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क्या ड्रोन तय करेंगे आधुनिक युद्ध का भविष्य?

युद्ध के तरीकों में ये कैसी क्रांति आ रही है?

Utkarsh Upadhyay द्वारा Utkarsh Upadhyay
5 April 2022
in चर्चित, विश्व
ड्रोन

सौजन्य गूगल

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युद्ध यानी दो पक्षों के बीच छिड़ा वो संग्राम जो आपकी भुजाओं की ताकत पर लड़ा जाए। परंपरागत रूप से, युद्ध सदैव क्रूर बल का उपयोग करके लड़े गए हैं। रूस-यूक्रेन विवाद में भी युद्ध इसी तरह लड़ा जा रहा है। हालांकि, युद्ध दिन प्रतिदिन बढ़ने के साथ ही उसके तरीकों में बदलाव आए है और वो विकसित भी हो रहा है, ऐसा इस चल रहे युद्ध में स्पष्ट दिख रहा है।

आज के परिदृश्य में यह जानना आवश्यक हो जाता है कि आगामी भविष्य में युद्ध की क्या परिभाषा हो सकती है। चर्चा इस बात पर भी होनी चाहिए कि निकट भविष्य में युद्ध कैसे दिखाई दे सकते हैं।

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और पढ़ें- रूस-यूक्रेन युद्ध से गहराये खाद्य संकट के बीच अब पश्चिमी देशों का अन्नदाता बनेगा भारत

मानव जीवन और सैन्य बुनियादी ढांचे को बर्बाद क्यों करना

एक-दूसरे की सेनाओं को घेरना युद्ध लड़ने का एक महंगा और पूरी तरह से परिहार्य तरीका है। ऐसे में आज के तकनीक से लैश दौर में मानव जीवन और सैन्य बुनियादी ढांचे को बर्बाद क्यों किया जाए जब बिना किसी मानव संसाधन को खोए आज किसी भी युद्ध या संघर्ष को जीता जा सकता है? उदाहरण के लिए, मानव रहित एरियल वाहन(यूएवी) या सशस्त्र ड्रोन को शारीरिक रूप से नियंत्रित करने के लिए किसी मानव की आवश्यकता नहीं होती है। इसके बजाय, ये ड्रोन इतना सामर्थ्य रखते हैं कि वो दुश्मन के संसाधनों, सैनिकों और बुनियादी ढांचे को अपने आप ध्वस्त कर सकें।

रूस का प्राथमिक उद्देश्य कीव को गिराना और यूक्रेन में शासन परिवर्तन को प्रभावित करना था और युद्ध के 40 दिन बीत जाने के बाद भी ऐसा अब तक नहीं हो पाया है। क्यों, ये सवाल सबके मन में है? तो यह देखना और समझना आवश्यक है कि, यूक्रेन के पास तुर्की द्वारा निर्मित घातक बायरकटार टीबी -2 सशस्त्र ड्रोन हैं, और ये रूस के आगे बढ़ने वाले हर कदम और काफिले पर घात लगाकर हमला करने में सहायक रहे हैं।

और पढ़ें- केवल और केवल भारत ही रोक सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध!

आक्रामक रूस की चाल को यूक्रेन ने धीमी कर दी

निश्चित ही कोई भी कदम उठाने से पहले ही आक्रामक रूस की चाल को यूक्रेन ने धीमी कर दी है। प्रारंभ में, रूस ने युद्ध में अपने स्वयं के सशस्त्र ड्रोन को नियोजित नहीं किया। हालांकि, जैसे-जैसे दिन बीतते गए, इसने उस रणनीति को बदल दिया और अपने स्वयं के ड्रोन को यूक्रेनी आसमान में पहुंचा दिया।

सशस्त्र ड्रोन तुलनात्मक रूप से छोटे होते हैं; अत्यधिक युद्धाभ्यासों में इसका आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है। लड़ाकू विमानों की तुलना में उनका हीट सिग्नेचर वास्तव में कम होता है। और यदि वे नीचे गिराए जाते हैं, तो वे एक सैनिक की बलि तक नहीं लेते हैं। इसलिए, अधिक से अधिक देश यूएवी तकनीक को अपना रहे हैं।

अब सबसे स्पष्ट सवाल यह है कि, भारत यूएवी तकनीक के बारे में क्या कर रहा है और दुनिया भर के संघर्षों से क्या सबक सीख रहा है? ध्यान रहे, यूक्रेन अकेला ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां सशस्त्र ड्रोन ने अपनी क्षमता साबित की है। सीरिया और नागोर्नो कराबाख क्षेत्र में, इन सशस्त्र ड्रोनों ने अन्य पक्ष को झुकने पर विवश कर दिया है जो उन्हें संचालित करता है।

इसलिए, भारत जैसे देश के लिए जो अपने उत्तर और पश्चिम में दुश्मन देशों का सामना करता है, कई सबक लेने और तत्काल आधार पर यूएवी तकनीक को अपनाने के लिए तैयार है। भारत ने विदेशी निर्मित ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। बेशक, इसका मतलब यह नहीं है कि भारत दुनिया भर से उच्चतम गुणवत्ता के सशस्त्र ड्रोन आयात नहीं करेगा। आयात प्रतिबंध काफी हद तक गैर-लड़ाकू ड्रोन से संबंधित है।

जब मानव रहित एरियल वाहनों की बात आती है, तो भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल से समान आयात करना चाहता है। भारत के पास इस समय इजरायली ड्रोन हैं। हालांकि, नई दिल्ली में बैठी सरकार और वाशिंगटन में बैठे वहां के नीति-निर्माता निकट भविष्य में एक बड़े ड्रोन सौदे को अंतिम रूप देने के लिए तैयार हैं। ड्रोन का यह प्रकार दुनिया भर में सबसे बेहतर यूएवी हैं; और भारत अपनी सेना, नौसेना और वायु सेना को उनमें से प्रत्येक को 30 के करीब देने की योजना बना रहा है। भारत और अमेरिका भी यूएवी विकसित करने के लिए अलग-अलग स्तर पर मिलकर काम कर रहे हैं जिन्हें विमान से लॉन्च किया जा सकता है।

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अहिंसक तरीका का वादा करता है साइबर युद्ध

यहां समझने वाले एक और बात है कि आपके समक्ष उद्देश्यों को प्राप्त करने का एक अहिंसक तरीका होगा, साइबर युद्ध यही वादा करता है। यह भी तय है कि भविष्य में युद्ध करने से पूर्व जिन बातों को टारगेट करके नीतियां बनाई जाएंगी उनमें किसी देश को सैन्य रूप से नष्ट करने के बजाय, भविष्य के युद्ध इस आधार पर लड़े जाएंगे कि उस देश के संस्थानों, पावर ग्रिड और इंटरनेट को कैसे बंद किया जा सकता है। कैसे उस देश की सैटेलाइट सेवाओं को उड़ाया जा सकता है, और कैसे उसकी अर्थव्यवस्था नीचे गिराया सकता है। इन सभी पर ध्यान केन्द्रीत रखते हुए सबकुछ तय होगा।

भारत साइबर युद्ध की संभावनाओं को बहुत महत्व दे रहा है। अपने बचाव और नियंत्रण के लिए रक्षा मंत्रालय और उद्योग भागीदार भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने हाल ही में भारतीय वायु सेना को अपने लड़ाकू विमानों के लिए एक उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट के साथ आपूर्ति करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह प्रणाली दुश्मन की सेनाओं की भारत के खिलाफ अभियानों के लिए आवश्यक जानकारी तक पहुंचने की क्षमता को पंगु बना देगी।

भारत उन राष्ट्रों की कुलीन लीग में से एक है जिनके पास उपग्रह-विरोधी क्षमताएं हैं। भारत ने अपने सैन्य हथियारों के भीतर से समर्पित साइबर युद्ध इकाइयां भी विकसित की हैं। लेकिन सितारों के आगे जहान और भी हैं और भारत को अभी भी लंबा रास्ता तय करना है, यह खुशी मनाने का समय नहीं है। भारत को साइबर युद्ध के साथ-साथ यूएवी क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सुधार करने की जरूरत है।

भारत को भविष्य के लिए तैयारी करनी चाहिए

अंततः, समय की मांग यही है अब टैंकों पर भारत का ध्यान केन्द्रीत न होते हुए ड्रोन पर होना चाहिए। लड़ाकू वाहनों और टैंकों के सभी मध्यस्त ड्रोन द्वारा निकाले जा सकते हैं और सत्य तो यह है कि वे ड्रोन की तुलना में बहुत अधिक महंगे भी होते हैं, जिसका परिणामस्वरूप मानव संसाधनों का नुकसान भी होता है। भारत को दूरदर्शिता के साथ भविष्य के लिए तैयारी करनी चाहिए, और अपने शस्त्रागार को अत्याधुनिक ड्रोन और साइबर युद्ध तकनीकों से भरना चाहिए।

Tags: ड्रोनयुक्रेनयोद्धरूसरूस युक्रेन विवाद
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खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की
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खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

19 November 2025

उत्तराखंड ने एक बार फिर खनन क्षेत्र में अपने बेहतरीन काम और लगातार सुधारों की वजह से केंद्र से बड़ी प्रोत्साहन राशि हासिल की है।...

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