सुरक्षा और सम्प्रभुता किसी भी देश की सबसे बड़ी शक्ति होती है। भारत मेक इन इंडिया के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और भविष्य की क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए योजना तैयार कर रहा है। देश को हाई-टेक हथियार और अलग अलग प्रकार के उपकरण बनाने के लिए एक लंबा सफर तय करना है।
भारत और चीन के बीच संघर्ष के साथ ही देश अपने रक्षा नीतियों को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने में जुट गया है लेकिन आज भी हमारे देश के भीतर कुछ ऐसे लिबरल भेड़िये अस्तित्व में हैं जो अपने देश की रक्षा नीतियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देते हैं। लिबरलों की ऐसी निम्न स्तर की सोच ही बनी हुई है कि भारतीय सशस्त्र बल किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करते हैं और उनका तर्क है कि भारतीय सशस्त्र बल पर खर्च ना कर उन पैसों का उपयोग सामाजिक उत्थान के लिए किया जाना चाहिए।
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लिबरल मानसिकता वाले लोगों की बोलती बंद
भारतीय सेना प्रमुख, जनरल एम एम नरवणे ने लिबरल मानसिकता वाले लोगों की बोलती बंद कर दी है। दरअसल, बुधवार को, सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवने ने कहा कि सशस्त्र बलों पर खर्च एक देश को कई संकटों से बचाने में मदद करता है। उन्होंने आगे कहा, “एक देश के समृद्ध होने के लिए, आपको एक स्थिर और शांतिपूर्ण वातावरण की आवश्यकता होती है। यह तभी होगा जब आपके पास मजबूत सशस्त्र बल होंगे जो आपकी सीमाओं को सुरक्षित रखेंगे। इसलिए, जब भी हम अपने सशस्त्र बलों पर किए गए खर्च की बात करते हैं, तो हमें इसे एक निवेश के रूप में नहीं देखना चाहिए। यह एक ऐसा निवेश है जिससे आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है और इसे अर्थव्यवस्था पर बोझ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
जनरल नरवणे ने कहा, “आपको देखना चाहिए कि संकट के समय अर्थव्यवस्था कैसे प्रभावित होती है। जिस समय कहीं भी युद्ध होता है या क्षेत्र में अस्थिरता होती है, उसका असर शेयर बाजारों पर देखा जा सकता है। आप उस तरह के झटके से तभी बच सकते हैं जब देश के सशस्त्र बल मजबूत हों।”
जनरल नरवणे ने कहा ,कई लोगों के मन में एक बड़ी गलतफहमी यह है कि रक्षा खर्च देश पर आर्थिक बोझ बढ़ाता है या कहें की एक कुएं में नकदी डंप करने जैसा है लेकिन ऐसा नहीं है। आप देखिए, मोदी सरकार स्वदेशीकरण पर जोर दे रही है। सरकार का लक्ष्य एक स्वदेशी रक्षा उद्योग बनाना है जो आत्मनिर्भर हो और भारत की सभी सैन्य जरूरतों को पूरा कर सके।
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रक्षा मंत्रालय ने क्या घोषणा की है?
यह भारतीय अर्थव्यवस्था के भीतर एक नए क्षेत्र के निर्माण की तरह है। उदाहरण के लिए, गुरुवार को, रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि भारत सैन्य उपकरणों के अपने उत्पादन में तेजी लाएगा, जिसमें हेलीकॉप्टर, टैंक इंजन, मिसाइल और हवाई पूर्व चेतावनी प्रणाली शामिल हैं। मंत्रालय के अनुसार अगले पांच वर्षों में घरेलू सरकारी और निजी रक्षा निर्माताओं को 2.1 ट्रिलियन रुपये (27.8 बिलियन डॉलर) के सैन्य ऑर्डर दिए जाने की संभावना है।
जब भारत का घरेलू रक्षा उद्योग फलने-फूलने लगेगा, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था में भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान देगा। इसके अलावा किसी भी देश की स्थिरता खासकर भारत की सशस्त्र बलों को आर्थिक रूप से एक अच्छी स्थिति में होना चाहिए। अगर भारत को उन पर बहुत कम पैसा खर्च करना होता, तो चीन और पाकिस्तान हमारे देश के खिलाफ लगातार युद्ध का प्रयास करते रहते।
दरअसल वैश्विक संकटों के खिलाफ भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता हमारे सशस्त्र बलों की ताकत से उत्पन्न होती है। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से केवल इसलिए बढ़ रही है क्योंकि हम एक राष्ट्र के रूप में सुरक्षित हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए जनरल नरवणे द्वारा यह संदेश स्पष्ट है: राष्ट्र की सुरक्षा में बैरल पर बड़े बिल बोझ नहीं हो सकते और राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए अपने सशस्त्र बलों पर काफी खर्च करना जारी रखना चाहिए।
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आज जिस तरह से मोदी सरकार में देश प्रगति के साथ राष्ट्र के निर्माण में कई उपलब्धियां हासिल कर रहा है और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता से देश वैश्विक स्तर पर मजबूत हो रहा है और मोदी सरकार की नीति और नरवणे जैसे देश के सेनापति के रहते भारत अपने दुश्मनों पर लगाम कसने के साथ-साथ हार का स्वाद चखाने में भी पूरी तरह सक्षम है और यह बात चीन और पाकिस्तान जैसे बहरूपिये देश को अच्छे से ज्ञात है।