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पंचवर्षीय योजना नेहरू की देन नहीं थी, बल्कि वो भी कॉपी-पेस्ट की गयी थी

आज कांग्रेसी पंचवर्षीय योजना को लेकर छाती चौड़ी करते हैं और इसके लिए नेहरू का नाम लेते हैं लेकिन इस योजना के मूल और श्रेय की सच्चाई क्या है यह जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ना चाहिए।

TFI Desk द्वारा TFI Desk
7 December 2022
in इतिहास, ज्ञान
पंचवर्षीय योजना

SOURCE TFI

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यह बहुत दुखद है कि समृद्ध भारत ने अरबों से लेकर अंग्रेजों तक सभी के आक्रमण सहे, इस दौरान भारत को बहुत लूटा गया और अंततः संघर्ष के बाद जब आजादी मिली तो हम गरीब और पिछड़े देशों की श्रेणी में आ गए। परन्तु इस स्थिति से उभरने के लिए आजादी के बाद भारत में कई प्रकार की योजनाएं चलाई गईं जिसमें से एक सबसे महत्वपूर्ण योजना रही पंचवर्षीय योजना।

इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि आजाद भारत की नींव को बनाने का काम इन योजनाओं ने किया था। परन्तु पंचवर्षीय योजनाओं को बनाने और जमीन पर लागू करने में जिन लोगों का महत्वपूर्ण योगदान था उनकी आज के समय में बहुत कम बात होती है जबकि पूरा श्रेय पंडित जवाहरलाल नेहरू को दे दिया जाता है।

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इस लेख में हम जनेंगे कि पंचवर्षीय योजनाओं को बनाने का विचार असल में किसने दिया था और इसका मूल क्या है।

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क्या है पंचवर्षीय योजना?

पंचवर्षीय योजनाओं को पूर्ण रूप से समझने के लिए सबसे पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि पंचवर्षीय योजनाएं होती क्या हैं और भारत में इन्हें कब लागू किया गया था? पंचवर्षीय योजना एक ऐसी योजना है जिसके तहत सरकार के द्वारा आने वाले पांच सालों के लिए पूरा बजट निर्धारित किया जाता है और इस बजट के दो हिस्से किए जाते हैं जिसमें से एक हिस्से का उपयोग विकास कार्यों और दूसरा शासन-प्रशासन को चलाने के लिए किया जाता है।

कैसे शुरू हुई भारत में पंचवर्षीय योजना

भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत को जानने से पहले इसके इतिहास को जानना जरूरी है। असल में दुनिया में पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत उस समय के सोवियत संघ(USSR) और आज के रूस से होती है। 1928 में जोशेप स्टालिन द्वारा समाजवादी मॉडल के तहत इसे लागू किया गया था। उसके बाद भारत की बात की जाए तो विकास को ध्यान में रखते हुए यहां पर पहली बार सुभाष चंद्र बोस के द्वारा 1938 में “नेशनल प्लानिंग कमेटी” की स्थापना की गई थी और अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया। इसका उद्देश्य भारत में विकास कार्यों को बढ़ावा देना था।

देश के आजाद होने के बाद इसका नाम बदलकर 1951 में योजना आयोग(Planning Commission of India) कर दिया गया और इसके अध्यक्ष बने पंडित जवाहरलाल नेहरू। बस श्रेय लेने की कहानी यहीं से शुरू हुई। सुभाष चंद्र बोस के अलावा पंचवर्षीय योजनाओं को भारत में लागू करने का श्रेय जाता है के.एन राज और पी.सी. महालनोबिस को।

और पढ़ें- “नेहरू ने हनीट्रैप में फंसकर देश का बंटवारा किया”, सावरकर को ‘गाली’ देने वाली कांग्रेस की तो लग गई

योजना आयोग में के.एन राज दूसरे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत की पहली पंचवर्षीय का प्रारूप तैयार किया था। इस योजना में कृषि को प्राथमिकता दी गई थी और साल में 2.1 प्रतिशत जीडीपी का उद्देश्य रखा गया था परन्तु जब साल के अंत में आंकलन किया गया तो देखा गया कि देश की जीडीपी 3.6 प्रतिशत है।

इसका अर्थ है कि पंचवर्षीय योजना सफल तो रही लेकिन इसे जिस प्रकार से पंडित जवाहरलाल नेहरू से जोड़कर कहा जाता है कि ये उनका आइडिया था तो इसमें कितनी सत्यता है वो तो आप इन तथ्यों से बखूबी जान ही गए होंगे। इन सब बातों के अलावा पंचवर्षीय योजनाओं को सफल बनाने में एक और व्यक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है और वो हैं “पी.सी. महालनोबिस” इन्होंने दूसरी पंचवर्षीय योजना का प्रारूप तैयार किया था। जिसका उद्देश्य देश में औद्योगिकीकरण करना था और इस उद्देश्य में बहुत हद तक सफलता भी मिली।

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प्लानिंग कमीशन से नीति आयोग तक

पंचवर्षीय योजनाओं के बारे में जब बात की जाती तो हमें देखने के लिए मिलता है कि भारत में कुल 12 पंचवर्षीय योजनाएं चलाई गईं थीं जिसमें सबसे अंतिम पंचवर्षीय योजना 2012-17 के बीच चलाई गई थी। इसके अलावा साल 2015 में योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग कर दिया गया।

निष्कर्ष यह है कि पंचवर्षीय योजनाएं सिर्फ पंडित जवाहरलाल नेहरू की व्यक्तिगत सोच नहीं थी बल्कि ये सभी की संयुक्त सोच थी। इसीलिए सिर्फ नेहरू को श्रेय देना और उनका व्यक्तिगत फैसला बताना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। आज जो भी कांग्रेस के लोग योजना आयोग को लेकर छाती चौड़ी करते हैं उन्हें भी इसके बारे में पढ़ना चाहिए कि योजना आयोग का श्रोत कहां से है और भारत में इसे शुरू करने का पहला प्रयास किसने किया था।

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