जो चर्चा पहले केवल चाय की टपरी तक सीमित रहती थी, आज एक पूर्व रॉ अफसर ने उसकी आधिकारिक पुष्टि की है। पूर्व रॉ अधिकारी जीबीएस सिद्धू ने स्पष्ट किया है कि खालिस्तान की बीमारी कांग्रेस ने फैलाई थी, और उन्होंने ही जरनैल सिंह भिंडरावाले को पल्लवित पोषित किया था।
ANI के साथ हाल ही में हुए एक पॉडकास्ट के अनुसार, सिद्धू ने कहा कि मैं उस समय कनाडा में तैनात था। वहां लोग अक्सर ये चर्चा करते थे कि क्यों कांग्रेस भिंडरावाले के साथ नजदीकियां बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि आखिरकार कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में इस बारे में लिखा था। सिद्धू का यह इंटरव्यू इस साल अगस्त महीने का है।
सिद्धू ने कहा कि उस समय भिंडरावाले खालिस्तान का तरीका अपनाया गया था। वे हिंदुओं को डराने के लिए भिंडरावाले का इस्तेमाल करेंगे। खालिस्तान का एक नया मुद्दा बनाया जाएगा जो उस समय अस्तित्व में नहीं था।
इससे भारत की बड़ी आबादी यह सोचने लगे कि देश की अखंडता को खतरा होगा। सिद्धू ने कहा कि मैं उस समय कनाडा में था। लोग बात करते थे कि कांग्रेस भिंडरावाले से क्यों मुहब्बत कर रही है। उन्होंने बताया कि कमलनाथ ने कहा कि हम एक बहुत ही हाई-प्रोफाइल संत को भर्ती करना चाहता हैं जो हमारी बात मान सके। सिद्धू ने कहा कि उन्होंने (कमलनाथ) कहा था – हम उन्हें पैसे भेजते थे। कमल नाथ और संजय गांधी ने भिंडरावाले को पैसा भेजा… भिंडरावाले ने अपने जीवन में कभी खालिस्तान नहीं मांगा, वह केवल यही कहता था – ‘अगर बीबी, यानी इंदिरा गांधी, मेरी झोली में डाल देगी तो ना भी नहीं करूंगा’… वे चाहते थे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भिंडरावाले का उपयोग करना।
और पढ़ें: कनाडा वाले अपराधियों के विरुद्ध NIA ने खोला मोर्चा!
बता दें कि सिद्धू ने 26 साल तक रॉ के साथ काम किया है। वह 1998 में रॉ से रिटायर हुए थे। वह गंगटोक में रॉ स्टेशन के हेड भी रहे हैं। सिद्धू खालिस्तान आंदोलन से जुड़ी घटनाओं पर किताब ‘द खालिस्तान कॉन्सपिरेसी’ (The Khalistan Conspiracy) भी लिख चुके हैं। अपनी किताब में उन्होंने खालिस्तान आंदोलन के पीछे की वजह, ऑपरेशन ब्लू स्टार, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का जिक्र किया है।इसके बाद 1984 और उसके बाद फैली सिख विरोधी हिंसा को भी बताया है। सिद्धू ने सिक्किम पर एक किताब Sikkim: Dawn of Democracy भी लिखी थी।
अब सिद्धू के दावे पूर्णत्या गलत भी नहीं कहे जा सकते। इसमें कोई दो राय नहीं कि 1970 के दशक से पूर्व भी पंजाब में अधिक अधिकारों के लिए कई कार्यकर्ता लड़ने को तैयार थे, परन्तु उनका प्रमुख उद्देश्य था आनंदपुर साहिब रिसोल्यूशन को मूल रूप से लागू करना, जहाँ खालिस्तान का दूर दूर तक कोई उल्लेख नहीं था। परन्तु अकाली दल के ‘प्रभुत्व’ को तोड़ने के लिए कांग्रेस ने जो भिंडरावाले को उतारा, उसने दो दशक तक पंजाब को नर्क समान बना दिया, और आज भी स्थिति कोई बहुत बेहतर नहीं है!
#WATCH | Former special secretary, R&AW GBS Sidhu says, "…At that time, the method used was Bhindranwale Khalistan. So they will use Bhindranwale to scare the Hindus & a new issue will be created of Khalistan which was non-existent at that time. So that larger population of… pic.twitter.com/5of3QIJxHb
— ANI (@ANI) September 19, 2023
ऐसे में पूर्व रॉ अफसर जीबीएस सिद्धू द्वारा किये गए खुलासे भारतीय इतिहास के कुछ स्याह पहलुओं पर पुनः प्रकाश डालते हैं! उनका सुझाव है कि राजनीतिक नेता, अपने स्वयं के एजेंडे से प्रेरित होकर, धार्मिक हस्तियों के साथ छेड़छाड़ करने और अपने फायदे के लिए सांप्रदायिक तनाव भड़काने के इच्छुक थे। इन खुलासों को हमारी राजनीतिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता की याद दिलानी चाहिए और हमारे देश के इतिहास को आकार देने वाली जटिल गतिशीलता की गहरी समझ का आह्वान करना चाहिए।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।