जब कोई बड़ी आपदा आती है, तो लोग सिर्फ़ संवेदना नहीं बल्कि तुरंत मदद की उम्मीद करते हैं। अफ़ग़ानिस्तान में आए भयानक भूकंप से 800 से ज़्यादा लोगों की जान गई। इस भूकंप की तीव्रता 6.0 थी। इसने कई गाँवों को तबाह कर दिया, सैकड़ों लोग मलबे में दब गए और हज़ारों लोग बेघर हो गए। ऐसे मुश्किल समय में भारत का तुरंत मदद का प्रस्ताव दिखाता है कि अब दुनिया भारत को एक वैश्विक “पहला मददगार” मानने लगी है।
अफ़ग़ानिस्तान में आए इस भूकंप पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख जताया और कहा कि भारत हर तरह की मानवीय मदद देने के लिए तैयार है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि मुश्किल समय में भारत हमेशा अपने पड़ोसियों और दोस्तों के साथ खड़ा रहेगा।
पीएम मोदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा- “अफ़ग़ानिस्तान में भूकंप से हुई मौतों पर गहरा दुख है। हमारी संवेदनाएँ पीड़ित परिवारों के साथ हैं और हम प्रार्थना करते हैं कि घायल लोग जल्दी ठीक हों। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हर तरह की मदद देने के लिए तैयार है।
आत्मनिर्भर से निस्वार्थ तक
प्रधानमंत्री मोदी कई बार कह चुके हैं कि भारत की मदद करने की सोच दो चीज़ें दिखाती है, आत्मनिर्भरता और निस्वार्थता। उनका कहना है कि जब कोई अपनी ज़रूरतें खुद पूरी कर ले, तो उसे आत्मनिर्भर कहते हैं, लेकिन जब कोई बिना स्वार्थ के दूसरों की मदद करे तो वह निस्वार्थ कहलाता है। पिछले कुछ सालों में भारत ने खुद को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया है बल्कि एक निस्वार्थ देश के रूप में भी साबित किया है।
ये सिर्फ़ बातें नहीं हैं, बल्कि काम से भी साबित हुआ है। भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना, एनडीआरएफ और राज्य की टीमें मिलकर एशिया, अफ्रीका और कई देशों में आपदा के समय भरोसेमंद मददगार बनी हैं। चाहे मालदीव को पानी भेजना हो, तुर्की में अस्पताल बनाना हो या युद्ध वाले देशों से लोगों को निकालना हो। भारत ने अपनी तेज़ मदद, बड़े पैमाने पर काम और संवेदनशीलता से सबका भरोसा जीता है।
प्राकृतिक आपदाओं में भारत की वैश्विक भूमिका
भारत ने कई देशों में आपदा के समय तुरंत मदद पहुँचाकर अपनी मानवीय भूमिका साबित की है। 2015 में नेपाल में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप के कुछ ही घंटों में भारत ने एनडीआरएफ की टीमें, मेडिकल यूनिट और हेलिकॉप्टर भेजे और 5,000 से ज़्यादा लोगों को बचाया। 2014 में मालदीव के पानी के प्लांट में आग लगने पर भारत ने ऑपरेशन नीर के तहत हवाई और समुद्री रास्ते से 1,000 टन पीने का पानी पहुँचाया।
2019 में मोज़ाम्बिक में चक्रवात इदाई के बाद भारतीय नौसेना ने राहत सामग्री और मेडिकल टीम भेजी। 2018 में इंडोनेशिया के लोम्बोक भूकंप और सुलावेसी सुनामी के समय भी भारत ने तुरंत मदद भेजी। 2016 में म्यांमार भूकंप के दौरान राहत दल और चिकित्सा सहायता पहुँची। हाल ही में 2023 में तुर्की और सीरिया में आए भूकंप के बाद ऑपरेशन दोस्त के तहत भारत ने एनडीआरएफ की डॉग स्क्वॉड, मेडिकल टीम और 99 सदस्यीय फ़ील्ड हॉस्पिटल भेजा, जिसने 4,000 से ज़्यादा मरीजों का इलाज किया।
ये उदाहरण साबित करते हैं कि भारत किसी अपील का इंतज़ार नहीं करता बल्कि तुरंत कदम उठाता है।
भारत के बचाव अभियान
- ऑपरेशन राहत (2015, यमन): इस मिशन में 6,700 से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे।
- ऑपरेशन मैत्री (2015, नेपाल): भूकंप के बाद राहत कार्यों के साथ भारतीयों को भी सुरक्षित निकाला गया।
- ऑपरेशन गंगा (2022, यूक्रेन): रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान 23,000 से ज़्यादा छात्रों और विदेशी नागरिकों को सुरक्षित वापस लाया गया।
- ऑपरेशन कावेरी (2023, सूडान): गृहयुद्ध के बीच लगभग 3,800 भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
- ऑपरेशन वंदे भारत (2020): कोविड लॉकडाउन के दौरान 70 लाख से ज़्यादा भारतीयों को वापस लाया गया। यह दुनिया के सबसे बड़े एयरलिफ्ट्स में से एक था।
- ऑपरेशन समुद्र सेतु (2020): भारतीय नौसेना ने खाड़ी देशों से 4,000 नागरिकों को सुरक्षित वापस लाया।
भारत की “फ़र्स्ट रिस्पॉन्डर” वाली छवि सिर्फ़ आपदाओं तक ही नहीं है। कोविड महामारी के समय वैक्सीन मैत्री अभियान के तहत भारत ने 100 से ज़्यादा देशों को टीके भेजे। यह उस वक्त किया गया जब भारत खुद भी महामारी से लड़ रहा था। इस पहल ने भारत की पहचान एक ऐसे देश की बना दी जो सिर्फ़ अपने लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए सोचता है।
दुनिया का भरोसेमंद ढाल: भारत
चाहे अफ़ग़ानिस्तान हो, नेपाल हो या तुर्की, भारत ने हर बार दिखाया है कि उसका मानवीय सहयोग लगातार और सच्चा है। जहाँ कई देश राजनीति में फँस जाते हैं, वहाँ भारत सबसे पहले इंसानियत को महत्व देता है।
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और सरकार की मजबूत इच्छा शक्ति ने भारत को ऐसा देश बना दिया है जो सबसे पहले मदद पहुँचाता है।
जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- भारत अब आत्मनिर्भर भी है और निस्वार्थ भी। साफ़ संदेश यह है: संकट के समय भारत सिर्फ़ दोस्त नहीं, बल्कि सबसे पहले पहुँचने वाला सच्चा दोस्त है।