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तृणमूल में मची भगदड़ से स्पष्ट है, ‘ममता जाने वाली है,भाजपा आने वाली है’

सुवेंदु अधिकारी के बाद कई और ममता के करीबी नेताओं में नाराजगी के संकेत

Krishna Bajpai द्वारा Krishna Bajpai
8 December 2020
in राजनीति
ममता
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पश्चिम बंगाल की राजनीति में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर कहा जाने लगा है कि अब ममता की कुर्सी जा रही है, क्योंकि उनके ही साथी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए पाला बदलने लगे हैं। ममता इस मुद्दे को लेकर भी बीजेपी पर आक्रामक हैं। उनका आरोप है कि उनकी पार्टी को तोड़ने के लिए ही बीजेपी धन-बल का इस्तेमाल कर रही है। इन सबसे इतर बीजेपी बंगाल में विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक चुकी है, जिससे ममता की पार्टी के ही नेता समझ चुके हैं कि बंगाल की राजनीति से ममता युग का अब अंत हो चुका है। इसीलिए ये सभी राज्य की राजनीति में पाला बदलते हुए बीजेपी का रुख कर रहे हैं।

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक ममता बनर्जी ने टीएमसी के बागी नेता सुवेंदु अधिकारी के गढ़ में रैली की है। ममता ने इस दौरान पार्टी में फूट के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है। ममता ने कहा, “बीजेपी पैसे का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही है। बीजेपी सोच रही है कि वो पैसा खर्च करके मेरी पार्टी को तोड़ देगी जिससे उसे आसानी से सत्ता मिल जाएगी, लेकिन असल में ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है।” ममता जानती हैं कि उनके विश्वसनीय सुवेंदु अधिकारी के बागी होने के बाद राज्य की राजनीति में उनकी चुनौतियां पहले से दोगुनी हो गई है। इसीलिए उन्होंने पहले मिदनापुर आना ही जरूरी समझा।

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ममता ने मिदनापुर से चुनावी शंखनाद करके अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन खास बात ये है सुवेंदु के साथ ही उनके परिवार का कोई भी शख्स इस रैली में शामिल नहीं था। सुवेंदु अधिकारी के पिता और तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य सिसिर अधिकारी के अलावा उनके भाई दिव्येंदु अधिकारी भी ममता की इस रैली से दूर रहे। इस पूरे परिवार का पूर्वी मिदनापुर के आस-पास के 6 जिलों की 60 विधानसभा सीटों पर विशेष प्रभाव है जिसके चलते ये परिवार ममता के लिए राजनीतिक मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

सुवेंदु अधिकारी ममता सरकार में परिवहन मंत्री थे और साथ ही उन्हें ममता बनर्जी का बेहद खास शख्स माना जाता है। वो ममता समेत उनके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी से खफा थे और अंत तक कोई समझौता न होने की स्थिति में उन्होंने पार्टी से किनारा कर लिया। कुछ ऐसी ही स्थिति एक और मंत्री राजीव बनर्जी की भी है। जिन्होंने ममता की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं जिसके चलते ये माना जा रहा है कि वो भी इस्तीफा दे सकते हैं। इसके अलावा टीएमसी के ही अन्य कई नेता पार्टी से नाराज हैं, जिनमें गौतम देव, रवींद्रनाथ घोष, शीलभद्र दत्त, अतीन घोष शामिल हैं। इन सभी के बीजेपी में जाने की संभावनाएं जताई जाने लगी हैं, जो ममता के लिए झटके की तरह ही है।

बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करने के साथ ही ममता की मुश्किलों में इजाफा करते हुए विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक लगातार बंगाल के दौरे पर प्रतिमाह आने वाले हैं। ऐसे में ममता के नेता लगातार पार्टी से नाराज़गी के कारण पार्टी छोड़ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ये कोई साधारण या मुख्यमंत्री की पकड़ से दूर रहने वाले नेता हैं। सभी को ममता का करीबी माना जाता है। ऐसे में ममता के लिए करीबियों का ही बगावत करना सबसे बड़ा झटका है।

राजनीति की एक थ्योरी में ये भी कहा जाता है कि अगर लगातार पार्टी में टूट पड़े तो समझ लेना चाहिए कि पार्टी की संभावित हार को देखते हुए ये परिवर्तन हो रहा है। बंगाल में भी टीएमसी के जहाज के डूबने का अनुमान लगाते हुए ही इन नेताओं ने बीजेपी की ओर अपना रुख करना शुरू कर दिया है जो दिखाता है कि अब बीजेपी की बंगाल में धमाकेदार जीत लगभग तय ही है।

Tags: तृणमूल कांग्रेसबंगाल चुनाव 2021
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