कैंसर एक ऐसी घातक बीमारी है, जो हर वर्ष दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोगों की जान लेती है। कैंसर का अब तक पूरी तरह से इलाज संभव नहीं हुआ, जिस कारण इस बीमारी के सामने लोग हार जाते हैं। विभिन्न प्रकार के कैंसर अलग अलग स्टेज में जाकर जानलेवा रूप ले लेते हैं। इनमें से एक है महिलाओं में होने वाला स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर)। हर वर्ष भारत में करीब डेढ़ लाख ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं। इनमें से 90 हजार से एक लाख तक महिलाओं को सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ती है। हालांकि, इन सबके बीच मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC) ने एक ऐसी रिसर्च की है, जो ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी साबित हो सकती है।
दरअसल, 11 वर्षों तक चली रिसर्च में पाया गया कि लोकल एनेस्थीसिया के उपयोग से ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मृत्यु के जोखिम और स्तन कैंसर के दोबारा होने के चांस को कम किया जा सकता है। इस इंजेक्शन की केवल एक ही डोज से ब्रैस्ट कैंसर के सेल्स सुन्न हो जाएंगे और इससे शरीर के अन्य हिस्सों में सेल्स के प्रसार को रोका जा सकेगा। इंजेक्शन की कीमत की बात करें तो यह भी बेहद ही कम होगी। इसकी कीमत 40 रुपये से 70 रुपये के बीच बताई जा रही है। केवल इतना ही नहीं, इस इंजेक्शन की सहायता से मरीज की जान बचने के प्रतिशत में भी वृद्धि होने की संभावना है।
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रिसर्च में 11 कैंसर केंद्रों को शामिल किया गया था
इस इंजेक्शन को स्तन कैंसर रोगियों के उपचार में किसी वरदान से कम नहीं माना जा रहा है। इंजेक्शन को लेकर रिसर्च छोटे स्तर पर नहीं की गई बल्कि यह पूरे 11 वर्षों तक चली है। वर्ष 2011 में टाटा मेमोरियल अस्पताल ने स्तन कैंसर मरीजों के उपचार को लेकर अध्ययन शुरू किया था, जिसका शीर्षक था- “इफेक्ट ऑफ पेरी- टुमोरल इंफिल्ट्रेशन ऑफ लोकल एनेस्थेटिक प्रायर टू सर्जरी ऑन सरवाइवल इन अर्ली ब्रेस्ट कैंसर।”
रिसर्च के तहत देशभर के 11 कैंसर केंद्रों को शामिल किया गया। साथ ही इसमें 20 डॉक्टरों की टीम भी थी। टाटा मेमोरियल अस्पताल से 10 डॉक्टर अध्ययन का हिस्सा बने थे। इस स्टडी के लिए 30 वर्ष की आयु से लेकर 70 वर्ष की उम्र तक की लगभग 1600 महिलाओं का चयन किया गया था। इन 1600 में से 800 महिलाओं के स्तन कैंसर का उपचार केवल सर्जरी द्वारा किया गया। वहीं, बाकी 800 महिलाओं का इलाज इंजेक्शन सहित सर्जरी से किया गया। अध्ययन के दौरान दोनों ग्रुप की महिलाओं का निरंतर फॉलो-अप रखा गया। इनका प्रोटोकॉल केमो, रेडिएशन आदि किया गया। अध्ययन के छठे वर्ष के दौरान देखने को मिला कि इंजेक्शन का उपयोग किए गए मरीजों की जान बचाने में 30 प्रतिशत का सुधार देखने को मिला। यानी स्तन कैंसर के उपचार में यह इंजेक्शन उपयोगी साबित होता नजर आया। इस रिसर्च और रिपोर्ट की घोषणा 12 सितंबर को पेरिस में हुए कैंसर सम्मेलन के दौरान की गई थी।
क्रांतिकारी साबित हो सकता है यह उपचार
आम तौर पर क्या होता है कि सर्जरी के दौरान कैंसर सेल्स स्वयं को जिंदा रखने के लिए एक चैनल के माध्यम से शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में प्रवेश कर जाते हैं। इससे दोबारा कैंसर होने का खतरा बना रहता है परंतु इस नयी रिसर्च में दावा किया जा रहा है कि शोधकर्ताओं ने सेल्स के प्रसार को रोकने के लिए केवल एक इंजेक्शन से कामयाबी हासिल की है। इसे लेकर मेडिकल ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर व एक्टरेक के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता ने बताया कि जो हिस्सा कैंसर से प्रभावित है उसे सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थीसिया का प्रयोग किया जाता है। एनेस्थीसिया के लिए डॉक्टरों द्वारा लिडोकैन इंजेक्शन का उपयोग किया गया है। सर्जरी को शुरू करने से पूर्व इंजेक्शन को ट्यूमर के चारों तरफ दिया जाता है, जिससे कैंसर सेल्स पूरी तरह से सुन्न हो जाते हैं और शरीर के दूसरे हिस्सों में इनका प्रसार नहीं होता है।
इसके अतिरिक्त यह बताया गया कि इस इंजेक्शन की सहायता से क्योर रेट में भी पांच फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। जहां अभी आम तौर पर सर्जरी के पश्चात स्तन कैंसर के मरीजों की 81 प्रतिशत पूरी तरह से ठीक होने की संभावना होती है, वही इंजेक्शन के बाद यह बढ़कर 86 फीसदी हो गई। ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस इंजेक्शन के माध्यम से हर वर्ष एक लाख लोगों की जान बचाए जाने की उम्मीदें हैं। यानी स्तन कैंसर का शिकार होने वाली महिलाओं के उपचार में यह इंजेक्शन क्रांतिकारी साबित हो सकता है। देखा जाए तो देश में स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ती ही चली जा रही है। भारत सरकार के डेटा के अनुसार वर्ष 2020 में स्तन कैंसर से पीड़ित औसत 10 में से चार महिलाओं की मृत्यु हुई। एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में भारत में महिलाओं में सामने आए कैंसर के कुल मामलों में 39.4 प्रतिशत मामले ब्रेस्ट और सर्विकल कैंसर के थे। ऐसे में टाटा मेमोरियल सेंटर की इस रिसर्च से स्तन कैंसर के उपचार में बदलाव आने की उम्मीदें जगी हैं।
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