अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हालिया हमले के बाद बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेशकियन से फोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया में मौजूदा स्थिति पर विस्तार से चर्चा की है। यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब इजरायल और ईरान के बीच सैन्य संघर्ष चरम पर है और अमेरिका ने भी ईरान के फोर्दो, नतांज और एस्फाहान जैसे परमाणु ठिकानों पर बम से मिसाइल से हमले किए हैं। पीएम मोदी ने हाल के घटनाक्रमों, खासकर इज़रायल और अमेरिका द्वारा ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाइयों पर गहरी चिंता जताई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने तनाव को तत्काल कम करने, संवाद और कूटनीति के रास्ते को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता की शीघ्र बहाली की मांग दोहराई है। पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर लिखा, “ईरान के राष्ट्रपति पेजेशकियन से बात की है। हमने मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा की। हाल ही में हुई वृद्धि पर गहरी चिंता व्यक्त की। आगे बढ़ने के लिए तत्काल तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति के लिए अपना आह्वान दोहराया और क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता की शीघ्र बहाली की मांग की।”
इस बीच, ईरान ने अमेरिकी हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का उल्लंघन करार दिया है। ईरानी राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपने परमाणु कार्यक्रम के अधिकारों का सम्मान करने की अपील की है। दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उनका उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है।
अमेरिका ने कूटनीति का रास्ता खत्म किया: ईरान
बीते सप्ताह अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर अगले दौर की बातचीत होनी थी लेकिन इज़रायल के हमले के कारण बातचीत आगे नहीं बढ़ सकी। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा है कि इज़रायल के बाद अब अमेरिका ने कूटनीति का रास्ता खत्म कर दिया है। अरागची ने X पर लिखा, “पिछले हफ्ते, जब हम अमेरिका के साथ बातचीत कर रहे थे, तभी इज़रायल ने उस कूटनीतिक रास्ते को बर्बाद कर दिया है। इस सप्ताह यूरोपीय मुल्कों और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत हो रही थी और इसी बीच अमेरिका ने कूटनीति का रास्ता बंद करने का फ़ैसला किया है।” उन्होंने आगे कहा, “हम ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों से कहना चाहते हैं कि उन्हें लगता है कि ईरान को बातचीत की मेज़ पर आना चाहिए लेकिन ईरान उस जगह पर कैसे लौट सकता है जहां से वो कभी गया ही नहीं था?”