पीएम मोदी को नयी सरकार की कमान संभाले अभी एक महीना भी नहीं बीता है, जब उन्हे एक बार फिर कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। हाल ही में अल्पसंख्यक मंत्रालय ने अपनी प्रेस रिलीज़ में प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति को 5 वर्षों में 5 करोड़ विद्यार्थियों तक पहुंचाने की बात की, जिसे न्यूज़ पोर्टल न्यूज़ 18 इंडिया ने कुछ इस तरह छापा कि मानो प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति का लाभ सिर्फ 5 करोड़ मुस्लिम छात्रों को ही मिलेगा। इसके बाद कुछ लोगों ने पीएम मोदी पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाना शुरू कर दिया और सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ अपना आक्रोश प्रकट किया।
जहां कुछ लोगों ने पीएम मोदी पर अल्पसंख्यकों के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया, तो कई लोगों ने उन्हे पाखंडी घोषित करने में ज़रा भी समय नहीं व्यतीत किया –
Modi as CM of Gujarat was against religion based scholarships.
But Modi as PM wants to provide 5 crore scholarships to Minority students in 5 years! The irony is nothing was done by his Govt in 5 years to provide minority status to Hindus in 8 states!https://t.co/T07NFPIqVA— Secularutopia (@secularutopia) June 5, 2019
@narendramodi Modi Ji, I am EXTREMELY against minority scholarships. This is straight up discrimination against Hindus. What happened to #SabkaSaathSabkaVikas ?! #againstminorityscholarship
Retweet this till our PM sees this message.
— Richa Sharma (@RichaSh83771680) June 6, 2019
आइए अब जरा उस प्रेस रिलीज़ की बात कर लेते हैं जिसमें कथित तौर पर अल्पसंख्यक छात्रों को यह छात्रवृत्ति प्रदान करने की बात कही गई है। प्रेस रिलीज़ में साफ साफ लिखा है की, ‘श्री नक़वी ने बताया की हमारा लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 5 करोड़ विद्यार्थियों को ‘प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना’ के तहत लाभ पहुंचाना है, जिसमें 50 प्रतिशत विद्यार्थी बालिकाएँ होंगी। ये पूरी प्रक्रिया काफी सुगम हो चुकी है और डीबीटी मोड के जरिये काफी पारदर्शी भी है।‘
इस प्रेस रिलीज़ को अगर ध्यान से पढ़ा जाये, तो कोई भी व्यक्ति तुरंत समझ जाएगा की मुख्तार अब्बास नक़वी ने देश के सभी विद्यार्थियों के हित में बात की है, न की केवल अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के हित में। प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना देश भर के उन विद्यार्थियों के लिए बनी है जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। इस बैठक के जरिये श्री नक़वी अगले पाँच वर्षों के लिए लक्ष्य तय कर रहे थे। उसी बैठक में ‘पढ़ो बढ़ो’ अभियान, ‘हुनर हाट’, ‘नई मंज़िल’, ‘गरीब नवाज़ कौशल विकास योजना’, ‘उस्ताद’ जैसी योजनाओं पर भी चर्चा की गयी। इनमें केवल ‘पढ़ो बढ़ो’ अभियान एवं ‘गरीब नवाज़ कौशल विकास योजना’ ही ऐसी योजनाएँ है, जो सीधा सीधा अल्पसंख्यकों के हितों के अनुरूप बनी है।
हालांकि, कुछ मीडिया संगठनों और कुछ स्वघोषित राजनीतिक विश्लेषकों ने या तो प्रेस रिलीज़ नहीं पढ़ी, या फिर जान-बूझकर पीएम मोदी के खिलाफ एजेंडा चलाने के लिए उन्होंने इस फेक न्यूज़ का सहारा लेना बेहतर समझा। ये कदम न केवल बचकाना है, बल्कि कई प्रकार की गलतफहमियों को भी बढ़ावा दे रहा है।
जब बात हद से ज़्यादा बढ़ गयी, तब एक ट्विट्टर यूज़र ने व्यक्तिगत जांच पड़ताल करने के बाद न्यूज़18 के खबर के पीछे की सच्चाई को काफी गहन अनुसंधान के साथ उजागर किया है। ‘राष्ट्रभक्त’ भूषण के नाम से इस ट्विट्टर हैंडल ने न्यूज़18 के लेख की धज्जियां उड़ाते हुये इस ट्विट्टर थ्रेड पर अपने विचार रखे हैं –
Not a right time , but feel like I should do a thread on the so called PM’s Scholarship for 5 crore minority students !! I will tell , how most of us have been duped and taken for a ride by presstitute media and tricked into abusing our own government as mulla appeaser (1/n)
— राष्ट्रभक्त Bhushan (@bhs7rocks) June 7, 2019
इस विस्तृत ट्विट्टर थ्रेड में ‘राष्ट्रभक्त’ भूषण ने इस बात पर गौर किया है की कैसे प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना को सांप्रदायिक रंग देकर व्यावहारिकता एवं नैतिकता की धज्जियां उड़ाकर पीएम मोदी को बदनाम करने का घटिया प्रयास किया गया है। पूरे प्रेस रिलीज़ में मुख्तार नक़वी ने कहीं भी अल्पसंख्यकों को विशेष लाभ देने की बात कहीं भी नहीं है, और न ही वर्तमान आंकड़े 5 वर्षों में 5 करोड़ अल्पसंख्यक बच्चों को आर्थिक सहायता देने के पक्ष में है।
अपनी थ्रेड में इन्होंने इस योजना की अव्यावहारिकता पर प्रकाश भी डाला है। जिन योजनाओं के तहत 5 करोड़ विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा, उसमें कई जगह कई पैमानों पर विद्यार्थियों को आंका जाएगा, और कुछ जगह उक्त विद्यार्थियों को न्यूनतम प्रतिशत भी अर्जित करना होगा। आसान भाषा में, इस योजना का लाभ लेने से पहले छात्रों को कुछ मापदंड पूरे करने होंगे। ऐसे में अचानक से हर वर्ष 1 करोड़ जितनी बड़ी संख्या में सिर्फ अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाना न केवल अव्यवहारिक है बल्कि हास्यास्पद भी है।
यही नहीं, इसी थ्रेड में इन्होंने प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना के तहत आने वाले विभिन्न छात्रवृत्तियों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें केवल अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए ही सुविधाएं नहीं उपलब्ध होंगी, बल्कि अन्य छात्रों को भी इन योजनाओं का पूरा लाभ दिया जाएगा।
There are 5 types of scholarship under Pradhanmantri Scholarship as you can see here. Note eligibility criteria. As u can see, 3 of them which require 12th pass criteria (with minimum 60% marks) plus other specific criteria like being ward of ex-servicemen/CAPF/RPF etc (7/n) pic.twitter.com/vUJScuuOAp
— राष्ट्रभक्त Bhushan (@bhs7rocks) June 7, 2019
इसी थ्रेड में ‘राष्ट्रभक्त’ भूषण ने इस बात पर भी प्रकाश डाला की यदि वाकई में ऐसे किसी योजना का क्रियान्वयन होगा, तो उसके लिए न केवल एक नई योजना बनानी होगी, बल्कि उसे सरकार एवं संसद से विशेष स्वीकृति भी लेनी होगी। यदि प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना में कोई बदलाव हुआ है, तो वह केवल विद्यार्थियों की संख्या और केन्द्रीय पुलिस बलों के बच्चों को इस योजना में सम्मिलित करने में हुआ हैं। चूंकि इसकी घोषणा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने की थी, इसलिए लेफ्ट लिब्रल न्यूज़ चैनलों, विशेषकर न्यूज़ 18 इंडिया ने इसपर भ्रामक खबरें प्रकाशित की, और बिना सोचे समझे पीएम मोदी की आलोचना करना प्रारम्भ कर दिया।
It is simply stupid and now I would say disgusting that RW blindly believe the same media who they call presstitutes. This entire “scholarship to 5 crore minority students” is a bogus lie by presstitutes and RW as usual fell for it. They should learn to research or… (15/n)
— राष्ट्रभक्त Bhushan (@bhs7rocks) June 7, 2019
अंत में ‘राष्ट्रभक्त’ भूषण ने इस थ्रेड में सभी यूज़र्स से निवेदन किया, की ऐसे भ्रामक खबरों पर बिना सोचे समझे विश्वास करके वे उन्हीं लोगों की सहायता कर रहे हैं, जिनकी झूठी खबरों के विरुद्ध वे अक्सर सोश्ल मीडिया पर अभियान चलाते आए हैं। यदि वे खुद से अनुसंधान नहीं कर सकते, तो सत्य सामने आने तक प्रतीक्षा करें, पर बिना सोचे समझे अपने ही नेताओं की बिना कारण आलोचना न करे। इससे उसी लेफ्ट लिब्रल गैंग का पक्ष सशक्त होगा, जिससे हम लोग अपनी विचारधारा की लड़ाई लड़ते आए हैं।