एक के बाद एक हार से कांग्रेस में चल रहा घमासान अब प्रखर हो चुका है। दिल्ली में जिस तरह कांग्रेस का पतन हुआ है उससे तो किसी भी पार्टी के नेता शीर्ष नेताओं के खिलाफ बगावत पर उतर ही जाएंगे।
अब पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने हार पर सवाल उठाया है और पार्टी के शीर्ष नेताओं पर अपनी नाराजगी जाहीर की है।
संदीप दीक्षित ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि इतने महीनों बाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एक नया अध्यक्ष नहीं नियुक्त कर सके हैं। उन्होंने आगे कहा, “इसका कारण यह है कि वे सभी यही सोच कर डरते हैं कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे। पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस के पास नेताओं की कमी नहीं है और अब भी कांग्रेस में कम से कम 6-8 नेता हैं जो अध्यक्ष बनकर पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं।
संदीप दीक्षित का स्पष्ट इशारा सोनिया गांधी के तरफ था जो राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद अन्तरिम अध्यक्ष पद पर बनी हुई हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कभी-कभार आप निष्क्रियता चाहते हैं, क्योंकि आप नहीं चाहते हैं कि कुछ हो।
खास बात यह है कि संदीप के इस बयान का पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी खुला समर्थन किया है। संदीप के बयानों का समर्थन करते हुए उन्होंने माना कि देशभर के कांग्रेसी नेताओं में आलाकमान के खिलाफ नाराजगी है।
बता दें कि वैसे भी मध्य प्रदेश, राजस्थान से लेकर पंजाब तक कांग्रेस नेताओं के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं और पार्टी के नेताओं पर गांधी परिवार का प्रभाव कम होता जा रहा है।
शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस में आलाकमान के खिलाफ नाराजगी चरम पर है, जो दबी जुबान से निकल रही है। थरूर ने ट्वीट कर कहा,- ‘संदीप दीक्षित ने जो कहा है वह देशभर में पार्टी के दर्जनों नेता निजी तौर पर कह रहे हैं। इनमें से कई नेता पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं सीडब्ल्यूसी से फिर आग्रह करता हूं कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए नेतृत्व का चुनाव कराएं।’
वहीं संदीप दीक्षित ने वरिष्ठ नेताओं को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि कुछ सालों में रिटायर होने वाले नेता भी पार्टी के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे वास्तव में अपने वरिष्ठ नेताओं से बहुत निराशा मिली है। उन्हें निश्चित तौर पर सामने आना चाहिए। उनमें से ज्यादातर जो राज्यसभा में हैं, जो पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वो भी जो वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं, जो बहुत वरिष्ठ हैं। मुझे लगता है कि उन्हें सामने आकर पार्टी के लिए कड़े फैसले लेने का वक्त आ गया है।‘
उन्होंने आगे कहा, ‘अमरिंदर सिंह, अशोक गहलोत, कमल नाथ… ये भी साथ क्यों नहीं आते, बाकी लोगों को भी साथ क्यों नहीं लाते? एके एंटनी, पी. चिदंबरम, सलमान खुर्शीद, अहमद पटेल… इन सभी ने कांग्रेस के लिए महान काम किया है। ये अब अपने राजनीतिक करियर के ढलान पर हैं। उनके पास शायद और चार से पांच साल हैं। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि वे बौद्धिक योगदान दें… वे केंद्र में, राज्यों में या अन्य जगहों पर लीडरशिप की चयन प्रक्रिया में जा सकते हैं।’
सोचने वाली बात है कि संदीप दीक्षित ने इंडियन एक्सप्रेस में दिए इंटरव्यू के दौरान जिस तरह से खुल कर ये बातें कही हैं वो किसी भी कांग्रेसी नेता के बस की बात नहीं है।
इससे पहले कांग्रेस के किसी नेता में गांधी परिवार और शीर्ष नेताओं के खिलाफ खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन संदीप दीक्षित ने पहली बार इनके खिलाफ मोर्चा खोला है।
इससे पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कहा था कि पार्टी को अपनी विचारधारा बदलने की जरूरत है। सिंधिया ने कहा था, ‘पार्टी के लिए यह बेहद निराशाजनक है। एक नई विचारधारा और एक नई कार्य प्रक्रिया की तत्काल जरूरत है। देश बदल गया है, इसलिए हमें देश के लोगों के साथ जुड़ने के लिए सोच बदलनी होगी। परंतु ओल्ड गार्ड्स गांधी परिवार से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। इस वजह से गांधी परिवार के खिलाफ बढ़ रहे आक्रोश से यह कहा जा सकता है कि वह दिन दूर नहीं जब या तो इस पार्टी में बदलाव देखे जाएंगे नहीं तो ये पार्टी डूब जाएगी।