‘इतिहास में केवल मुगलों का महिमामंडन, अब हमें इतिहास लिखने से कौन रोक सकता है?’

गृह मंत्री अमित शाह अब इतिहास पुनर्लेखन को लेकर ‘सीरियस’ हैं!

Amit Shah- History

Source: TFI

भारत के गौरवशाली अतीत को इतिहास के पन्नों में पहले तो जगह ही नहीं मिली, अगर किसी जुनूनी भारतीय ने इसकी कोशिश भी की तो उसे सजा दी गई। उन पन्नों को जला दिया गया या फिर पूरी किताब को ही छिपा दिया गया। कई ऐसी घटनाएं हैं और कई ऐसे वीर पुरुष भी हैं जिनके बारे में कभी बताया ही नहीं गया। एक तरह से कहें तो भारत के महान इतिहास को हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म करने की गहरी साज़िश रची गई।

छिपाया गया इतिहास

स्कूल की किताबों में इतिहास पढ़ाते समय केवल मुग़लों के बारे में बताया जाता है क्योंकि उन पुस्तकों में मुगलों का ही महिमामंडन किया गया है। लेकिन भारत का गौरवशाली इतिहास बताने वाली कोई किताब नहीं है जो बताये कि पांड्य साम्राज्य ने दक्षिण भारत और उत्तर श्री लंका में 800 वर्षों तक शासन किया।

अहोम साम्राज्य ने असम पर 650 वर्षों तक शासन किया और इतना ही नहीं अहोमों ने बख्तियार खिलजी, औरंगजेब को भी हरा दिया था और असम को संप्रभु बनाए रखा था। पल्लव साम्राज्य ने वर्तमान भारत के तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पर 600 वर्षों तक शासन किया। चोलों ने 600 वर्षों तक शासन किया।

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मौर्या साम्राज्य के मौर्यों ने अफगानिस्तान से श्री लंका तक 550 वर्षों तक पूरे देश पर शासन किया। सातवाहनों ने 500 वर्षों तक शासन किया। गुप्त साम्राज्य के शासकों ने 400 वर्षों तक शासन किया और (गुप्त सम्राट) समुद्रगुप्त ने पहली बार एक संयुक्त भारत की कल्पना की और पूरे देश के साथ एक साम्राज्य स्थापित किया। लेकिन उनकी गाथा गाने वाली कोई पुस्तक नहीं है। जबकि मुग़ल जिनका शासनकाल लगभग 200 वर्षों का ही है फिर भी उन्हें इतिहास की पुस्तकों में मंहिमामंडित किया जाता है।

‘सच्चा इतिहास लिखा जाए’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार, 10 जून को इतिहासकारों से वर्तमान के लिए अतीत की महिमा को पुनर्जीवित करने के लिए कहते हुए, ओमेंद्र रत्नू की पुस्तक “महाराणा: सहस्त्र वर्षों का धर्म युद्ध” का विमोचन करते हुए कहा, “इतिहास सरकारों द्वारा नहीं बनाया जा सकता है बल्कि इतिहास बनता है सच्ची घटनाओं से। भारत में अधिकांश इतिहासकारों ने पांड्यों और चोलों जैसे कई साम्राज्यों के गौरवशाली नियमों की अनदेखी करते हुए केवल मुगलों के इतिहास को दर्ज करने को प्रमुखता दी है।

गृह मंत्री ने कहा, “हम शिकायत करते हैं कि भारत के इतिहास से छेड़छाड़ की गई है। भारत के गौरवशाली इतिहास को कोई नहीं बताता, लेकिन अब समय आ गया है कि इतिहास को फिर से लिखा जाए। भारत के इन साम्राज्यों पर संदर्भ पुस्तकें लिखी जाएं ताकि जिस इतिहास को हम गलत मानते हैं वह धीरे-धीरे मिट जाए और सच्चाई सामने आए।”

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विदेशी आक्रमणकारियों को बाहर रखने वाले भारतीय राजाओं की कहानियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए लेखकों से आग्रह करते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि “इतिहास सरकार द्वारा नहीं बनाया जा सकता है” लेकिन “वास्तविक घटनाओं पर बनता है- और यह आवश्यक है कि इतिहास को उसके वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया जाए।”  इतिहास जीत या हार के आधार पर नहीं बल्कि किसी भी घटना के परिणाम के आधार पर लिखा जाता है। “हमें सच लिखने से कोई नहीं रोक सकता। अब हम स्वतंत्र हैं। हम अपना इतिहास खुद लिख सकते हैं।”

आक्रमणकारियों के खिलाफ भारतीय राजाओं द्वारा लड़ी गई कई लड़ाइयों को भुला दिए जाने पर शोक व्यक्त करते हुए, शाह ने कहा कि उन लड़ाइयों जैसे कि असम में अहोम राजाओं और छत्रपति शिवाजी के नेतृत्व वाले मराठों ने सुनिश्चित किया कि भारत उस स्थान पर पहुंच गया जहां वह अब है।

‘किताबें हैं सबूत’

भारत में इतिहास की किताबें वामपंथी लेखकों द्वारा तैयार की गई हैं, जो हिंदू राजाओं और राज्यों के योगदान की उपेक्षा करते हैं और यह मानना केवल आरएसएस और बीजेपी का ही नहीं बल्कि देशवासियों का भी है और बच्चो की स्कूल की इतिहास की किताबें इसका सबूत हैं।

आज के युवाओं पर फिल्मों का प्रभाव अधिक पड़ता है इसलिए शाह ने पहले फिल्म निर्माताओं से गुमनाम नायकों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया था। अप्रैल में, वह ओडिया स्वतंत्रता सेनानी बक्सी जगबंधु के जीवन पर आधारित एक टीवी धारावाहिक “विद्रोही” की स्क्रीनिंग को चिह्नित करने के लिए एक कार्यक्रम में उपस्थित थे। फिल्म सम्राट पृथ्वीराज की स्क्रीनिंग में भी वे नज़र आये।

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बीजेपी के आने के बाद तान्हा जी जैसी कई फिल्में आई हैं जो ऐसे ही कई गुमनाम नायकों की वीरगाथा कहती है जिसे आज की पीढ़ी को कभी बताया ही नहीं गया।

अपने बयान में आगे उन्होंने कहा, “अगर वीर सावरकर नहीं होते, तो मैं आपको बता सकता हूं, 1857 के बारे में सच्चाई सामने नहीं आती। क्रांतियां, जो भले ही उस समय पराजित हुई हों लेकिन वे समाज और लोगों को जगाने की क्षमता रखती हैं। रानी पद्मावती के बलिदान ने महिलाओं और पुरुषों को अपना सिर ऊंचा रखते हुए जीवन जीने के लिए ऊर्जा दी थी। इतिहास का दस्तावेजीकरण महत्वपूर्ण है और बाकी इन घटनाओं या विद्रोहों का क्या परिणाम रहा इसे लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव से आंका जाना चाहिए।”

आज तक भारत ने कई आक्रमणों का सामना किया। उन आक्रमणकारियों ने जिन क्षेत्रों पर हमला किया वहां की भाषा, संस्कृति और परंपराओं को समाप्त करने की पुरी कोशिशें की लेकिन भारत आज भी अपनी संस्कृति और परंपराओं को संजो रहा है, उन्हें संभाल रहा है। आज भारत एक बार फिर इतिहास लिख रहा है और यह गर्व की बात है।

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