दलितों के घर की बेटी उठा ली जाए और पीड़ित मुस्लिमों को बताया जाए? क्या ये चल सकता है? पिछले दो- तीन दिनों से कुशीनगर की एक खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है, जिसने हर किसी का ध्यान खींच लिया है। खास बात यह है कि मेनस्ट्रीम मीडिया ने भी बिना किसी ठोस जांच के इस मामले को तूल देकर लोगों के बीच भ्रम पैदा करने का काम किया।
दरअसल, 8 जनवरी 2025 को मेनस्ट्रीम मीडिया में एक खबर ने सुर्खियां बटोरी, जिसमें दावा किया गया कि कुशीनगर के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र में दलितों ने मुस्लिम महिलाओं के साथ अमानवीय बर्ताव किया और उन्हें नग्न कर पीटा। इस खबर ने पूरे सोशल मीडिया में हलचल मचा दी। लेकिन हमारी टीम द्वारा की गई तफ्तीश में सामने आई सच्चाई कुछ और ही कहानी बयान कर रही है।
मेनस्ट्रीम मीडिया के इस तरह से अधूरी जानकारी पर आधारित खबरों को बढ़ावा देने से न केवल सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है, बल्कि उन समुदायों के बीच भी अविश्वास की भावना पैदा होती है, जो सदियों से एक साथ रह रहे हैं।
कुशीनगर: FIR में कहानी कुछ और
कुशीनगर के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र में एक घटना ने अचानक तूल पकड़ लिया है, जिसकी असल वजह एक दलित लड़की के लापता होने से जुड़ी है। यह लड़की, जिसकी शादी गोरखपुर के गुलरिहा थाना क्षेत्र में हुई थी, कुछ दिन पहले अपने ससुराल से गायब हो गई। लड़की के परिजनों का आरोप है कि एक मुस्लिम युवक ने उसे बहला-फुसलाकर भगाया और कथित तौर पर लव जिहाद का मामला सामने आया।
लेकिन, इस गंभीर घटना को जिस तरह से मेनस्ट्रीम मीडिया ने बिना गहराई से जांच किए एक अलग ही एंगल से प्रस्तुत किया, वह चौंकाने वाला है। मीडिया में खबरें फैलने लगीं कि 2 जनवरी को गोरखपुर पुलिस जब गांव में पूछताछ के लिए पहुंची, तब दलित परिवार ने युवक के घर जाकर उसकी मां और चाची को बाहर खींचकर नग्न कर पिटाई की और गांव में घुमाया। हालांकि, इस मामले में स्थानीय पुलिस का कहना है कि आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं मिला और ये बातें मनगंढंत हैं।
हमारी टीम ने इस गंभीर मुद्दे की जांच पड़ताल की और कुछ अहम जानकारियां इकट्ठा कीं। नेबुआ नौरंगिया निवासी रमई पासवान ने पुलिस को दी गई शिकायत में कहा है कि 2 जनवरी को सुबह करीब 8 बजे गोरखपुर पुलिस नसरुद्दीन के घर पूछताछ करने आई थी। थोड़ी देर jatiबाद नसरुद्दीन की पत्नी ने दलित परिवार को जातिसूचक गालियां देनी शुरू कर दीं। जब परिवार की महिलाएं—मेन्का और रेशमा—उन्हें रोकने पहुंचीं, तो नसरुद्दीन के बेटे समीर, अमजद, और इरफान ने उन पर हमला कर दिया।
रमई पासवान की शिकायत के अनुसार, इस हमले के बाद पीड़ित महिलाओं का मेडिकल परीक्षण भी कराया गया। बावजूद इसके, शिकायत दर्ज कराने के बाद से ही पासवान परिवार को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।
मीडिया द्वारा बिना किसी पुख्ता सबूत के इस तरह की खबरें फैलाना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि इससे समाज में आपसी नफरत और गलतफहमी को भी बढ़ावा मिलता है। एक तरफ जहां दलित परिवार न्याय की उम्मीद कर रहा है, वहीं दूसरी ओर झूठी खबरों के जरिए मामले को दूसरा रंग देने की कोशिश हो रही है।
कुशीनगर में दलितों पर कट्टरपंथी मुस्लिमों का आतंक
यह पहली बार नहीं है जब कुशीनगर में दलित समाज पर अत्याचार की खबरें सामने आई हैं। इस बार भी एक दलित बेटी के अपहरण के आरोपों के बाद क्षेत्र में भारी तनाव फैल गया है। ऐसी घटनाओं ने न केवल पीड़ित परिवारों, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है।
पिछले साल, 13 जून 2024 को, एक दलित महिला ने सामने आकर आपबीती सुनाई थी, जिसमें उसने बताया कि किस तरह कुछ मुस्लिम कट्टरपंथी युवक उनके परिवार को लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं। महिला ने बताया कि वे लोग घर में घुसकर बहन-बेटियों के साथ छेड़छाड़ करते हैं और विरोध करने पर जान से मारने की धमकी देते हैं। मजबूर होकर उसे अपने घर को छोड़ने की बात करनी पड़ी। सोचिए, कैसा दर्द होगा उस परिवार का, जिसने डर और असुरक्षा के कारण अपनी जन्मभूमि को छोड़ने का निर्णय लिया हो।
UP के कुशीनगर में #मुस्लिम दबंगों से परेशान धोबी परिवार ने छोड़ा अपना घर
महिला का आरोप कि #मुसलमान लोग घर में घुसकर बहन-बेटी के साथ करते है छेड़खानी
मनबढ़ #मुस्लिमों ने लड़के को चाक़ू मारकर किया घायल
महिला का आरोप कि थाने पहुँचे तो पुलिसकर्मियों ने गंदी गंदी गालियाँ देकर… pic.twitter.com/8hXtqM12Ag
— Sudarshan उत्तर प्रदेश (@SudarshanNewsUp) June 13, 2024
ऐसी ही एक और घटना 15 अक्टूबर 2023 को सामने आई थी, जब नवरात्रि के पावन अवसर पर निकाली गई कलश यात्रा पर हमला हुआ। श्रद्धालुओं ने बताया कि यात्रा जैसे ही मस्जिद के पास पहुंची, अचानक ईंट-पत्थरों से हमला शुरू हो गया। महिलाओं और बच्चों से भरी इस यात्रा में एक 5 साल का बच्चा भी घायल हो गया। घटना के दौरान कट्टरपंथियों द्वारा गाली-गलौज और अपमानजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया, जिससे माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया।
इन घटनाओं से यह साफ हो जाता है कि कुछ मुस्लिम कट्टरपंथी तत्व क्षेत्र में लगातार माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है—कब तक ऐसे तत्व बेखौफ होकर समाज में जहर घोलते रहेंगे? कब तक बेटियों की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले बचते रहेंगे? इधर सोशल मीडिया पर भीम-मीम का फर्जी नैरेटिव चलाया जाता है।