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असीम मुनीर का भड़काऊ बयान, बांग्लादेश-पाक की बढ़ती नज़दीकियां….पहलगाम आतंकी हमले के पीछे ये बड़ी साजिश तो नहीं

himanshumishra द्वारा himanshumishra
23 April 2025
in राजनीति
बांग्लादेश-पाक की बढ़ती नज़दीकियां….पहलगाम आतंकी हमले के पीछे ये बड़ी साजिश तो नहीं

बांग्लादेश-पाक की बढ़ती नज़दीकियां….पहलगाम आतंकी हमले के पीछे ये बड़ी साजिश तो नहीं

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मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। 26 हिन्दुओं को सिर्फ इस वजह से गोलियों से भून दिया गया क्योंकि वे मुसलमान नहीं थे। चश्मदीदों के मुताबिक़, हमलावरों ने धर्म पूछकर चुन-चुन कर लोगों को निशाना बनाया, और गोलियों की बौछार से पहले उन्हें कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया गया। दिल दहला देने वाले दृश्य और मृतक परिजनों की आपबीती इस हमले की क्रूरता को उजागर करती है। इस हमले की ज़िम्मेदारी ली है TRF (The Resistance Front) ने, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा संगठन है। ये वही लश्कर है जो पाकिस्तान की सेना और ISI के इशारे पर दशकों से भारत में खून बहाता आया है। लेकिन जो बात सबसे ज्यादा चिंता की है, वह है इस नरसंहार की टाइमिंग और इसके पीछे की अंतरराष्ट्रीय साजिश।

अब ज़रा घटनाओं की टाइमलाइन पर गौर करें बांग्लादेश में हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से ही कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं और उनके घरों और मंदिरों को निशाना बनाना…. यूनुस सरकार के आते ही काटरपंथियों के हौसले बुलंद होना और पाक – बांग्लादेश की नजदीकियां जैसे 15 साल बाद पाकिस्तान की विदेश सचिव अमना बलोच की बांग्लादेश यात्रा…. पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ जनरल असीम मुनीर का हिंदुओं के ख़िलाफ़ दो-राष्ट्र सिद्धांत का जिक्र करना… कश्मीर को इस्लामाबाद के गले की नस बताना….

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पाकिस्तान की चाल: हादी शूटिंग की आड़ में पुरानी फॉल्ट लाइन्स को फिर से भड़काने की कोशिश

बाँध कर नदी में खड़ा कराते, बहती थी गोलियों से भूनी हुई लाशें… भारत ने न बचाया होता तो बांग्लादेश कैसे मनाता ‘विजय दिवस’?

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ऐसे में इन टाइम लाइन्स को देखते हुए सवाल और संशय और भी गंभीर हो जाते हैं कि पहलगाम में हुआ महज एक आतंकी हमला था या इस्लामिक आतंकी हमला? सवाल यह भी है कि क्या यह एक सुनियोजित, दो-फ्रंट इस्लामिक जिहाद की शुरुआत है? क्या पाकिस्तान और बांग्लादेश की बढ़ती नज़दीकियाँ केवल राजनयिक गतिविधियाँ हैं या फिर भारत को दोनों ओर से घेरने की खतरनाक रणनीति?

दो-फ्रंट इस्लामिक जिहाद की तैयारी

पहलगाम में हुआ आतंकी हमला कोई अलग-अलग घटना नहीं हैं बल्कि ये इस्लामिक टेररिज्म का एक सुनियोजित सिलसिला है घटनाओं की एक ऐसी श्रृंखला जो एक गहरे और ख़तरनाक मंसूबे की ओर इशारा करती है।

16 अप्रैल को पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने अपने भाषण में जिस तरह का ज़हर उगला, वह केवल एक देश के फौजी प्रमुख की निजी राय नहीं थी, बल्कि भारत के खिलाफ एक संगठित इस्लामिक विचारधारा की पुनः स्थापना की खुली घोषणा थी। मुनीर ने दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन करते हुए कहा कि “हम हिंदुओं से हर पहलू में अलग हैं” यह वही विचारधारा है जिसने भारत का विभाजन किया था, और अब वही सोच एक बार फिर पाकिस्तान की फौज की ज़ुबान से ज़हर बनकर बह रही है। मुनीर ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान का निर्माण हिंदुओं से भिन्न होने के विचार पर हुआ था और आज भी यही विचार पाकिस्तान की आत्मा है।

यही नहीं इसी भाषण में को आगे बताता हुए मुनीर ने कश्मीर को उन्होंने इस्लामाबाद की नस बताते हुए कहा था, “हमारा रुख पूरी तरह स्पष्ट है. कश्मीर का मुद्दा इस्लामाबाद के गले की नस था और हमेशा रहेगा. पाकिस्तान इस मुद्दे को कभी नहीं भूलेगा और हमेशा कश्मीर के लोगों का समर्थन करता रहेगा।”

इसी बयानबाज़ी के अगले ही दिन, 17 अप्रैल को पाकिस्तान की विदेश सचिव अमना बलोच और बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जसीम उद्दीन के बीच ढाका में एक अहम मुलाकात हुई। 15 वर्षों बाद दोनों देशों के टॉप डिप्लोमैट्स आमने-सामने बैठे और इस मुलाकात में महज़ कूटनीतिक बातें नहीं हुईं, बल्कि एक भू-राजनीतिक पुनर्संयोजन की रूपरेखा रखी गई। ढाका यूनिवर्सिटी में पाकिस्तानी छात्रों पर लगा प्रतिबंध हटाया गया, वीज़ा नीतियों में ढील दी गई, और यह संदेश साफ था कि पाकिस्तान अब बांग्लादेश में अपनी खोई हुई पकड़ वापस चाहता है।

बात यहीं खत्म नहीं होती। अगर थोड़ा पीछे जाएं, तो अगस्त 2024 में बांग्लादेश की केयरटेकर यूनुस सरकार ने अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन ‘अंसारुल्लाह बंगला टीम’ के सरगना जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया था। यह वही रहमानी है जो भारत में स्लीपर सेल्स के ज़रिए जिहादी नेटवर्क खड़ा कर रहा था। तब भी आशंका थी कि भारत के खिलाफ कोई बड़ा षड्यंत्र रचा जा रहा है। अब जब पाकिस्तान और बांग्लादेश फिर से करीब आ रहे हैं, तो उस रिहाई की भयावहता और भी स्पष्ट होती जा रही है।

इन घटनाओं की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश करें तो एक भयानक परिदृश्य सामने आता है। बांग्लादेश से सटे बंगाल के मुर्शिदाबाद में दो मूर्तिकार सिर्फ इसलिए मारे जाते हैं क्योंकि वे हिंदू हैं और देवी-देवताओं की मूर्ति बनाते हैं…. सैकड़ों हिंदू परिवारों को पलायन के लिए मजबूर किया जाता है….. क्यों….क्योंकि वो हिन्दू हैं यही नहीं अब मंगलवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में भी पर्यटकों को सिर्फ इसलिए गोली मारी जाती है क्योंकि वे गैर-मुस्लिम थे।

ऐस में ये मैं आपके विवेक पर छोड़ता हूँ कि पाकिस्तान और बांग्लादेश की बढ़ती नज़दीकियाँ क्या महज़ कूटनीतिक संबंधों का नवीनीकरण हैं, या फिर भारत के ख़िलाफ़ एक दो-फ्रंट इस्लामिक जिहाद की तैयारी? सवाल यह भी है कि पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले को इस्लामिक आतंकी हमला क्यों नहीं कहना चाहिए?

स्रोत: पहलगाम, पहलगाम आतंकी हमला, इस्लाम, हिन्दू, बांग्लादेश, पकिस्तान, जेनरल मुनीर, Pahalgam, Pahalgam Terror Attack, Islam, Hindu, Bangladesh, Pakistan, General Munir
Tags: BangladeshGeneral MunirHinduIslamIslamicTerroristAttackLashkar-e-TaibaPahalgamPahalgam Terror AttackPakistanइस्लामजेनरल मुनीरपकिस्तानपहलगामपहलगाम आतंकी हमलाबांग्लादेशहिन्दू
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