हमारे बड़े बुजुर्गों ने एक बात बहुत सही कहा है, परिश्रम का फल सदैव मीठा होता है, लेकिन इस बात को रोहित शेट्टी ने कुछ अधिक ही गंभीरता से ले लिया। अनेक बाधाएं आई, कोरोना की एक नहीं दो-दो लहरें आई, OTT के लुभावने ऑफर भी आए, परंतु रोहित शेट्टी अपने प्रण से टस से मस नहीं हुए। आखिरकार अब उनकी फिल्म सूर्यवंशी थियेटर में रिलीज हो चुकी है। रोहित शेट्टी बॉलीवुड के ऐसे डायरेक्टर्स में से एक हैं, जो आज भी मसाला मास एंटरटेनर में यकीन करते हैं और सूर्यवंशी उसी जॉनर की फिल्म है। फिल्म में एक्शन, रोमांस, ड्रामा के साथ ही सिंघम और सिंबा भी हैं। आज इस आर्टिकल में हम काफी सटीक तरीके से जानेंगे कि आखिर कैसी है रोहित शेट्टी की हाल ही में प्रदर्शित फिल्म ‘सूर्यवंशी’।
दरअसल, रोहित शेट्टी के बहुप्रतीक्षित ‘Cop Universe’ का श्रीगणेश करने वाले अक्षय कुमार इस फिल्म में कैटरीना कैफ के साथ मुख्य भूमिक में हैं, जिनका साथ गुलशन ग्रोवर, कुमुद मिश्रा, जैकी श्रॉफ, अभिमन्यु सिंह…आदि एक्टर्स ने दिया है। कहानी मुख्य तौर से मुंबई के ATS प्रमुख DCP वीर सूर्यवंशी पर आधारित है, जो अपने कार्य के कारण अपने परिवार से अलग रहते हैं। ये 1993 के Black Friday ब्लास्ट में अपने अभिभावकों को खो चुके हैं और इसीलिए वे आतंकवाद के विरुद्ध युद्धस्तर पर कार्रवाई को उद्यत रहते हैं।
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सूर्यवंशी को आभास होता है कि 1993 में जो आरडीएक्स उपयोग में लाया गया, उसका एक बड़ा हिस्सा अभी भी छुपा हुआ है, जिसका उपयोग जल्द ही मुंबई पर एक और बड़े हमले को अंजाम देने के लिए किया जा सकता है। वह कैसे इस आतंकी हमले का विध्वंस करते हैं, और कैसे अपने बिखरे हुए जीवन को पटरी पर लाते हैं, सूर्यवंशी की कहानी इसी के इर्द गिर्द घूमती है।
रोहित शेट्टी में भी दिखा विरोध का खौफ!
गौरतलब है कि बहुत दिनों के बाद थियेटर में किसी फिल्म के दर्शन हुए हैं, और OTT पर जितना चाहे आप किसी फिल्म को बिंज वॉच करें, लेकिन थियेटर का अनुभव अलग ही होता है। सिनेमाघर में किसी दमदार डायलॉग पर सीटी बजाने और तालियां पीटने का आनंद घर बैठे-बैठे नहीं मिल पाता, और ये बात इस फिल्म के डायरेक्ट रोहित शेट्टी भलि-भांति जानते हैं।
यदि आप यह सोच कर इस फिल्म को देखने जा रहे हैं कि इस फिल्म में आपको यथार्थवाद मिलेगा, या फिर आपको एक अच्छी सीख मिलेगी, तो क्षमा कीजिए, ‘सूर्यवंशी’ आपके लिए सही फिल्म नहीं है! ऐसी फिल्मों के लिए आपको दिमाग बाहर रखकर आना पड़ता है, क्योंकि रोहित शेट्टी वही बनाते हैं, जो जनता को सिनेमाघरों तक खींचने पर विवश कर दे। लॉजिक, स्क्रिप्ट, कॉमन सेंस जाए तेल लेने, जनता के ताने हो या क्रिटिक्स की गाली, उन्हें तनिक भी फर्क नहीं पड़ता!
अब बात जब गुणों की हो ही रही है, तो रोहित शेट्टी के अंदर एक गुण और भी है और वो है दोनों पक्षों को मनाने की। इस फिल्म को देखने के बाद रोहित शेट्टी की निष्पक्षता को देखकर एक विचार अवश्य आता है– सही खेल गए भाई तुम तो! जिस प्रकार से सनातनियों ने अपनी संस्कृति के अपमान पर बॉलीवुड के कथित हस्तियों को आड़े हाथ लिया, और जिस प्रकार से इस फिल्म में रोहित शेट्टी ने पूर्ण निष्पक्षता दिखाते हुए किसी भी पक्ष को अधिक सही या गलत दिखाने का प्रयास नहीं किया, कहीं न कहीं फिल्म बनाते समय उनके मन में भी ये सारे भाव रहे होंगे।
अजय देवगन निकलें इस फिल्म की असली जान!
लेकिन इस फिल्म की असल जान अक्षय कुमार नहीं, अजय देवगन निकले! जैसे चाशनी बिना गुलाब जामुन और आलू बिना समोसा फीका लगता है, वैसे ही पुलिस अधिकारियों पर रोहित शेट्टी की फिल्म हो और अजय देवगन न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। यूं तो इस फिल्म में अजय देवगन की भूमिका बहुत ही सीमित है, लेकिन जितनी देर के लिए आए, उन्होंने स्क्रीन पर तहलका मचा दिया, लोग बावले होकर सीटियां बजाने लगे। एक दर्शक ने तो अपने बच्चों की प्रतिक्रिया को ट्विटर पर कुछ ऐसे पोस्ट किया है–
https://twitter.com/AmitSin23925078/status/1457034147201835011
तनिष्क बागची ने फिर से कर दी है संगीत की हत्या!
लेकिन अगर ये फिल्म मनोरंजन की दृष्टि से ‘पैसा वसूल’ है, तो कुछ ऐसी बातें हैं, जो निस्संदेह आपको बोलने पर अवश्य विवश करेंगी। रोहित शेट्टी की फिल्म में लॉजिक और कॉमन सेंस पर चारों ओर से धावा बोला जाएगा ये सर्वविदित हैं, लेकिन लोग एक महामारी से लगभग अपरिचित थे, अब रोहित शेट्टी ने दुनिया से फिर उनका परिचय करा दिया है! दरअसल, हम बात कर रहे हैं तनिष्क बागची की।
कोरोना की वैक्सीन तो आ ही गई है और शायद संसार के लगभग सभी जटिल से जटिल महामारी का इलाज संभव है, लेकिन तनिष्क बागची जिस प्रकार से संगीत की हत्या करते हैं, उसका कोई इलाज नहीं है! ‘टिप टिप बरसा पानी’ हो या फिर पंजाबी गीत ‘न जा’, जिस प्रकार से इस व्यक्ति ने इन दोनों गीतों का कबाड़ा किया है, उसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।
कुल मिलाकर यदि आप जीवन की जटिलताओं से त्रस्त हैं और कुछ समय मनोरंजन के लिए ढूंढ रहे हैं, तो ‘सूर्यवंशी’ आपके लिए उत्तम विकल्प है। लेकिन यदि आप कला के प्रेमी हैं, और यथार्थ की खोज में निकले हैं, तो क्षमा कीजिए, यहां निराशा ही हाथ लगेगी!
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