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भूतकाल और वर्तमान के 7 अजूबों के नाम और सक्षिप्त इतिहास

TFI Desk द्वारा TFI Desk
15 December 2021
in इतिहास
7 अजूबों के नाम
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प्राचीन 7 अजूबों के नाम

प्राचीन विश्व में सबसे पहले 7 अजूबे का विचार हेरोडोटस और कल्लिमचुस को आया था. सबसे पहले लगभग 2200 साल पहले दुनिया के सात अजूबे आये थे. उस समय 7 अजूबों के नाम थे –

(1) ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गिज़ा,

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(2) हैंगिंग गार्डन ऑफ़ बेबीलोन,

(3) स्टेचू ऑफ़ ज़ीउस अट ओलम्पिया ,

(4) टेम्पल ऑफ़ आर्टेमिस ,

(5) माउसोलस का मकबरा ,

(6) कोलोसुस ऑफ़ रोडेज ,

(7) लाइटहाउस ऑफ़ अलेक्सान्दिरा

इन सभी 7 अजूबो में सिर्फ ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गिज़ा बचा हुआ है. जिसके कारण इसे अब एक 7 अजूबों से अलग एक विशेष स्थान दिया गया है. बाकि सभी अब नष्ट हो चुके है. इसके बाद कई देश के इंजिनियर और शोधकर्ताओं ने अपने अपने हिसाब कई लिस्ट निकाली, लेकिन उसे पुरे विश्व से सहमति नहीं मिली.

21 सदी के 7 अजूबों के नाम

1999 में सात अजूबे को नए तरीके से सबके सामने लाने के लिए स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिक में न्यू 7 वंडर फाउंडेशन बनाया. जिसके तहत कैनेडा में एक साईट बनवाई गई. जिसमें विश्व भर की 200 कलाकृति थी. इसमें एक पोल शुरू हुआ.

जिसमें लगभग 100 मिलियन लोगों ने नेट एवं फोन के द्वारा अपना वोट दिया. इन 200 एंट्री में से 7 एंट्री को चुनना था. इस परियोजना में इन्टरनेट के द्वारा एक इन्सान एक ही बार 7 अजूबों के नाम चुन कर वोट कर सकता था, लेकिन फ़ोन के द्वारा एक इन्सान कई वोट दे सकता था. वोटिंग 2007 तक चली . जिसका परिणाम 7 जुलाई 2007 को लिस्बन में सबसे सामने आया.

7 अजूबों के नाम (7 Seven Wonders Name) इस प्रकार है-

7 अजूबों के नाम – चीन की दीवार, पेट्रा, ताजमहल,  क्राइस्ट रिडीमर,  माचू पिच्चु,  कोलोसम,  चीचेन इट्ज़ा

चीन की दिवार The Great Wall of China – चीन की दीवार का निर्माण सातवीं शताब्दी से 16 वीं शताब्दी तक हुआ था. यह महान कलाकृति इतनी मजबूत, और विशाल है कि इसे ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना कहा गया. चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शासको के द्वारा उत्तरी हमलावरों से रक्षा के लिए पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक बनवाया गया.

इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इस मानव निर्मित ढांचे को अन्तरिक्ष से भी देखा जा सकता है. यह विशाल दिवार पूर्व के दंदोंग से शुरू होकर पश्चिम में लोप लेक तक फैली है. चीन की दीवार लगभग 6400 किलोमीटर तक फैली है, और यह 35 फीट ऊँची है.

पेट्रा History of Petra – पेट्रा का निर्माण 312 ईसा पूर्व में हुआ था. साउथ जॉर्डन में बसे पेट्रा शहर की कलाकृति सात अजूबों में शामिल है. यह एक एतेहासिक और पुरातात्विक शहर है. यह मुख्य रूप से नाबतीयन नामक प्राचीन लोगों द्वारा बसाई गई बस्ती थी. ये शहर बहुत फेमस है.

इस शहर को रोस सिटी भी कहा जाता है, क्यूंकि यहाँ को पत्थर काटकर कलाकृति बनी है. वो सब लाल रंग की है. इसका निर्माण 312 BC के लगभग हुआ था. इस शहर में चट्टानों को काटकर वास्तुकला का निर्माण हुआ है, साथ ही यहाँ पानी की नालीनुमा प्रणाली है, यही वजह है यह जॉर्डन का मुख्य आकर्षण है.

ताजमहल history of Taj Mahal – ताजमहल को भारत की शान कहा जाता है.यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है.यह अपनी खूबसूरत कलाकारी, आकृति की वजह से इसे अजूबा बोला गया था. ताजमहल का निर्माण 1632 में शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज की याद बनवाया था.

इसे एक प्यार की निशानी के तौर पर देखा जाता है. सफ़ेद संगमरमर का बना ताजमहल अपने अंदर खुबसुरती को समेटे हुए है. ताजमहल भारत के आगरा शहर में स्थित है. इसे बनवाने में 15 साल का समय लगा था.ताजमहल की सुन्दरता को देखने के लिए, देश दुनिया से लोग दूर दूर से आते है.

माचू पिच्चु history of Machu Picchu – दक्षिण अमेरिका के पेरू में स्थित माचू पिच्चु एक एक कोलम्बस-पूर्व युग, इंका सभ्यता से संबंधित ऐतिहासिक स्थल है. यह समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी, जिसमे से उरुबाम्बा नदी बहती है, के ऊपर एक पहाड़ पर स्थित है.यह दुनिया के सातवे अजूबो में से एक है. पुरातत्वविदों का मानना है कि माचू पिच्चु का निर्माण राजा पचाकुती ने 1400 के आस पास करवाया था.

1911 में अमेरिका के इतिहासकार हीरम बिंघम ने इसकी खोज की थी. और इसे दुनिया के सामने लाया. 1983 में यूनेस्को इसे विश्व की धरोहर घोषित किया. यहाँ इंका सभ्यता की कलाकृति को आज भी देखा जा सकता है.

और पढ़े: मुंबई में 10 सबसे बेस्ट घुमने की जगह जहाँ सभी को जाना चाहिये

क्राइस्ट दी रिडीमर History of Christ the Redeemer – ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित ईसा मसीह की एक प्रतिमा है. जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता है. दुनिया एकलौते जीवते परमेश्वर येशु मसीह की 38 मीटर, लगभग 130 फीट ऊँची और 28 मीटर चौड़ी यह प्रतिमा दुनिया के अजूबों में से एक है. येशु मसीह की इस मूर्ती का निर्माण 1922 में शुरू हुआ था.

जो 12 अक्टूबर 1931 को इस जगह पर स्थापित किया गया था. इसका वजन 635 टन (700 शॉर्ट टन) है और तिजुका फोरेस्ट नेशनल पार्क में कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है

रोम का कोलोसियम Roman Colosseum History – रोम के इडली में बसा ये एक विशाल स्टेडियम यहां का मुख्य कारण है. इसका निर्माण 72 AD में शुरू होकर 80 AD में पूरा हुआ था. कहा जाता है कि यहाँ जानवरों की लड़ाई, खेल कूद, संस्कृतिक कार्यक्रम होते थे.

यह 24 हजार वर्गमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इस जैसी आकृति को बनाने की कोशिश कई इंजिनियरों द्वारा की गई. पर आज तक कोई इसे बना नहीं पाया है. यहाँ 50 हजार से 80 हजार लोग बैठ सकते है.

चीचेन इट्ज़ा Chichen Itza – चिचेन इट्ज़ा कैनकन के पश्चिम में 200 किलोमीटर की दूरी पर युकाटन राज्य में स्थित है. इसका निर्माण AD 600 में हुआ था. यह मेक्सिको के सबसे संरक्षित पुरातात्विक स्थलों में से एक है. इट्ज़ा जातीय-वंश समुदाय का नाम है जिसने स्पेनिश विजय से पहले मैक्सिको के उत्तरी प्रायद्वीप पर शासन किया था. यहां हर साल 1.4 मिलियन पर्यटक घुमने आते है.

चिचेन इत्ज़ा का माया मंदिर 5 किलोमीटर में फैला हुआ है. यह 79 फीट ऊँचा है. जो पत्थरों से पिरामिड की आकृति का बना है. इस मंदिर में उपर जाने के लिए चारों दिशाओं से सीढियां बनी है. यहां टोटल 365 सीढियां है. हर दिशा से 91 सीढियां है. कहते है, हर एक सीढ़ी एक दिन का प्रतिक है. उपर 365 दिन के लिए एक बड़ा चबूतरा बना हुआ है.

और पढ़े: द्वितीय विश्व युद्ध कब हुआ, कारण, परिणाम और इसका अंत?

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