कुछ समय पहले कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, पवन खेड़ा और नेट्टा डिसूजा ने भाजपा नेता स्मृति ईरानी पर वार करते हुए उनकी बेटी ज़ोइश ईरानी के ऊपर कई प्रश्न उठाये थे। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी की वरिष्ठ नेता और उनकी बेटी का गोवा के रेस्तरां ‘सिली सोल्स कैफे ऐन्ड बार’ से संबंध है। उनका आरोप था कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी गैर-कानूनी बार चलाते हैं।
इस मामले में अब क्या हुआ है?
बोलने वाले और आरोप लगाने वाले लोग तो इस मामले को एक अवसर की तरह लेते हुए कुछ भी बोलकर निकल गए लेकिन अब उनकी यही मुंह चलाऊ आदत उनके गले का फांस बन गयी है। वो कैसे? तो चलिए जानते हैं इस लेख में कि इस मामले में अब क्या हुआ है।
पहले तो बेटी पर लगे आरोपों का स्मृति ईरानी ने खंडन किया और कहा था कि “यह कांग्रेस नेतृत्व के निर्देश पर किया गया था अर्थात् गांधी परिवार के कहने पर। क्योंकि मैंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने और सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भारतीय ख़ज़ाने से 5,000 करोड़ रुपये की लूट पर सवाल करने का दुस्साहस किया इसलिए कांग्रेस ने अपने नेताओं को आगे भेज मेरी बेटी का इस्तेमाल कर मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा है.”
कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ईरानी को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की थी। इस बार की बात को कांग्रेस ने बहुत उछाला और ट्विटर पर तरह-तरह के पोस्ट कर ईरानी और उनकी बेटी को ट्रोल करने लगे। लेकिन कहते हैं न कि ‘सच को किसी से डर नहीं लगता’ स्मृति ईरानी भी तीनों कांग्रेसी नेताओं को घसीटते हुए कोर्ट ले गयीं।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ईरानी ने तीनों कोंग्रेसी नेताओं के विरुद्ध मानहानि की याचिका दायर की। स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेताओं को उन्हें ‘बदनाम करने और झूठे आरोप लगाकर उनके चरित्र पर सवाल उठाने और व्यक्तिगत हमलों की एक श्रृंखला शुरू करने के षड्यंत्र के लिए नोटिस भेजा।
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तीनों कांग्रेस नेताओं को समन जारी
इसके बाद, दिल्ली HC ने स्मृति ईरानी द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे पर तीनों कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, पवन खेरा और नेट्टा डिसूजा को समन जारी किया। स्मृति ने हर एक दस्तावेज़ पेश किए और अंत तक अपनी लड़ाई लड़ी। सोमवार को दिल्ली हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया कि “केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उनकी बेटी जोइश गोवा रेस्तरां के मालिक नहीं हैं। उनके पक्ष में कभी कोई लाइसेंस जारी नहीं किया गया। स्मृति ईरानी या उनकी बेटी के पास न तो रेस्तरां है और न ही वे उस जमीन की मालिक हैं।”
अंततः कोर्ट भी कांग्रेसी नेताओं की इस साज़िश को समझ गयी और अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “तीनों प्रतिवादियों ने एक दूसरे और अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर स्मृति ईरानी और उनकी बेटी पर झूठे, तीखे और जुझारू व्यक्तिगत हमलों का षड्यंत्र रचा। यह स्मृति ईरानी की प्रतिष्ठा, नैतिक चरित्र और सार्वजनिक छवि को खराब करने, बदनाम करने और चोट पहुंचाने का एक मकसद है। जिनका मकसद जानबूझ कर ईरानी को ‘व्यापक सार्वजनिक उपहास’ का पात्र बनाना और बीजेपी नेता और उनकी बेटी के नैतिक चरित्र और सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना था। वास्तविक तथ्यों की पुष्टि किए बिना निंदनीय आरोप लगाए गए हैं। इस प्रकरण ने स्मृति ईरानी और उनके परिवार को बहुत बड़ी चोट पहुंचाई है और इन सबमें दुर्भावनापूर्ण इरादे से फर्जी बयान दिए गए हैं।”
न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने अपने 14 पन्नों के आदेश में कहा, ‘मैंने रिकॉर्ड में रखे गए विभिन्न दस्तावेज देखे हैं। खासकर, गोवा सरकार, आबकारी आयुक्त कार्यालय द्वारा 21 जुलाई 2022 को जारी कारण बताओ नोटिस को देखा है, जो किसी एंथनी डिगामा नाम के व्यक्ति को संबोधित है, न कि वादी (ईरानी) या उनके परिवार के सदस्यों को।’ दिल्ली हाईकोर्ट ने उनसे केंद्रीय मंत्री और उनकी बेटी के खिलाफ लगाए गए आरोपों से जुड़े ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट को हटाने के लिए भी कहा है।
भाजपा नेता ने उनके और उनकी बेटी के खिलाफ ‘निराधार’ आरोपों के लिए 2 करोड़ रुपये से अधिक का हर्जाना मांगा है। साथ ही, कांग्रेस और उसके नेताओं से उनके और उनकी बेटी के खिलाफ “निराधार और झूठे” आरोपों के लिए माफी मांगने की मांग की।
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सभी जानते हैं कि स्मृति ईरानी अपने काम और देश के प्रति किस तरह से समर्पित नेता और मंत्री हैं। अपने बेबाक सवालों और जवाबों से कांग्रेस की घिग्घी बंध जाती है। ऐसे में कांग्रेसियों को तो मिर्ची लगेगी ही पर इन कांग्रेसियों को यह समझ में ही नहीं आता कि कुंठायुक्त बयानबाजी और झूठे आरोपों से कितना वार कर लेंगे, किरकिरी होगी सो अलग।
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