पंजाब में जल्द ही कोई बड़ी घटना घटित हो सकती है। इस बात की संभावना प्रबल है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह ही देश के किसी बड़े नेता की हत्या भी हो सकती है। हम खुद ये बात नहीं कह रहे हैं, दरअसल, कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो ऐसी संभावनाओं को प्रबल कर रहे हैं। ISI और खालिस्तानियों के गंठजोड़ ने भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने पंजाब सहित उत्तर के कुछ हिस्सों में अधिक आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अपने आतंकी संगठनों को सक्रिय कर दिया है, जो आगामी चुनावों में मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। खबरों की मानें तो ISI प्रायोजित सिख आतंकी संगठन चुनावी रैलियों को भी निशाना बना सकते हैं तथा पंजाब, यूपी और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में चुनावी प्रक्रिया के दौरान कुछ महत्वपूर्ण नेताओं या VVIP को मारने का प्रयास कर सकते हैं।
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चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतार सकते हैं आतंकी
पंजाब चुनाव की आड़ में खालिस्तानी आंदोलन को फिर से सक्रिय करने के लिए एक उपयुक्त अवसर के रूप में और अन्य मतदान वाले राज्यों में जहां सिख मतदाता बड़ी संख्या में हैं, ISI ने सभी छोटे या बड़े आतंकवादी समूहों को सक्रिय कर दिया है, जिन्हें चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने का काम सौंपा गया है।
पटरी में उतारने का मतलब क्या है? मतलब साफ है कि 1984 की भांति भारत के किसी बड़े नेता को मारकर, सिखों को बाकी देश का दुश्मन बनाया जाए और फिर जब बवाल कट जाए, तो सिखों के साथ भावनात्मक खेल भी खेलने की भी योजना है! इस संभावित खतरे के बारे में इनपुट पंजाब, यूपी और उत्तराखंड प्रशासन द्वारा साझा किए गए हैं, जिससे पता चला है कि ये आतंकी संगठन अन्य राज्यों में भी सिख आबादी के बीच अपना समर्थन हासिल करने के लिए घुसपैठ करने की कोशिश कर सकते हैं।
ISI ने प्रतिबंधित सिख मिलिटेंट संगठनों को स्पष्ट शब्दों में बता दिया है कि यह खालिस्तान के लिए ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ का समय है। इसके साथ राज्य पुलिसकर्मियों समेत यूपी और उत्तराखंड सरकारों को इन गतिविधियों पर नजर रखने और इन राज्यों में सिख धर्मगुरुओं तथा प्रमुख व्यक्तियों के संपर्क में रहने के लिए कहा गया है।
एक साथ सक्रिय हो गए हैं कई आतंकी समूह
बताया जा रहा है कि ISI ने विदेशों में सक्रिय सिख आतंकवादी समूहों को पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की आपूर्ति को चैनलाइज़ करने तथा इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF), बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) जैसे संगठनों को पाकिस्तानी हैंडलर के माध्यम से हथियारों की आपूर्ति की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। खबरों की मानें तो BKI के सिख आतंकवादी वाधव सिंह बब्बर, खालिस्तान कमांडो फोर्स के परमजीत सिंह पंजावर और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के रंजीत सिंह नीता लगातार आईएसआई के संपर्क में हैं तथा उनके निर्देशों का पालन कर रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर गुरपतवंत सिंह पन्नू, जिसे पहले ही भारतीय अधिकारियों द्वारा आतंकवादी घोषित किया जा चुका है, वो ब्रिटेन, अमेरिका और जर्मनी से भी पंजाब में अपने आदमियों का हर तरह से समर्थन करने के लिए सक्रिय है। यह भी कहा जा रहा है कि लखवीर सिंह के नेतृत्व वाले ISYF का पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गांवों में काफी प्रभाव है और उसके कई गुर्गे बम और अन्य विस्फोटक उपकरण बनाने में माहिर हैं। खबरों के मुताबिक विस्फोटक सामग्रियों की तस्करी के बाद पंजाब में सुरक्षित मार्ग की व्यवस्था करने का काम सिंह को ही सौंपा गया है।
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हाल ही में लुधियाना में हुए विस्फोट की जांच में यह भी पता चला है कि कैसे उल्लेखित सिख उग्रवादी समूहों द्वारा अपने जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ राज्य में आतंकी हमलों को अंजाम देने की कोशिश की जा रही है। यह सारी योजना पाकिस्तान के ISI की है। पंजाब सुरक्षा ग्रिड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ISI ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए मोहम्मद, इंडियन मुजाहिदीन और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे पुराने आतंकी समूहों को भी सक्रिय कर दिया है और उन्हें पंजाब तथा अन्य हिस्सों में अपने स्लीपर सेल नेटवर्क को फिर से बनाने का निर्देश दिया है। खबरों के अनुसार, ISI पंजाब के विधानसभा चुनावों को राज्य में खालिस्तानी आंदोलन को फिर से सक्रिय करने के अवसर के रूप में देख रही है।
जसविंदर सिंह मुल्तानी का है ISI से सीधा कनेक्शन
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सिख फॉर जस्टिस के जसविंदर सिंह मुल्तानी से जुड़े एक दर्जन से अधिक संदिग्धों की पहचान की है। आपको बताते चलें कि यह वही जसविंदर मुल्तानी है, जिसको भारत सरकार के अनुरोध पर जर्मन पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान पता चला कि मुल्तानी का सीधा संबंध ISI समर्थित तस्करी सिंडिकेट से है। सूचना के आधार पर जर्मन पुलिस ने मुल्तानी और उसके साथियों की स्वतंत्र जांच की थी। NIA ने दावा किया कि पंजाब में तस्करी नेटवर्क के माध्यम से धन, हथियार और विस्फोटक की व्यवस्था करने के पीछे मुल्तानी का हाथ था। वो पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन के विद्रोह के लिए SFJ की विचारधारा का प्रचार करने के लिए ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी उपयोग कर रहा था।
इनसे निपटने के लिए तैयार है भारत
वहीं, दूसरी ओर ऐसा नहीं है कि भारत सिर्फ हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है। भारत सरकार ऐसी संभावनाओ पर विरान लगाने के लिए पहले ही काम शुरू कर चुकी है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित ये आतंकी विंग, जम्मू और कश्मीर में जमीनी कार्यकर्ताओं के माध्यम से अधिक सक्रिय रहे हैं। खासकर अफगानिस्तान पर अब तालिबान का शासन होने के बाद यह समूह फिर से बड़े स्तर पर सक्रिय हो सकते हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पहले ही पूरी तैयारी कर ली है।
BSF के अधिकार क्षेत्र को सीमा से 50 किलोमीटर अंदर तक बढ़ा दिया गया है, इससे आगामी चुनावों में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में पंजाब के भीतरी इलाकों तक सुरक्षा बलों को मदद मिल सकती है। पंजाब पुलिस ने भी काफी सक्रियता से ऐसे मामलों की जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
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पंजाब पुलिस ने हाल ही में पाकिस्तान में ISI के इशारे पर काम करने वाले प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF) द्वारा समर्थित एक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था, जिसमें शामिल छह लोगों को नवंबर में पठानकोट सैन्य शिविर में ग्रेनेड विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। ऐसे में यह समय सचेत रहने का समय है। यह बात भारत की सुरक्षा एजेंसियां अच्छे से जानती हैं। खालिस्तानियों की आड़ में बड़े बवाल को अंजाम देने की तैयारी करने वाले ISI की हकीकत यही है कि वह भारत में विद्रोह करवाने की पूरी तैयारी में है।