जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल होने के संकेत मिल रहे थे, लेकिन छह महीने पहले ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क को करारा झटका देने के बावजूद, पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद अब फिर से घाटी में अपनी नापाक साजिश रचने में जुट गए हैं। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल F-16 जैसे हाईटेक हथियारों को निशाना बनाया, बल्कि पाकिस्तानी आतंकियों की आपूर्ति श्रृंखला, कमांड और कंट्रोल नेटवर्क को भी गंभीर क्षति पहुंचाई। भारतीय सेना की रणनीति और सटीक कार्रवाई ने स्पष्ट कर दिया कि भारत किसी भी तरह की सैन्य चुनौती का सामना करने में सक्षम है।
लेकिन पाकिस्तान हार मानने वाला देश नहीं है। उसके आतंकवादी संगठन एलओसी के पार से घुसपैठ, ड्रोन रेकी और फिदायीन हमलों की तैयारी कर रहे हैं। ISI और SSG की मदद से घाटी में आतंक फैलाने के लिए कई दस्ते पहले ही दाखिल हो चुके हैं। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान की रणनीति केवल असफलताओं को छुपाने और भारत की सुरक्षा को चुनौती देने के लिए राजनीतिक और सैन्य साजिश पर आधारित है।
पीओके में हुईं उच्चस्तरीय बैठकें
खुफिया रिपोर्टों में यह साफ़ किया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर का बदला लेने के उद्देश्य से उच्चस्तरीय बैठकें पीओके में हुई हैं। इसमें निष्क्रिय स्लीपर सेल्स को सक्रिय करने, कमांडरों को भत्ता देने और घाटी में फिदायीन हमलों को अंजाम देने की योजना शामिल है। पाकिस्तान की आक्रामक रणनीति केवल भारत की सुरक्षा को चुनौती देने का प्रयास नहीं, बल्कि उसके आंतरिक राजनीतिक और आर्थिक संकट से ध्यान भटकाने की चाल भी है।
स्थानीय हमदर्दों और नेटवर्क को पुनर्जीवित करना, हथियार और नशे की तस्करी से फंडिंग सुनिश्चित करना, यह सब पाकिस्तान की पैठ को स्पष्ट करता है। पंजाब और राजस्थान में इस साल इसमें बढ़ोतरी भी देखी गई। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान न केवल जम्मू-कश्मीर की अस्थिरता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है, बल्कि भारत के आंतरिक सुरक्षा ढांचे को भी कमजोर करने का प्रयास कर रहा है।
भारतीय सेना भी है तैयार
लेकिन भारतीय सेना किसी भी तरह की साजिश के लिए पूरी तरह तैयार है। त्रिशूल युद्धाभ्यास ने तीनों सेनाओं को पहले से कहीं अधिक संगठित और सतर्क कर दिया है। पश्चिमी सीमाओं पर विशाल युद्धाभ्यास केवल कौशल का प्रदर्शन नहीं, बल्कि यह पाकिस्तान और उसके समर्थकों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी भी है कि भारत किसी भी घुसपैठ या आतंकवादी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा।
सर्दियों में घुसपैठ कम हो जाती है, लेकिन इस बार खुफिया अलर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान की आक्रामक रणनीति घाटी में आतंक फैलाने की पूरी तैयारी कर रही है। भारतीय सेना की सतर्कता और रणनीतिक तैयारी इसे विफल करने के लिए पर्याप्त है।
विपक्ष की भूमिका चिंताजनक
इस पूरे घटनाक्रम में विपक्ष की भूमिका चिंताजनक है। राहुल गांधी और उनके समर्थक बार-बार ऑपरेशन सिंदूर, F-16 के मार गिराए जाने और आतंकवादियों की हार पर सवाल उठाते रहे हैं। जबकि भारतीय सैनिक सीमा पर जोखिम उठाकर राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं, विपक्षी नेता केवल टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर राजनीतिक बयानबाज़ी कर रहे हैं। यह केवल उनके राजनीतिक स्वार्थ और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति इस रवैये का मूल्यांकन करें। भारतीय जनता और सेना के लिए यह स्पष्ट है कि विपक्ष का सवाल उठाना केवल राजनीतिक नाटक है, जो वास्तविक घटनाओं और ऑपरेशन की सफलता को छोटा दिखाने का प्रयास करता है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के ठिकानों को ध्वस्त किया, आतंकियों की योजना और नेटवर्क को नष्ट किया, जबकि विपक्ष सिर्फ सवाल उठाकर अपनी राजनीतिक अहमियत दिखाने में लगा रहा।
पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय अलगाव और कट्टरपंथी लॉबी की नाकामी भी इस साजिश को जन्म देती है। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने पाकिस्तान के सैन्य और आतंकवादी मिथकों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। उसका बदला लेने का प्रयास नई साजिशों के रूप में सामने आया है। यह साफ़ करता है कि पाकिस्तान के लिए आतंकवाद केवल राजनीतिक और सैन्य हथियार है।
सावधानी और सतर्कता जरूरी
भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों के लिए खुफिया अलर्ट एक संकेत है कि सावधानी और सतर्कता पहले से कहीं अधिक जरूरी है। लश्कर और जैश के आतंकी दस्ते एलओसी पर रेकी और फिदायीन हमलों की तैयारी में हैं, लेकिन भारतीय सेना की तैयारियाँ और त्रिशूल युद्धाभ्यास यह सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी साजिश को विफल करने के लिए आवश्यक हर कदम उठाया जाएगा।
इस पूरे घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत की सैन्य और खुफिया क्षमताएं विश्वस्तरीय हैं। पाकिस्तान की आक्रामक साजिशें और विपक्ष के राजनीतिक नाटक इसके सामने नगण्य हैं। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, F-16 के मार गिराए जाने और खुफिया अलर्ट के बीच यह संदेश साफ़ है कि भारत के सैनिक और सुरक्षा एजेंसियां हर चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं।
अंततः, जम्मू-कश्मीर में स्थिरता बनाए रखना और आतंकवादियों की नई साजिशों को विफल करना भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पाकिस्तान के प्रॉक्सी युद्ध और विपक्ष की बयानबाज़ी दोनों ही भारतीय सेना की निर्णायक कार्रवाई और रणनीतिक सफलता के सामने केवल पृष्ठभूमि का हिस्सा हैं। यह देश की शक्ति, साहस और तैयारी का प्रमाण है।
सभी साजिशों के बावजूद, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसकी सुरक्षा और सैन्य शक्ति सर्वोच्च है। विपक्ष के सवाल, चाहे कितने नाटकीय हों, इसके सामने केवल तुच्छ हैं। F-16 गिराया गया, आतंकियों की चाल नाकाम हुई और भारत की सेना ने फिर दिखा दिया कि राष्ट्र की सुरक्षा और सैनिकों की बहादुरी ही असली ताकत है। अब यह स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में शांति और सुरक्षा की गारंटी केवल भारतीय सेना की सतर्कता और तैयारी से ही संभव है और इस पर राष्ट्र विरोधी बयानबाज़ियों का कोई असर नहीं।


























