Joshimath Sinking Crisis: जोशीमठ के संकट को देखकर पूरा देश कराह रहा है। सबसे अधिक परेशानी तो जोशीमठ के स्थानीय निवासियों को हो रही है। जिन घरों में वहां के स्थानीय लोग परिवार के साथ सुख पूर्वक रह रहे थे, अब उन्हीं घरों में दरारें हैं, आज वही घर उनके लिए सुरक्षित नहीं हैं। इतनी मुश्किलों के बाद भी कुछ लोग तो अपना घर तक नहीं छोड़ना चाहते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के सामने जोशीमठ के वासियों की दु:खभरी तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। इन तस्वीरों को देखकर किसी का भी मन विचलित हो सकता है। निस्संदेह, इस समस्या पर जोर देने और समाधान प्रदान करने की त्वरित आवश्यकता है लेकिन बुद्धिमत्ता इसी में है कि इस संकट से सीख ली जाए ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी आपादा का सामना लोगों को नहीं करना पड़े।
ध्यान देने वाली बात है कि केवल जोशीमठ ही वो स्थान नहीं है जहां पर ऐसी आपदा आई है या फिर इस तरह की स्थितियां पैदा हुई हैं। ऐसे कई और स्थान हैं जिनकी ओर भयानक संकट बढ़ रहा है क्योंकि जो कुछ आज जोशीमठ (Joshimath Sinking) में हो रहा है वो सब अचानक नहीं हुआ है। इसको लेकर पहले से ही चेतावनी दी जा रही थी।
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Joshimath Sinking: जोशीमठ का बुरा हाल
नौकरशाह एम.सी. मिश्रा ने 1976 में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि इस इलाके में होने वाले सड़कों के निर्माण के लिए चट्टानों की खुदाई और विस्फोट के साथ-साथ बेरोकटोक कंस्ट्रक्शन खतरा साबित होंगे। साथ ही यह भी कहा गया कि जोशीमठ (Joshimath Sinking) में रेत और पत्थर का जमाव है- यह ठोस चट्टान नहीं है। लेकिन जोशीमठ में घरों, बहुमंजिला इमारतों और सड़कों का जमकर निर्माण किया गया। यहां की जनसंख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हुई। द प्रिंट की खबर के अनुसार, जोशीमठ की आबादी 1872 में लगभग 400 थी लेकिन वर्तमान में यही आबादी लगभग 25000 हो गई है।
कुछ ऐसे स्थान भी हैं जिनकी परिस्थिति जोशीमठ की ही तरह है वहां के लोगों और जिम्मेदार लोगों को सीख लेनी चाहिए कि पहले से भी अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। ऐसे कई स्थान हैं जहां भूमि धसने का खतरा है, एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जोशीमठ के अलावा कई अन्य शहरों पर भी इसी तरह का खतरा मंडरा रहा है, आइए उन जगहों के बारे में जानते हैं।
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भयानक संकट से घिरे हैं ये स्थान
टिहरी
टिहरी गढ़वाल जिला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जहां टिहरी जिले के अटाली गांव से होकर गुजरने वाली ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन ने स्थानीय लोगों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। यहां के दर्जनों घरों में दरारें आ गई हैं। गांव के दूसरे छोर पर सुरंग का काम चल रहा है जिसके काम से भी मकानों में दरारें आ रही है। जिसके चलते गांव के लोग अटाली गांव से अपने पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।
बागेश्वर
बागेश्वर के कपकोट का खरबगड़ गांव भी संकटों से घिरा हुआ है। यहां जलविद्युत परियोजना की सुरंग के ऊपर पहाड़ी में गड्ढे बना दिए गए हैं जिससे जगह-जगह से पानी का रिसाव हो रहा है। जिससे गांव वाले डरे हुए हैं। वहीं कपकोट से भूस्खलन की खबरें भी आ रही हैं जो बेहद चिंताजनक है। सोराग गांव में भी भूमि में कई स्थानों पर भारी दरार पड़ गई है।
मसूरी
मसूरी एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जहां बड़ी संख्या में लोग घूमने जाते हैं। यहां भी लंढौर क्षेत्र में कुछ समय से लोगों के घरों व दुकानों में दरारें आई हुई हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि Joshimath में आए Sinking संकट को देखकर यहां के लोग भी दहशत में हैं। यहां की कोहिनूर बिल्डिंग तक के धंसने की खबर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि लंढौर बाजार करीब तीन दशक से धीरे-धीरे धंस रहा है।
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पौड़ी
उत्तराखंड के पौड़ी में हालात खराब हैं। बताया जा रहा है कि रेलवे प्रोजेक्ट के चलते यहां घरों में दरारें आ गई हैं। जिसके चलते यहां के लोग दहशत में हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि रेलवे दिन रात ब्लास्टिंग करता है। जिससे कंपन के कारण घरों में दरारें दिखाई देने लगी हैं। लोगों का कहना है कि सरकार को जल्द फैसला लेना होगा और मैनुअली काम करना होगा ताकि उनके घरों को नुकसान न पहुंचे।
रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग में भी संकट के बादल मंडराए हुए हैं। गांव में सुरंग निर्माण के कारण कुछ घर धराशायी हो गए हैं और कई धाराशायी होने की कगार पर हैं। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि अगर जल्द ही ग्रामीणों को यहां से नहीं हटाया गया तो बड़ा हादसा हो सकता है। वहीं रेलवे का निर्माण भी कार्य जोरों पर है। पहाड़ों में भूस्खलन की संभावनाओं को देखते हुए अधिकतर ट्रैक सुरंगों के माध्यम से होंगे जिसके चलते सुरंगों का निर्माण चल रहा है। जिससे लोगों के घरों में दरारें पड़ गई हैं।
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सतर्क रहना होगा
पहाड़ों में लोग बड़ी संख्या में घूमने जाते हैं जिसके कारण यहां पर कंस्ट्रक्शन का कार्य भी बड़े लेवल पर होता है। लेकिन कसंट्रक्शन कार्य यहां के स्थानीय लोगों के लिए बड़ी आफत बन रहा है। जोशीमठ को लेकर जैसा कि पहले ही चेतावनी (Joshimath Sinking) दी गई थी लेकिन इसके बाद भी यहां कंट्रक्शन का कार्य चलता रहा है जिससे जोशीमठ के लोग गहरे संकट में आ गए है। इसलिए उन तमाम क्षेत्रों को जोशीमठ से सबक लेने की आवश्यकता है। साथ ही सरकार को भी इन क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए कुछ नियम बनाने चाहिए।
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