित किए थे। ऐसा ही एक उद्देश्य भारत को कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाना था। उन्होंने सरकार द्वारा नकद हस्तांतरण के दायरे को काम करने के लिए जन धन योजना और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को बढ़ावा देने सहित कई पहल की थी। ई-पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी ने दो बड़े कदम उठाए, जिसमें डिजिटल इंडिया आंदोलन शुरू करना तथा 2016 में विमुद्रीकरण की घोषणा शामिल है। जिसके बाद लोगों में डिजिटल पेमेंट एप्लिकेशंस को अपनाया और यह दायरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
हालांकि, इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने निभाई है, जिसने भारतीयों द्वारा अपनी खरीदारी के लिए भुगतान करने के तरीके में वास्तव में क्रांति ला दी। ये नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा अप्रैल 2016 में लॉन्च किया गया था। UPI इतना प्रभावशाली और सफल रहा है कि Paytm, Google Pay और Walmart के स्वामित्व वाले PhonePe ने भी इसे अपनाया। आज UPI देश में तत्काल भुगतान की सबसे पसंदीदा प्रणाली है, क्योंकि यह डिजिटल वॉलेट के रूप में काम नहीं करता है और बैंक खातों में धन के निर्बाध हस्तांतरण को सक्षम बनाता है। मार्च 2021 तक UPI ने 2,732 मिलियन लेनदेन किए थे।
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जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था को कैशलेस करने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है, वैसे-वैसे औपचारिक भुगतान प्रणाली के लाभ भी सामने आ रहे हैं। सरकारी एजेंसियों के लिए नकद भुगतान की निगरानी करना आसान नहीं है लेकिन कैशलेस भुगतान के साथ, सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए धन के लेन-देन को ट्रैक करना और आतंक के वित्तपोषण और कालाबाजारी जैसे खतरों पर नकेल कसना बहुत आसान हो गया है। जब पीएम मोदी सत्ता में आए तो चीन ई-पेमेंट बाजार में अग्रणी था, लेकिन पिछले छह-सात वर्षों में ई-पेमेंट ने भारत को विश्व में अग्रणी कर दिया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की विशेष भूमिका है।