मौलाना साजिद रशीदी: भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। यहां हर कोई अपने अनुसार रह सकता हैं, जो चाहे बोल सकता हैं। परंतु इसी स्वतंत्रता का कुछ लोगों के द्वारा गलत लाभ उठाया जाता है। कुछ लोग कुछ भी बोलकर देश के माहौल को खराब करने का प्रयास करते रहते हैं। यदि आप टीवी न्यूज चैनल पर डिबेट देखते होंगे, तो आपने अवश्य कुछ मौलानाओं को देखा होगा, जो इन बहसों का हिस्सा बनते हैं। इनकी मौजूदगी का कारण है अधिकतर टीवी चैनलों पर होने वाली धार्मिक बहसें ही होता है। इस दौरान यह ऐसी कई जहीरीली बातें बोल जाते हैं, जिनका समाज पर असर पड़ सकता है। आपने मौलानाओं के इन जहीरीले बयानों को तो अक्सर सुनते होंगे परंतु इनके पीछे का असल उद्देश्य क्या होता है, यह नहीं जानते होंगे। आज हम अपने इस लेख में इन मौलानाओं के बयान को डिकोड करते हुए इसके पीछे के असल उद्देश्य के बारे में जानेंगे।
देखा जाये तो देश में कई बड़े मुद्दे बिना किसी विवाद के खड़े हुए हल हो गये। उदाहरण के लिए राम मंदिर को ही ले लीजिए। वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा राम मंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय सुनाया गया। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को हर किसी ने स्वीकार किया। परंतु अभी भी बार-बार राम मंदिर के मुद्दे को उठाकर कुछ लोग देश के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने के प्रयास किए जाते हैं। इन मौलानाओं के बयानों को भले ही अपनी कोई गंभीरता से न लेता है, परंतु भविष्य में इसके दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते है।
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सोमनाथ मंदिर को लेकर विवादित बयान
अब हाल ही में एक मौलाना ने सोमनाथ मंदिर को लेकर इसी तरह का विवादित बयान दे दिया है। मौलाना साजिद रशीदी ने कहा है कि सोमनाथ मंदिर को जिन अक्रांताओं ने नष्ट कर उसे बर्बाद करने के प्रयास किए थे, वह सही था। इसके अलावा इसने एक टीवी डिबेट के दौरान हिन्दू प्रतीकों के प्रति जहर उगला है जोकि किसी भी कीमत पर क्षमा के लायक नहीं हैं। यह मौलाना कोई साधारण शख्स नहीं है बल्कि अखिल भारतीय इमाम एसोसिएशन का अध्यक्ष है।
मौलाना साजिद रशीदी ने कहा है कि गुजरात के सोमनाथ मंदिर में गलत काम होता था और इस वजह से मोहम्मद गजनवी ने मंदिर को तोड़ने का काम किया था। साजिद रशीदी ने कहा कि मुगलों का धर्म से कोई लेना-देना नहीं था। इस मौलाना ने इतिहास तक को झुठलाने का काम कर दिया है। उसने कहा, “यह सच है कि मुगल एक काल था। मुगल जितने भी बादशाह हुए हैं, उनका एक दौर था, जमाना था। मुगलों का धर्म से कोई लेना-देना नहीं था। 800 सालों में जितने भी मुगल बादशाह हुए हैं या दूसरे और बादशाह रहे हो। आप अगर उनके इतिहास को पढ़ेंगे तो उनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं था।” इसके जरिए इस मौलाना ने इस्लाम पर उठने वाले प्रश्नों को दबाने के प्रयास किए हैं।
मौलाना साजिद रशीदी ने आगे कहा है कि मुगलों ने धर्म के नाम पर किसी भी तरह का काम किया भी नहीं। इस तरह के बहुत सारे उदाहरण हैं। जैसे गजनवी के बारे में लोग कहते हैं कि उसने सोमनाथ मंदिर तोड़ा है। जबकि इतिहास ये है कि वहां के लोगों ने गजनवी को बताया कि वहां आस्था के नाम पर क्या हो रहा है। देवी-देवता के नाम पर क्या हो रहा है। कैसे वहां लड़कियों को लापता कर दिया जाता है।” मौलाना साजिद रशीदी के बारे में आपको बताएं तो ये आए दिन टीवी डिबेट्स में बेहद घटिया और तथ्यहीन बयान देकर समाज में घृणा फैलाने का काम करते हैं।
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मौलानाओं के जहरीले बोल
इस मौलाना ने भविष्य को लेकर धमकी दी है और कहा है कि जिन कब्जाई जमीन पर इस्लामी ताकतों ने मस्जिदें बनवाई थी। उन्हें सनातन के मंदिरों में बदला जा रहा है लेकिन भविष्य में मुसलमान फिर इन्हें इस्लामिक प्रतीकों में बदल देंगे। मौलाना साजिद रशीदी ने कहा था, ”आज मुसलमान खामोश है। मेरी आने वाली नस्ल… मेरा बेटा, उसका बेटा, उसका पोता…. 50-100 साल के बाद एक इतिहास उनके सामने आएगा कि हमारी मस्जिद को तोड़कर मंदिर बना दिया गया। उस वक्त हो सकता है कि कोई मुस्लिम शासक हो, कोई मुस्लिम जज हो या मुस्लिम शासन आ जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता है कि क्या फेरबदल हो जाए। तो क्या उस इतिहास की बुनियाद पर इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई जाएगी? बिल्कुल बनाई जाएगी।”
ऐसा नहीं है कि पहली बार मौलाना साजिद रशीदी ने कोई आपत्तिजनक बयान दिया है बल्कि इनका पूरा एजेंडा ही नफरत की बुनियाद पर खड़ा है। राम मंदिर निर्माण को लेकर यह मौलाना कह चुका है कि आने वाले समय में राम मंदिर की जगह पर फिर मस्जिद बनाई जाएगी। यह वही मौलाना है जो सुप्रीम कोर्ट के सर्वमानीय फैसले पर सवाल उठा रहा था। इसके अलावा हिजाब से लेकर तीन तलाक जैसे मुद्दों पर भी इस मौलाना ने विवादित बयान दिए हैं जिसके चलते इसे एंकरों ने काफी खरी-खोटी सुनाई है। यह मौलाना इतना बेइज्जती होने के बावजूद थोड़े दिनों बाद टीवी पर आता है और विवादित बयान देकर अपने लोगों के बीच स्वयं को एक क्रांतिकारी साबित करने की कोशिश में लगा रहता है।
कुछ ऐसे ही एक और मौलाना है तौकीर रजा, जो अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खिया बटोरता है। एक बार बुलडोजर और लाउडस्पीकर विवाद पर तौकीर रजा ने मोदी सरकार को चेतावनी दी थी कि भारत में महाभारत होने से कोई नहीं रोक सकता। देश एक बार फिर बंटवारे की तरफ जा रहा है। मौलाना ने यह तक कहा दिया था कि जिस दिन देश का मुसलमान सड़कों पर आ गया तो उन्हें सम्भालना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इतना ही नहीं, टीवी डिबेट्स में जितने भी मौलाना, मुफ्ती आते हैं, उनका उद्देश्य किसी नए मुद्दे को उछालकर उसे चर्चा का विषय बना देना होता है जिससे अपने ही बयानों का उपयोग भविष्य में किया जा सके या अगली पीढ़ी को इन कामों को करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
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देश में अभी तो भाजपा की सरकार है जो भी एक सीमा के बाहर जाकर टीवी डिबेट्स में बयानबाजी करता है, सरकारें इसके खिलाफ कड़ा एक्शन लेती हैं। थोड़े दिनों तक विवादित बयान देने वाले की भाषा सुधरती है लेकिन फिर नतीजा ढाक के तीन पात ही होता है। अहम यह है कि हमेशा भाजपा की सरकार नहीं होंगी। असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता तो पहले ही कह चुके हैं कि जब मोदी हिमालय चले जाएंगे और योगी मठ में चले जाएंगे, तो हिन्दुओं की रक्षा कौन करेगा। यह एक हिन्दुओं के लिए किसी चेतावनी से कम नहीं है।
सभी जानते हैं भाजपा की सरकार अगले पांच, दस, 15 या अधिक से अधिक 20 साल रहेगी। इसके बाद कभी न कभी कोई ऐसी सरकार बनेगी जो कि इन इस्लामिस्टों की हितैषी होगी। ऐसे ये इस्लामिट हिन्दू विरोधी काम करने से तनिक भी पीछे नहीं हटेंगे। मौलाना और इस्लामिस्ट आज जो टीवी डिबेट्स में बोल रहे हैं, इसके दुष्परिणाम भविष्य में देखने को मिल सकते हैं। ये मौलाना ही कहेंगे कि वे बीस तीस वर्षों से टीवी डिबेट्स में सोमनाथ को तोड़ने और राम मंदिर की जगह मस्जिद बनाने की बात कर रहे हैं, इसलिए यह होना चाहिए। ऐसे में आवश्यक है कि इन मौलानाओं के जहरीले बयानों पर अब लगाम लगायी जाये।
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