उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के दुबारा सत्ता में आने के बाद राज्य में फिर से कानून से लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था तक के सभी काम सुचारु ढंग से शुरू हो गए हैं। उत्तर प्रदेश में इस बार अपने विकास कार्यों को लेकर चर्चाओं के केंद्र में हैं राज्य के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक। वो उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री भी है। ब्रजेश पाठक के स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में मेडिकल माफिया, भ्रष्ट में लिप्त डॉक्टर आज थर-थर कांप रहे हैं।
आपको बतादें दे की 2017 से पहले वाली सरकारों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा चुकी थी लेकिन योगी सरकार के आने के बाद राज्य में मेडिकल क्षेत्र पर बहुत काम किया गया है और 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ब्रजेश पाठक के नेतृत्व में स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास को निरंतर प्राथमिकता दी जा रही है। ब्रजेश पाठक उपमुख्यमंत्री बनने के बाद से निरंतर चर्चाओं में रह रहे हैं। कभी वो कामचोर डॉक्टर को फटकारते हुए नज़र आते हैं तो कभी मेडिकल माफियाओं की लंका लागते हुए दिखाई पड़ते है।
मामले की जांच के आदेश
अब इसी क्रम में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, फिर से चर्चाओं में आ गए हैं। दरअसल गुरुवार को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में स्टॉक की गई 50 लाख रुपये की एक्सपायरी दवाओं के मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक गुरुवार को लोहिया संस्थान परिसर पहुंचे और स्टोर रूम में रखे दवा वितरण काउंटरों और स्कैन किए गए रिकॉर्ड से एक्सपायरी दवाओं की तलाश शुरू कर दी और लगभग 45 मिनट के अपने निरीक्षण के दौरान, उन्होंने अंततः 322 पृष्ठों की गिनती की, जिसमें 50 लाख की एक्सपायरी दवाओं की सूची थी।
इस मुद्दे पर ब्रजेश पाठक ने पूछा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी स्पष्टीकरण मांगा कि उन दवाओं को बदले में अन्य दवाएं प्राप्त करने के लिए निर्माण फर्मों को वापस क्यों नहीं किया जा सकता है। लेकिन संस्थान के निदेशक डॉ सोनिया नित्यानंद सहित कोई भी अधिकारी उनके प्रश्न का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। कुल मिलाकर, 2,48,668 एक्सपायरी दवाओं की सूची पाई गई जो पिछले 5 वर्षों से वहां रखी गई थीं। आपको बतादें कि इस मामले को लेकर चिकित्सा शिक्षा सचिव, जीएस प्रियदर्शी, लोहिया संस्थान में जांच का नेतृत्व करेंगे। यह जांच इस बात पर केंद्रित होगी कि ये दवाएं मरीजों को क्यों नहीं दी गईं या बदले में अन्य दवाएं लेने के लिए निर्माण कंपनियों को क्यों नहीं लौटाई गईं।
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ब्रजेश पाठक ने कहा
लोहिया अस्पताल रिवाल्विंग फंड से दवाएं खरीदता है। यह प्रणाली मरीजों को सस्ती दरों पर दवा उपलब्ध कराती है। लेकिन न तो मरीजों को ये दवाएं मिलीं और न ही उन्हें वापस किया जा सका। पाठक ने बाद में मरीजों से मुलाकात की और परिसर में उन्हें प्रदान किए जा रहे भोजन सहित सेवाओं का जायजा लिया और उन्होंने संस्थान की कैंटीन और रसोई सेवाओं की भी जाँच की। उप मुख्यमंत्री ने निदेशक सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार लगाई। साथ ही चेतावनी दी कि इस तरह की गलती दोबारा मिली तो सख्त कार्रवाई होगी। इस दौरान लोहिया संस्थान से मरीज रेफर करने के मामले में भी पड़ताल कराई गई और निर्देश दिया कि बेड खाली न होने का बहाना बनाकर मरीजों को रेफर न किया जाए।
अब यह तो साफ हो चुका है की भाजपा और ब्रजेश पाठक के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था प्रगति की तरफ बढ़ेगी और ब्रजेश पाठक द्वारा एक्शन मोड में किये जा रहे कार्य से उत्तर प्रदेश की आमजनमानस बहुत ही खुश नज़र आ रही है।
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