चले तो चांद तक, न चले तो शाम तक… चीनी सामानों को लेकर यह बात बहुत प्रसिद्ध है। हर कोई जानता है कि चीनी सामान की क्वालिटी कैसी होती है फिर भी चीन बड़ी ही चतुराई से कम दामों में अपने उत्पाद बेचकर विभिन्न देशों के बाजारों पर अपना कब्जा जमाए रखता है। भारत के बाजार पर अभी भी चीन का दबदबा कायम है। मोबाइल मार्केट में ही देख लें तो आज के समय में भी आपको अधिकतर भारतीयों के पास चीनी स्मार्टफोन ही देखने को मिलेंगे। ओप्पो हो या वीवो या फिर शाओमी, स्मार्टफोन के ये ब्रांड आजकल भारतीयों को खूब पसंद आते हैं और वे इन्हें जमकर खरीदते भी हैं।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे सस्ते चीनी स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने के भारत सरकार के कदम का सीधा लाभ देश और देश के लोगों को होने वाला है।
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हर जगह दिखता है चीनी माल, अब नहीं दिखेगा
आज आप किसी भी मोबाइल की दुकान पर चले जाएं वहां आपको सबसे अधिक चीनी स्मार्टफोन ही सजे हुए मिलेंगे। हालांकि अब इन्हीं चीनी स्मार्टफोन कंपनियों का भविष्य भारत में खतरे में पड़ता नजर आने लगा है। ऐसा लग रहा है कि भारत सरकार ने इन चीनी कंपनियों का बोरिया-बिस्तर देश से समेटने के इंतेजाम करने शुरू कर दिए है।
ब्लूमबर्ग की एक खबर के अनुसार भारत में 12 हजार से कम कीमत वाले चीनी स्मार्टफोन की अब छुट्टी होने वाली है। सरकार ऐसे चीनी स्मार्टफोन को बैन करने की तैयारी में है जिनकी कीमत 12 हजार रुपये से कम है। सरकार के इस कदम के पीछे का मकसद घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देना नजर आता है। देखा जाए तो जब से चाइनीज मोबाइल ने भारतीय बाजारों पर कब्जा किया, तब से ही घरेलू मोबाइल कंपनियों को काफी घाटा झेलना पड़ा। माइक्रोमैक्स, लावा जैसी कई घरेलू मोबाइल निर्माता कंपनी हैं जिन्हें आज कोई पूछता तक नहीं है। लेकिन एक समय ऐसा था जब माइक्रोमैक्स भारतीयों की पहली पसंद था। माइक्रोमैक्स के मेड इन इंडिया फोन दिग्गज स्मार्टफोन निर्माता कंपनी सैमसंग तक को टक्कर दे रहे थे।
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परंतु फिर चीनी कंपनियों ने बड़ी ही चालाकी से भारतीय बाजार में घुसपैठ की और सस्ते दामों में स्मार्टफोन्स उपलब्ध कराकर भारतीय मार्केट को अपने कब्जे में ले लिया। मार्केट ट्रैकर के अनुसार जून 2022 तक तिमाही के लिए 12 हजार से अंदर वाले स्मार्टफोन की कुल बिक्री में एक तिहाई का योगदान था, जिसमें चीनी कंपनियों का हिस्सा 80 प्रतिशत तक था।
देखा जाए तो सरकार के इस कदम से शाओमी, रियलमी जैसी कई चीनी कंपनियों को बड़ा झटका लग सकता है, जो बेहद ही कम दामों में अपने स्मार्टफोन्स बेचती आ रही है। वहीं भारत के लिए यह काफी लाभकारी साबित होगा। सबसे पहला और बड़ा फायदा तो यह होगा कि इससे मेड इन इंडिया जैसे अभियान को और बढ़ावा मिलेगा। घरेलू कंपनियों को प्रोत्साहन मिलेगा कि वो एक से बढ़कर एक स्मार्टफोन अपने देश के लोगों के लिए बनाए। साथ ही साथ इससे चीनी स्मार्टफोन पर भारतीयों की निर्भरता भी कम होगी। इसके अलावा इससे देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। जाहिर सी बात है, भारतीय अगर मेड इन इंडिया स्मार्टफोन को पसंद करेंगे और इन्हें खरीदेंगे तो देश में अधिक से अधिक स्मार्टफोन बनाने पर काम किया जाएगा। अधिक स्मार्टफोन बनाने के लिए अधिक लोगों की जरूरत होगी, जिससे सीधे तौर पर रोजगार में वृद्धि होगी।
चीनी कंपनियां बड़ी ही चालाक हैं, वो जहां व्यापार करती हैं, जहां से कमाई करती हैं, उस देश को बड़ी ही चतुराई से धोखा देने के प्रयासों में भी जुटी रहती हैं, भारत में तो कम से कम ये कंपनियां ऐसा ही करती हैं। यह सभी कंपनियां बड़ी ही चालाकी से भारत में व्यापार करते हुए मोटी कमाई करती है, परंतु जब टैक्स देने की बात आती है तो चीनी कंपनियां इससे बचने के लिए तमाम तरह के पैंतरे अपनाती हैं। इसके अलावा कई कंपनियां चालाकी से भारत में पैसा कमाकर चीन पैसे भेजती हैं।
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वीवो की धोखाधड़ी की पोल खुल गयी थी
प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में ऐसी कई चीनी स्मार्टफोन कंपनियों को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े गंभीर मामलों में लिप्त पाया। हाल ही में ईडी ने वीवो की धोखाधड़ी की पोल खोलते हुए बताया कि कैसे वीवो इंडिया ने मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए देश की वित्तीय प्रणाली को अस्थिर करने के प्रयास किए। एजेंसी ने तो वीवो के मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को आर्थिक आतंकवाद तक करार दिया था।
ऐसे में यह अति आवश्यक हो जाता है कि जो कंपनियां भारत में व्यापार करके, भारत से कमाई कर, हमारे देश को खोखला करने के प्रयासों में जुटी हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाए। भारत सरकार 12 हजार से कम कीमत वाले चीनी स्मार्टफोन पर जो लगाम कसने की तैयारी कर रही है वो उसी दिशा में एक बड़े कदम को प्रदर्शित करता है।
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