आंध्र-प्रदेश में 2024 में विधानसभा चुनाव होना है. विधानसभा चुनावों को लेकर अभी से राजनीतिक समीकरण बनने लगे हैं. 175 सीटों पर होने वाले इस बार के चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं. इस बार आंध्र-प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बीजेपी बड़ी भूमिका निभाने जा रही है. जन सेना मुखिया और टॉलीवुड स्टार पवन कल्याण के बयान से यह साफ समझ आता है कि बीजेपी की भूमिका राज्य में इस बार बड़ी होने जा रही है. पवन कल्याण ने बयान देते हुए कहा कि वो बीजेपी के नेतृत्व से बात करेंगे और कोशिश करेंगे कि 2024 विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी का टीडीपी के साथ गठबंधन हो जाए.
नायडू चाहते हैं गठबंधन
पवन कल्याण के इस बयान के बाद प्रदेशी की राजनीति में भूचाल-सा आ गया. सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस ने इस बयान की आलोचना की तो वहीं पवन कल्याण ने कहा कि सत्ता विरोधी लहर में पड़ने वाले वोट बंटे नहीं इसके लिए जरूरी है कि बीजेपी, टीडीपी और जन सेना एक साथ आकर चुनाव लड़े. जन सेना पहले से ही बीजेपी के साथ गठबंधन में है.
टीडीपी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी बीजेपी के साथ गठबंधन करना चाहते हैं लेकिन बीजेपी ने अभी इसको लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. दरअसल, बीजेपी जानती है कि ये वही चंद्रबाबू नायडू हैं जिन्होंने 2019 में बीजेपी को धोखा दिया था. उस वक्त चंद्रबाबू नाडयू राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की तरफ झुक गए थे. नायडू ने बीजेपी के विरोध में बने कांग्रेस के गठबंधन को भी ज्वॉइन किया था. चुनावों में नायडू ने बीजेपी को हराने के लिए प्रचार भी किया.
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‘बड़े भाई’ की भूमिका में आए बीजेपी
यही नहीं, टीडीपी ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी के विरुद्ध प्रचार किया था. इसी के चलते बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश का नेतृत्व कई बार इस बात को साफ कर चुका है कि वो टीडीपी के साथ दोबारा गठबंधन नहीं करेंगे. इसके बाद भी टीडीपी, बीजेपी के पीछे पड़ी है. टीडीपी किसी भी कीमत पर गठबंधन करना चाहती है. इसके लिए वो हर संभव प्रयास कर रहे हैं.
बीजेपी को गठबंधन में लाने के लिए चंद्रबाबू नायडू लगातार प्रयासरत हैं. इसके लिए वो बलिदान करने के लिए भी तैयार हैं. ऐसे में यही मौका है जब बीजेपी आंध्र-प्रदेश में ‘बड़े भाई’ की भूमिका में आ सकती है. चंद्रबाबू नायडू के अलग होने तक बीजेपी वहां ‘छोटे-भाई’ की भूमिका में रहती थी, लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं. अब बीजेपी वहां अपना प्रभाव रखती है.
बीजेपी का जनाधार राज्य में निरंतर बढ़ रहा है. बीजेपी का प्रभाव भी बढ़ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ वाईएसआर को दूसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए नायडू के पास गठबंधन करने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में बीजेपी अगर वापस गठबंधन में जाती भी है तो उसे ‘बड़े-भाई’ की भूमिका की तरफ ही देखना चाहिए.