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बाला साहेब ठाकरे द्वारा बनाई गई ‘लक्ष्मण रेखा’ को पार करना ही उद्धव सरकार के पतन की शुरुआत थी

क्या उद्धव अपने पिता के सिद्धांतों को भूल गए हैं ?

Ruchi Mehra द्वारा Ruchi Mehra
24 June 2022
in चर्चित
uddhav

Source - TFIPOST.in

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महाविकास अघाड़ी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी हैं। महज ढाई साल के भीतर ही उद्धव का किला ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच गया और इसके पीछे का कारण कोई और नहीं बल्कि उनकी खुद की ही पार्टी शिवसेना बन रही हैं। शिवसेना में इस वक्त दो फाड़ की स्थिति बनी हुई है। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों को अपने साथ लाकर उद्धव ठाकरे को अपनी ताकत का एहसास करा दिया। जिसके चलते उद्धव ठाकरे के हाथों से अब केवल सरकार ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी तक फिसलती हुई दिख रही है।

महाराष्ट्र में यह जो सियासी संकट गहराया है और शिवसेना में टूट की स्थिति बनी उसका जिम्मेदार कोई और नहीं स्पष्ट तौर पर उद्धव ठाकरे ही नजर आते हैं। कांग्रेस और एनसीपी के साथ बेमेल गठबंधन बनाकर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक तो पहुंचने में कामयाब हुए। परंतु इसके साथ ही उन्होंने शिवसेना के मूल सिद्धांतों को ताक पर रख दिया। देखा जाए तो उद्धव ठाकरे की उल्टी गिनती उसी दिन शुरू हो गई थी, जब उन्होंने अपने पिता और दिवगंत नेता बाला साहेब ठाकरे द्वारा बनाई गई “लक्ष्मण रेखा” को पार कर दिया था।

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यह सबकुछ उद्धव ठाकरे ने केवल मुख्यमंत्री पद की लालसा में किया और इसके साथ ही उन्होंने ठाकरे परिवार की परंपरा को भी तोड़ दिया। दरअसल, बाला साहेब ठाकरे ने ना तो कभी चुनाव लड़ा और ना ही कभी कोई राजनीतिक पद संभाला। महाराष्ट्र में सरकार किसी की भी हो, परंतु उसका रिमोट बाला साहेब के हाथों में ही होता था। रिमोट कंट्रोल के माध्यम से पूरे महाराष्ट्र पर उन्होंने अपना दबदबा बना रखा था। उद्धव ने जिन दिन अपने दिवंगत पिता की इस परंपरा को तोड़ा उन्होंने शिवसेना के पतन की कहानी लिख दी। उद्धव की इसी गलती और पार्टी संभालने की नाकामी ने शिवसेना की लुटिया डुबो दी। इन सबको देखकर पता चलता है कि शिवसेना के मौजूदा हालातों के सबसे बड़े जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ उद्धव ठाकरे हैं।

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