राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की पुस्तक ‘भविष्य का भारत’ को उर्दू में अनुवाद करके ‘मुस्तकबिल का भारत’ नाम से प्रकाशित किया गया है। इसे नैशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज (NCPUL) द्वारा प्रकाशित किया गया है। NCPUL के निदेशक शेख अकील अहमद ने ही भागवत की किताब को हिन्दी से उर्दू में अनुवादित किया है। बता दें कि भागवत की किताब ‘भविष्य का भारत’ में भागवत द्वारा साल 2018 में विज्ञान भवन में दी गई तीन-दिवसीय लेक्चर सीरीज का हिंदी संग्रह है।
मोहन भागवत द्वारा अपनी किताब उर्दू में अनुवादित कराने के पीछे मुख्य कारण यह था कि जो मुसलमान आज भी RSS को नफरत की नज़र से देखते हैं, वो भागवत की पुस्तक पढ़कर RSS के बारे में फैली गलतफ़हमी को दूर करें। भागवत अपनी किताब का उर्दू में अनुवाद कर यह संदेश देना चाहते है कि भविष्य के भारत में हिन्दी और उर्दू बोलने वालों को भारत के तरक्की के लिए एक साथ चलना पड़ेगा।
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भागवत के इस नेक विचार का कुछ कट्टर मुसलमानों ने खुल कर विरोध किया है साथ ही कई उर्दू लेखकों ने NCPUL के इस कदम पर नाराजगी जताई है। उर्दू कवि माजिद देवबंदी ने कहा है कि, “यह NCPUL के फंड्स का सरासर दुरुपयोग है, जिसका मकसद लेखकों और कवियों की मदद पर उर्दू को प्रोत्साहित करना है। एक किताब, जो किसी संस्था की विचारधारा को बढ़ावा देती है, उसका प्रचार नियमों और नीतियों के खिलाफ है।”
कट्टर मुसलमानों द्वारा भागवत की किताब को लेकर फैलाए जा रहे है झूठ का NCPUL के निदेशक शेख अकील अहमद ने विरोध किया है। अहमद ने भागवत के पक्ष में अपना रुख जाहिर किया और अपने बयान में कहा कि,”NCPUL ने पहले गीता और गुरु ग्रंथ साहिब का भी अनुवाद किया है। लेक्चर्स का यह संग्रह नए भारत की बात करता है। इसमें कुछ गलत नहीं अगर NCPUL उर्दू पाठकों तक यह किताब पहुंचा रहा है।”
बता दें कि, पुस्तक का विमोचन 5 अप्रैल को दिल्ली में होगा। दिल्ली में संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहेंगे।RSS प्रमुख ने कहा है कि,RSS को लेकर मुसलमानों के मन में गलतफहमियां फैलाई जाती हैं। अगर मुसलमानों को RSS के बारे में जानना है तो शाखा आएँ। अपनी किताब को उर्दू में अनुवाद करने पर भागवत ने कहा कि RSS की विचारधारा को अल्पसंख्यकों तक पहुंचाने का यह एक नेक प्रयास है। भागवत ने आगे यह भी कहा है कि हिंदुओं को भी इस्लाम को समझने के लिए इस्लामिक साहित्य पढ़ना चाहिए।
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भागवत की किताब को उर्दू में अनुवादित करने से पहले भी RSS मुसलमानों से जुड़ने का निरंतर प्रयास करता आ रहा है, इसीलिए मुसलमानों के लिए RSS का एक अलग मंच भी है, जिसका नाम मुस्लिम राष्ट्रीय मंच है। RSS को वामपंथियो ने धर्म के रंग से रंग दिया है जबकि RSS का सिर्फ किसी एक धर्म से ही लेना देना नहीं है।