TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    मध्य प्रदेश BJP अध्यक्ष पद के लिए कल से शुरू होंगे नामांकन, चुनाव की अधिसूचना जारी

    मध्य प्रदेश BJP अध्यक्ष पद के लिए कल से शुरू होंगे नामांकन, चुनाव की अधिसूचना जारी

    टी राजा सिंह (FILE PHOTO)

    BJP के फायरब्रैंड नेता टी राजा सिंह ने पार्टी से दिया इस्तीफा, जानें क्या है वजह?

    कर्नाटक में सिद्धारमैया की जगह डीके शिवकुमार बनेंगे CM?

    कर्नाटक में सिद्धारमैया से छिनेगा CM पद!; खरगे के बयान के बाद क्या हैं अटकलें?

    कांग्रेस नेता हरि किशन लाल भगत (बाएं) और दिल्ली में सोवियत सूचना विभाग के प्रमुख निकोले फेदिन (दाएं)

    ‘रूस के लिए दलाली करते थे 150 कांग्रेस सांसद’: दुबे ने जिस अमेरिकी खुफिया दस्तावेज का जिक्र किया उसमें क्या लिखा है?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    हरियाणा में 1.18 लाख कर्मचारियों की सैलरी में 5% की बढ़ोतरी, आदेश जारी

    हरियाणा में 1.18 लाख कर्मचारियों की सैलरी में 5% की बढ़ोतरी, आदेश जारी

    कपड़ा उद्योग में ग्लोबल लीडर बनता भारत

    कपड़ा उद्योग में ग्लोबल लीडर बनता भारत, कैसे घुटनों पर आया बांग्लादेश

    मारन भाइयों की कहानी

    तमिलनाडु की राजनीति और मीडिया के ‘पावर प्लेयर्स’: मारन बंधुओं के संघर्ष और विवाद की पूरी कहानी

    बोईंग शेयर क्रैश

    प्लेन क्रैश के बाद धड़ाम हुए बोइंग के शेयर, प्री-मार्केट में 8% की गिरावट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर का असर: सैटेलाइट ने दिखाया कैसे खाक हुए PoK के आतंकी शिविर?

    ऑपरेशन सिंदूर का असर: सैटेलाइट ने दिखाया कैसे खाक हुए PoK के आतंकी शिविर?

    अंतरिक्ष रक्षा

    भारत के साथ संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को चीनी उपग्रह से मिली खुफिया जानकारी

    रूस और भारत

    विनिर्माण, मुद्रा और नवाचार: आत्मनिर्भर भारत के तीन स्तंभ

    ऑपरेशन सिंदूर

    ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाक पर हमला करने वाली थी नौसेना: रिपोर्ट

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ट्रंप और नेतन्याहू ‘खुदा के दुश्मन’ घोषित: ईरान के धर्मगुरु का फतवा बढ़ाएगा वैश्विक संकट?

    ट्रंप और नेतन्याहू ‘खुदा के दुश्मन’ घोषित: ईरान के धर्मगुरु का फतवा बढ़ाएगा वैश्विक संकट?

    स्विमिंग पूल में 2019 के पुलवामा हमले में शामिल चार आतंकियों मोहम्मद उमर फारूक, तल्हा राशिद अल्वी, मोहम्मद इस्माइल अल्वी और राशिद बिल्ला ने इसी स्विमिंग पूल में तस्वीरें खिंचवाई थीं (चित्र: द प्रिंट)

    ऑपरेशन सिंदूर के कुछ हफ्तों बाद जैश-ए-मोहम्मद ने फिर खोला बहावलपुर आतंकी केंद्र

    कांग्रेस नेता हरि किशन लाल भगत (बाएं) और दिल्ली में सोवियत सूचना विभाग के प्रमुख निकोले फेदिन (दाएं)

    ‘रूस के लिए दलाली करते थे 150 कांग्रेस सांसद’: दुबे ने जिस अमेरिकी खुफिया दस्तावेज का जिक्र किया उसमें क्या लिखा है?

    कैथरीन पेरेज़-शकदम (Photo - IBT)

    कैसे मोसाद की ‘ब्लैक लेडी’ ने खामेनेई तक बनाई पहुंच, इज़रायल को दिए न्यूक्लियर ठिकानों के पते

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    संविधान की प्रस्तावना में कैसे आए ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द?

    संविधान की प्रस्तावना में कैसे आए ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द?

    इस साल अमेरिका में 7,500 नए करोड़पति आएंगे (Photo- Canva)

    इस साल बड़ी संख्या में पलायन करेंगे करोड़पति, जानें कहां बना रहे हैं ठिकाना

    विदुषी संवाद

    विदुषी संवाद: धार्मिक और दार्शनिक विमर्शों में महिलाओं की भागीदारी

    डॉ हिमंत बिश्व शर्मा

    असम में घुसपैठियों के कब्जे से छुड़ाई जा रही सत्र भूमि क्या है?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    कुमार विश्वास

    कुमार विश्वास ने सरदार जी3 के लिए दिलजीत को लगाई लताड़

    शेफाली ज़रीवाला

    शेफाली ज़रीवाला का अचानक निधन: ग्लैमर की दुनिया में शोक की लहर

    मलयालम फिल्म उद्योग

    मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के सभी 35 मामले समाप्त

    K-6 मिसाइल

    हिंद महासागर में भारत का नया ‘Game-Changer’: K-6 मिसाइल

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    मध्य प्रदेश BJP अध्यक्ष पद के लिए कल से शुरू होंगे नामांकन, चुनाव की अधिसूचना जारी

    मध्य प्रदेश BJP अध्यक्ष पद के लिए कल से शुरू होंगे नामांकन, चुनाव की अधिसूचना जारी

    टी राजा सिंह (FILE PHOTO)

    BJP के फायरब्रैंड नेता टी राजा सिंह ने पार्टी से दिया इस्तीफा, जानें क्या है वजह?

    कर्नाटक में सिद्धारमैया की जगह डीके शिवकुमार बनेंगे CM?

    कर्नाटक में सिद्धारमैया से छिनेगा CM पद!; खरगे के बयान के बाद क्या हैं अटकलें?

    कांग्रेस नेता हरि किशन लाल भगत (बाएं) और दिल्ली में सोवियत सूचना विभाग के प्रमुख निकोले फेदिन (दाएं)

    ‘रूस के लिए दलाली करते थे 150 कांग्रेस सांसद’: दुबे ने जिस अमेरिकी खुफिया दस्तावेज का जिक्र किया उसमें क्या लिखा है?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    हरियाणा में 1.18 लाख कर्मचारियों की सैलरी में 5% की बढ़ोतरी, आदेश जारी

    हरियाणा में 1.18 लाख कर्मचारियों की सैलरी में 5% की बढ़ोतरी, आदेश जारी

    कपड़ा उद्योग में ग्लोबल लीडर बनता भारत

    कपड़ा उद्योग में ग्लोबल लीडर बनता भारत, कैसे घुटनों पर आया बांग्लादेश

    मारन भाइयों की कहानी

    तमिलनाडु की राजनीति और मीडिया के ‘पावर प्लेयर्स’: मारन बंधुओं के संघर्ष और विवाद की पूरी कहानी

    बोईंग शेयर क्रैश

    प्लेन क्रैश के बाद धड़ाम हुए बोइंग के शेयर, प्री-मार्केट में 8% की गिरावट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर का असर: सैटेलाइट ने दिखाया कैसे खाक हुए PoK के आतंकी शिविर?

    ऑपरेशन सिंदूर का असर: सैटेलाइट ने दिखाया कैसे खाक हुए PoK के आतंकी शिविर?

    अंतरिक्ष रक्षा

    भारत के साथ संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को चीनी उपग्रह से मिली खुफिया जानकारी

    रूस और भारत

    विनिर्माण, मुद्रा और नवाचार: आत्मनिर्भर भारत के तीन स्तंभ

    ऑपरेशन सिंदूर

    ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाक पर हमला करने वाली थी नौसेना: रिपोर्ट

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ट्रंप और नेतन्याहू ‘खुदा के दुश्मन’ घोषित: ईरान के धर्मगुरु का फतवा बढ़ाएगा वैश्विक संकट?

    ट्रंप और नेतन्याहू ‘खुदा के दुश्मन’ घोषित: ईरान के धर्मगुरु का फतवा बढ़ाएगा वैश्विक संकट?

    स्विमिंग पूल में 2019 के पुलवामा हमले में शामिल चार आतंकियों मोहम्मद उमर फारूक, तल्हा राशिद अल्वी, मोहम्मद इस्माइल अल्वी और राशिद बिल्ला ने इसी स्विमिंग पूल में तस्वीरें खिंचवाई थीं (चित्र: द प्रिंट)

    ऑपरेशन सिंदूर के कुछ हफ्तों बाद जैश-ए-मोहम्मद ने फिर खोला बहावलपुर आतंकी केंद्र

    कांग्रेस नेता हरि किशन लाल भगत (बाएं) और दिल्ली में सोवियत सूचना विभाग के प्रमुख निकोले फेदिन (दाएं)

    ‘रूस के लिए दलाली करते थे 150 कांग्रेस सांसद’: दुबे ने जिस अमेरिकी खुफिया दस्तावेज का जिक्र किया उसमें क्या लिखा है?

    कैथरीन पेरेज़-शकदम (Photo - IBT)

    कैसे मोसाद की ‘ब्लैक लेडी’ ने खामेनेई तक बनाई पहुंच, इज़रायल को दिए न्यूक्लियर ठिकानों के पते

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    संविधान की प्रस्तावना में कैसे आए ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द?

    संविधान की प्रस्तावना में कैसे आए ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द?

    इस साल अमेरिका में 7,500 नए करोड़पति आएंगे (Photo- Canva)

    इस साल बड़ी संख्या में पलायन करेंगे करोड़पति, जानें कहां बना रहे हैं ठिकाना

    विदुषी संवाद

    विदुषी संवाद: धार्मिक और दार्शनिक विमर्शों में महिलाओं की भागीदारी

    डॉ हिमंत बिश्व शर्मा

    असम में घुसपैठियों के कब्जे से छुड़ाई जा रही सत्र भूमि क्या है?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    कुमार विश्वास

    कुमार विश्वास ने सरदार जी3 के लिए दिलजीत को लगाई लताड़

    शेफाली ज़रीवाला

    शेफाली ज़रीवाला का अचानक निधन: ग्लैमर की दुनिया में शोक की लहर

    मलयालम फिल्म उद्योग

    मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के सभी 35 मामले समाप्त

    K-6 मिसाइल

    हिंद महासागर में भारत का नया ‘Game-Changer’: K-6 मिसाइल

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

यूरोप धधका, सुलगा लॉस एंजिलिस…फिर भारत में क्यों हाई अलर्ट पर पहुंचा पारा, जानें अमेरिका में हुए हिंसक प्रदर्शन के क्या हैं असल मायने

अवैध अप्रवासीय भारत एक लिए भी खतरा

himanshumishra द्वारा himanshumishra
10 June 2025
in भारत, विश्व
लॉस एंजिलिस

लॉस एंजिलिस

Share on FacebookShare on X

यूरोप की सड़कों पर सुलगती आग अब लॉस एंजिलिस में विकराल ज्वालामुखी का रूप ले चुकी है। बीते कुछ वर्षों से यूरोप अवैध प्रवासियों के नाम पर चल रहे प्रदर्शनों और दंगों से थक चुका था। अब वही स्क्रिप्ट अमेरिका के लॉस एंजिलिस में दोहराई जा रही है। अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के विरोध में शुरू हुए प्रदर्शन ने हिंसा का ऐसा चेहरा दिखाया है कि अमेरिका की सड़कों पर अराजकता का बोलबाला है।

भारतीय समयानुसार रविवार सुबह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर और पटाखों से हमला किया। उन्होंने इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इन्फोर्समेंट यानी आईसीई पर पेट्रोल बम और आंसू गैस फेंके। सरकारी इमारतों पर स्प्रे पेंट से नारे लिखे गए, एक स्ट्रिप मॉल में आग लगा दी गई और कई दुकानों में तोड़फोड़ की गई। सड़कों पर खुलेआम मैक्सिको का झंडा लहराते हुए प्रदर्शनकारियों ने आईसीई लॉस एंजिलिस से बाहर जाओ जैसे नारे लगाए। ट्रम्प प्रशासन ने स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए दो हजार नेशनल गार्ड्स की तैनाती की है।

संबंधितपोस्ट

‘रूस के लिए दलाली करते थे 150 कांग्रेस सांसद’: दुबे ने जिस अमेरिकी खुफिया दस्तावेज का जिक्र किया उसमें क्या लिखा है?

ज़ोहरान ममदानी: भारत और हिंदुओं को बदनाम करने वाला क्यों बन गया वामपंथियों का नया नायक?

विनिर्माण, मुद्रा और नवाचार: आत्मनिर्भर भारत के तीन स्तंभ

और लोड करें

यह विरोध उस छापेमारी के खिलाफ है जो ट्रम्प की डिपोर्टेशन नीति के तहत छह और सात जून को अवैध अप्रवासियों के खिलाफ चलाई गई थी। प्रदर्शन अब तीसरे दिन में प्रवेश कर चुका है और हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। उपद्रवियों ने सैकड़ों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया है और कई मुख्य सड़कों को पूरी तरह जला दिया है।

मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर के बाहर प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ जमा हुई, जहां कुछ लोग अमेरिकी झंडे पर थूकते और उसे जलाते हुए देखे गए। कई लोगों ने गो होम और शेम के नारे भी लगाए। अमेरिकी समयानुसार रविवार देर रात नेशनल गार्ड्स ने आंसू गैस और रबर बुलेट्स का प्रयोग कर भीड़ को पीछे धकेला। ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर साफ लिखा कि लॉस एंजिलिस पर अवैध प्रवासियों का कब्जा है और इसे जल्द मुक्त कराया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब समझाने से नहीं बल्कि सख्त कार्रवाई से हालात सुधरेंगे।

लेकिन अब यह सवाल सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहा है। भारत में भी हालात अलग नहीं हैं। यहां भी अवैध प्रवासियों के पक्ष में खड़े लोग सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़कों तक विरोध कर रहे हैं। रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को तुष्ट्रीकरित पार्टियों द्वारा कथित मानवीयता के नाम पर संरक्षण देने की होड़ सी मची हुई है। मोदी सरकार की सख्त नीति के विरोध में दलीलें दी जा रही हैं और कुछ बुद्धिजीवी तो सरकार को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरने की भी बात कर रहे हैं। आज लॉस एंजिलिस की सड़कों पर जो कुछ हो रहा है वह भारत के लिए चेतावनी है। कल यही दृश्य दिल्ली, कोलकाता या हैदराबाद की गलियों में दोहराया जा सकता है। यह सिर्फ नीतिगत गलती नहीं होगी बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर समझौता होगा। अब समय आ गया है कि भारत इस आग की तपिश को गंभीरता से समझे और उससे पहले तैयार हो जाए कि कोई विदेशी स्क्रिप्ट भारत की सड़कों पर भी न रंगी जाए…

लॉस एंजिलिस में क्या हुआ

अमेरिका के लॉस एंजिलिस शहर में इन दिनों अवैध प्रवासियों पर की गई कार्रवाई के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जो अब हिंसा का रूप ले चुके हैं। हालात इतने गंभीर हो गए कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खुद हस्तक्षेप करते हुए निर्देश जारी करने पड़े। उन्होंने दंगाइयों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है और कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम और लॉस एंजिलिस की मेयर करेन बास से स्थिति की जिम्मेदारी लेने और माफी मांगने को कहा है।

ट्रंप प्रशासन ने शहर में कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए दो हजार नेशनल गार्ड्स की तैनाती की है। यह फैसला इस मायने में असाधारण है कि पहली बार किसी राज्य में गवर्नर की अनुमति के बिना नेशनल गार्ड्स भेजे गए हैं। स्वाभाविक रूप से इस पर गवर्नर न्यूसम और मेयर करेन बास ने विरोध दर्ज किया है।विरोध की शुरुआत उस समय हुई जब अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन एजेंसी यानी ICE ने शहर के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी की। इनमें दो होम डिपो स्टोर, एक डोनट शॉप और फैशन डिस्ट्रिक्ट का एक कपड़े का गोदाम शामिल था। शुक्रवार को हुई इस कार्रवाई में उन श्रमिकों को निशाना बनाया गया, जिनके पास संदेहास्पद दस्तावेज थे। जैसे ही एजेंटों ने इन स्थानों पर दस्तक दी, भीड़ जुटने लगी। ICE की गाड़ियों को घेर लिया गया और हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की मांग होने लगी।

प्रदर्शन कुछ ही समय में भड़क उठा और पूरे शहर में फैल गया। लोग संघीय कार्यालयों और डिटेंशन सेंटरों के बाहर एकत्र होने लगे। जब प्रदर्शन बेकाबू होते दिखे, तो पुलिस ने उन्हें गैरकानूनी घोषित कर दिया। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया, जिससे हिंसा और उग्र हो गई। पुलिस पर पथराव किया गया, वाहनों में आग लगाई गई। प्रशासन का दावा है कि यह पूरा बवाल अवैध प्रवासियों द्वारा किया गया, जिनका मकसद कानून प्रवर्तन एजेंसियों के काम में बाधा डालना है।

होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के अनुसार ICE ने इस हफ्ते कुल 118 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें से 44 केवल शुक्रवार की कार्रवाई में पकड़े गए। इनमें से कुछ व्यक्ति संगठित आपराधिक गिरोहों से भी जुड़े हुए थे। इसके अलावा, पुलिस ने आठ अमेरिकी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया, जो कानून व्यवस्था में बाधा डाल रहे थे। नाबालिगों को छोड़ देने का निर्णय लिया गया। विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार हुए लोगों में सर्विस एम्प्लॉइज इंटरनेशनल यूनियन के क्षेत्रीय अध्यक्ष डेविड ह्यूर्टा भी शामिल थे। उन्हें मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में रखा गया।

राष्ट्रपति ट्रंप ने इस पूरे घटनाक्रम को “कानून और व्यवस्था की बहाली” से जोड़ा है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से गवर्नर और मेयर की आलोचना करते हुए कहा कि अगर वे अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहते हैं, तो संघीय सरकार को मजबूरी में हस्तक्षेप करना पड़ेगा। ट्रुथ सोशल पर की गई अपनी पोस्ट में ट्रंप ने स्पष्ट किया कि हिंसा और लूट को उसी कठोरता से रोका जाएगा, जैसी आवश्यकता है। यह घटनाक्रम अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा, सीमाओं पर नियंत्रण और अवैध प्रवास की समस्या को एक बार फिर वैश्विक बहस के केंद्र में ले आया है। साथ ही यह सवाल भी छोड़ता है कि जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति स्पष्ट हो, तब भी राजनीतिक द्वंद्व और ‘सहानुभूति की राजनीति’ कानून व्यवस्था पर कैसे हावी हो जाती है।

 

यूरोप में सुलगती चिंगारी अब ज्वालामुखी बन चुकी है

आज अमेरिका के लॉस एंजिलिस में जो कुछ हो रहा है, वह किसी अकेले देश की त्रासदी नहीं है। यह उसी लपट का विस्तार है, जो बीते वर्षों से यूरोप की सड़कों पर दहक रही है। फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन या बेल्जियम शायद ही कोई ऐसा देश हो, जो इस नई आग से अछूता रहा हो। यह आग केवल इमारतों और गाड़ियों को नहीं जलाती, यह सभ्यता की नींव को चुनौती देती है।

2023 में फ्रांस के कई शहर हिंसा की चपेट में थे। दंगे, आगजनी, पुलिस स्टेशनों पर हमले और भीड़ का बेकाबू रूप—इन सबके बीच फ्रांस की राजधानी पेरिस, जो कभी कला और संस्कृति की आत्मा माना जाता था, अब धुएं और डर का प्रतीक बन गया। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस हिंसा के लिए सोशल मीडिया, वीडियो गेम और टिकटॉक को दोष दिया। उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए। लेकिन क्या यह मामला इतना सतही है?

असल में, इन हिंसक घटनाओं की जड़ें कहीं और हैं। जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे, उनमें से एक में एक अफ्रीकी मूल के शरणार्थी को एक श्वेत महिला और उसकी पोती पर बेरहमी से हमला करते हुए देखा गया। और जब एक मुस्लिम युवक पुलिस की पूछताछ से बचने के लिए भागने लगा और गोली लगने से उसकी मृत्यु हो गई, तो पेरिस की सड़कों पर आगजनी, लूट और बर्बरता का तांडव शुरू हो गया। जिस शहर को कभी मानवता और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता था, वहां अब शरण देने वाले हाथों को काटा जा रहा है। फ्रांस ने मानवीय आधार पर जिन शरणार्थियों को अपनाया, उन्हें नागरिकों जैसे अधिकार दिए, वही आज उसी समाज की जड़ें काटने पर उतारू हैं। प्रश्न यह नहीं है कि वे कौन थे, प्रश्न यह है कि वे अब क्या बन चुके हैं।

इन शरणार्थियों के पास इतनी बड़ी मात्रा में हथियार कहां से आते हैं? जिनके पास कुछ भी नहीं था, जो जान बचाकर भागे थे, उनके हाथों में एके-47 जैसी राइफलें कैसे आ गईं? उन्होंने कैसे यह दुस्साहस कर लिया कि जिस धरती ने उन्हें जीवन दिया, उसी को जला डालें? यह घटना पहली बार नहीं हो रही, बल्कि यह एक बार फिर उसी कहानी को दोहरा रही है जिसे यूरोप बार-बार झेल रहा है।

मार्च 2025 में भी कुछ ऐसा ही जर्मनी में हुआ। जिस जर्मनी ने सबसे पहले लाखों मुस्लिम शरणार्थियों को अपनाने की पहल की थी, वह अब उसी बोझ से दबता जा रहा है। 2015 में जर्मनी की तत्कालीन चांसलर एंजेला मर्केल ने सीरिया, अफगानिस्तान और इराक जैसे युद्धग्रस्त देशों के लोगों के लिए अपने दरवाज़े खोल दिए। नतीजा यह हुआ कि एक दशक से भी कम समय में जर्मनी की जनसांख्यिकीय तस्वीर पूरी तरह बदल गई।

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2009 तक जर्मनी में लगभग 30 लाख मुस्लिम थे, जो कुल जनसंख्या का चार प्रतिशत थे। 2015 के बाद यह संख्या बढ़कर 50 लाख से ऊपर पहुंच गई और अब यह सात प्रतिशत तक पहुंच गई है। इन शरणार्थियों में सबसे बड़ी संख्या सीरिया, अफगानिस्तान और अफ्रीकी देशों से आए लोगों की है।

इस बदलाव का सबसे गहरा असर शहरी क्षेत्रों में दिख रहा है। बर्लिन, हैम्बर्ग, कोलोन और म्यूनिख जैसे शहरों में मुस्लिम आबादी का अनुपात कई इलाकों में 70 से 80 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। बर्लिन के कई स्कूलों में तो मुस्लिम छात्रों का प्रतिशत 80 से ऊपर है। इस जनसंख्या असंतुलन ने केवल सांस्कृतिक असहमति को जन्म नहीं दिया, बल्कि सामाजिक तनाव और हिंसा को भी बढ़ावा दिया है।

बर्लिन के न्यूकोलन और क्रॉएत्जबर्ग जैसे इलाके मुस्लिम बाहुल्य बन चुके हैं। हैम्बर्ग, जहां 2024 में एक विवादित रैली हुई थी, वहां सांस्कृतिक मतभेद खुले संघर्ष में बदल चुके हैं। बवेरिया के म्यूनिख शहर में स्थानीय नागरिकों और शरणार्थियों के बीच खाई इतनी गहरी हो चुकी है कि संवाद लगभग समाप्त हो गया है। औद्योगिक क्षेत्रों जैसे नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में शरणार्थियों की भारी भीड़ ने रोजगार, शिक्षा और आवास को लेकर गंभीर प्रतिस्पर्धा और टकराव को जन्म दिया है।

सबसे हैरान करने वाली घटना दिसंबर 2024 में घटी, जब सीरिया में बशर अल असद की सत्ता के पतन के बाद, जर्मनी में सीरियाई शरणार्थियों ने सड़कों पर जश्न मनाया। सवाल उठा कि जब अब उनका देश मुक्त है, तो वे जर्मनी में क्यों हैं? और इससे भी गंभीर सवाल यह है कि क्या वे अब वापस जाएंगे? जवाब है नहीं। वे नहीं जा रहे। और यही वह कड़वा सत्य है, जिसे यूरोप आज भुगत रहा है। यूरोप ने मानवीयता के नाम पर जिन लोगों को शरण दी, वे अब उस जमीन के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। यह केवल सामाजिक या सांस्कृतिक संकट नहीं है, यह एक रणनीतिक भूल का परिणाम है, जिसने अब पूरे महाद्वीप की स्थिरता को चुनौती दे दी है।

भारत की नजर

जिस आग ने पहले यूरोप को झुलसाया, फिर अमेरिका की सड़कों को हिंसा की लपटों में झोंक दिया, भारत अब उसी लपट को आते हुए देख रहा है। लेकिन फर्क यह है कि भारत आंखें मूंदकर नहीं चल रहा बल्कि उसने इन वैश्विक घटनाओं से सबक लेते हुए अपनी रणनीतिक नजरें तेज कर ली हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा भारत के लिए कोई नया संकट नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में जिस तरह यूरोप और अमेरिका में शरणार्थी नीतियों ने सामाजिक असंतुलन, सांस्कृतिक टकराव और सुरक्षा संकट को जन्म दिया, उसने भारत को भी अपनी नीति पर पुनर्विचार के लिए विवश कर दिया है।

दरअसल 2017 में म्यांमार में हुई हिंसा के बाद बड़ी संख्या में रोहिंग्या भारत आए। आज अनुमान है कि करीब 40,000 रोहिंग्या शरणार्थी भारत में हैं, जिनमें से लगभग 18,000 UNHCR के साथ पंजीकृत हैं। और आज इनकी उपस्थिति दिल्ली, जम्मू और हैदराबाद जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सामाजिक तनाव का कारण बनी है।

भारत सरकार ने पहले भी इन रोहिंग्यों की पहचान और निष्कासन की कोशिशें की थीं, लेकिन उस समय इस पर मानवाधिकार संगठनों और कुछ राजनीतिक समूहों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था। 2025 में उत्तर प्रदेश में चलाया गया ‘ऑपरेशन तलाश’ भारत की ओर से इस दिशा में अब तक का सबसे व्यवस्थित प्रयास है। इसी दौरान मई 2025 में अंडमान सागर से सामने आया मामला अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया। संयुक्त राष्ट्र ने आरोप लगाया कि भारतीय नौसेना ने रोहिंग्या शरणार्थियों को समुद्र में छोड़ दिया। मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, और अदालत ने फिलहाल किसी भी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया।

भारत इस पूरे परिदृश्य को यूरोप और अमेरिका के अनुभवों की रोशनी में देख रहा है। वह जानता है कि कैसे फ्रांस और जर्मनी ने उदारता के नाम पर लाखों शरणार्थियों को शरण दी, और फिर उन्हीं के भीतर से अस्थिरता, अपराध और कट्टरपंथ ने जन्म लिया। भारत जानता है कि भावनात्मक नीतियाँ अक्सर दीर्घकालिक असंतुलन को जन्म देती हैं। यूरोप के उदाहरण सामने हैं, जहां शरणार्थी नीति की अतिशय सहानुभूति ने संस्कृति, सुरक्षा और सामंजस्य को गहरे संकट में डाल दिया। अमेरिका में भी अवैध अप्रवासियों की आड़ में उपद्रवकारी तत्वों ने कानून व्यवस्था को खुली चुनौती दे दी।

भारत ने यह सब देखा है, समझा है और अब एक ‘बैलेंस्ड अप्रोच’ के साथ आगे बढ़ रहा है जहाँ ज़रूरत पड़ने पर सख़्ती है, लेकिन साथ ही संवेदनशीलता भी बनी रहती है। न तो राष्ट्रहित की अनदेखी की जा रही है और न ही मानवीय दृष्टिकोण को पूरी तरह त्यागा गया है। आज भारत न सिर्फ़ अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा है, बल्कि वह एक परिपक्व लोकतंत्र की तरह वैश्विक संकटों से सीखते हुए, अपनी नीति को स्थायित्व और समरसता की दिशा में ले जा रहा है।

स्रोत: अमेरिका, जर्मनी, यूरोप, लॉस एंजिलिस, भारत, रोहिंग्या, America, Germany, Europe, Los Angeles, India, Rohingya
Tags: AmericaEuropeGermanyIndiaLos AngelesRohingyaअमेरिकाजर्मनीभारतयूरोपरोहिंग्यालॉस एंजिलिस
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

हज यात्रा के दौरान सऊदी अरब ने क्यों रोका भारत और पाकिस्तान के लोगों का वीजा?

अगली पोस्ट

‘तानसेन का ताना-बाना’: अकबर तक सीमित नहीं थी संगीत सम्राट की यात्रा, राकेश शुक्ला की पुस्तक में और कई राज

संबंधित पोस्ट

ट्रंप और नेतन्याहू ‘खुदा के दुश्मन’ घोषित: ईरान के धर्मगुरु का फतवा बढ़ाएगा वैश्विक संकट?
विश्व

ट्रंप और नेतन्याहू ‘खुदा के दुश्मन’ घोषित: ईरान के धर्मगुरु का फतवा बढ़ाएगा वैश्विक संकट?

30 June 2025

ईरान के वरिष्ठ शिया धर्मगुरु ग्रैंड आयतुल्ला नासेर मकारेम शिराज़ी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ एक...

स्विमिंग पूल में 2019 के पुलवामा हमले में शामिल चार आतंकियों मोहम्मद उमर फारूक, तल्हा राशिद अल्वी, मोहम्मद इस्माइल अल्वी और राशिद बिल्ला ने इसी स्विमिंग पूल में तस्वीरें खिंचवाई थीं (चित्र: द प्रिंट)
विश्व

ऑपरेशन सिंदूर के कुछ हफ्तों बाद जैश-ए-मोहम्मद ने फिर खोला बहावलपुर आतंकी केंद्र

30 June 2025

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में आतंकियों ने कम-से-कम 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी थी जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान...

कांग्रेस नेता हरि किशन लाल भगत (बाएं) और दिल्ली में सोवियत सूचना विभाग के प्रमुख निकोले फेदिन (दाएं)
चर्चित

‘रूस के लिए दलाली करते थे 150 कांग्रेस सांसद’: दुबे ने जिस अमेरिकी खुफिया दस्तावेज का जिक्र किया उसमें क्या लिखा है?

30 June 2025

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस के खिलाफ एक नया राजनीतिक मोर्चा खोलते हुए उसे विदेशी ताक़तों की कठपुतली करार देने की कोशिश की है।...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Ahmedabad Air India Crash: Was It Sabotage? Major Investigation Underway

Ahmedabad Air India Crash: Was It Sabotage? Major Investigation Underway

00:06:27

10% Seats for Muslims? Shocking Demand from DMK’s ally MMK Ahead of 2026!"

00:04:52

The gulf crossroads: usa stakes, China's money and Iran's nuclear threat.

00:30:34

HOW NDA IS MAKING IN- ROADS INTO TAMIL NADU?

00:05:57

the ganga treaty is about to expire. What happens next?

00:06:54
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited