एलआईसी (LIC) का आईपीओ (IPO) भारत का वृहदतम आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव होगा। जिससे सरकार का लक्ष्य 900 अरब रुपये तक अर्थ-संचयन का है, लेकिन भारत इसमें चीनी निवेशकों के प्रवेश को अवरुद्ध करना चाहता है। चीनी अर्थव्यवस्था के दिग्गजों पर शी जिनपिंग द्वारा अचानक कार्रवाई ने चीनी बाजार में डर का माहौल बाना दिया है जिसके कारण व्यवसायी अपनी हितों की रक्षा के लिए विदेश की ओर देख रही हैं।
चूंकि भारत चीन के बाद सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार प्रदान करता है, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत उनकी प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर है। लेकिन, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार इन घटनाक्रमों के बारे में अच्छी तरह से जागरूक और सतर्क है और वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि भारतीय बाजार में चीनी निवेश अपने न्यूनतम संभव मूल्य तक सीमित हो।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत बहुप्रतीक्षित एलआईसी (LIC) का आईपीओ (IPO) में चीनी निवेश की सभी जड़ों को अवरुद्ध करने के लिए तैयार है। पहले तो केंद्र विदेशी संस्थागत निवेशकों को एलआईसी (LIC) की आईपीओ (IPO) का 20% तक खरीदने की अनुमति देने पर विचार कर रहा है, लेकिन अब चीनी निवेशकों को शेयर खरीदने से रोका जाएगा। रॉयटर्स की जानकारी उसके विश्वस्त सूत्रों, 4 प्रशासनिक अधिकारियों और 1 बैंक कर्मचारी के कथन पर आधारित है। सीमा पर राजनीतिक तनाव, राष्ट्र और निवेशकों के हितों को देखते हुए चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक सम्बन्धों का असामान्य होना भारत को स्वाभाविक है।
एक सरकारी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया-“चीन के साथ सीमा पर संघर्ष के बाद हमेशा की तरह व्यापार नहीं हो सकता है। पारस्परिक अविश्वास और घाटा काफी बढ़ गया है। अतः, LIC जैसी कंपनियों में चीनी निवेश जोखिम पैदा कर सकता है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, इस संबंध में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि भारत LIC में चीनी निवेश को कैसे अवरुद्ध करेगा क्योंकि उसके लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कानून को संशोधित करने की आवश्यकता हो सकती है। मौजूदा कानून के तहत, कोई भी विदेशी निवेशक LIC में निवेश नहीं कर सकता है, लेकिन सरकार विदेशी संस्थागत निवेशकों को एलआईसी (LIC) आईपीओ (IPO) की पेशकश का 20% तक खरीदने की अनुमति देने पर विचार कर रही है।
रॉयटर्स ने दो सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया, “LIC में चीनी निवेश को रोकने के विकल्पों में LIC से संबंधित एक खंड के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर मौजूदा कानून में संशोधन करना या LIC के लिए एक नया कानून बनाना शामिल है।”
एक तीसरा विकल्प भी है जिसमें चीनी निवेशकों को आईपीओ में आधारशिला निवेशक बनने से रोका जा सकता है लेकिन यह चीनी निवेशकों को द्वितीयक बाजार (secondary market) में शेयर खरीदने से नहीं रोकेगा।
गलवान घाटी में गतिरोध के बाद, भारत ने भारत में लगभग 118 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा और तालिबान को चीन की सहायता से भारत-चीन संबंधों के लिए एक नई चुनौती जुड़ गई है। इसको देखते हुए यह कदम आशातीत प्रतीत होता है।
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रॉयटर्स ने बताया कि अपने बजट भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एलआईसी (LIC) का आईपीओ (IPO) 2021-22 में पूरी हो जाएगी। सरकार इस वित्तीय वर्ष में बजटीय बाधाओं में मदद के लिए लिस्टिंग को पूरा करने के लिए उत्सुक है और पिछले महीने के अंत में सोलह में से 10 मर्चेंट बैंकों का चयन किया, जिन्होंने प्रक्रिया को प्रारम्भ करने के लिए बोली लगाई थी।
सरकार का यह कदम प्रसंशनीय है और यथोचित भी। चीन नें एक नए वैश्विक समीकरण का सृजन किया है। इस समीकरण के अनुसार विस्तारवाद और चीनी साम्राज्यवाद का मार्ग अर्थ से होकर गुजरता है। सैन्यबल से सीमा विजय वैश्वीकरण के दौर में असंभव सी प्रतीत होती है। अतः, वो आर्थिक विजय के लिए प्रयासरत है। इस संदर्भ में सरकार यह निर्णय ले रही है। इसे हम आर्थिक गलवान कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। राष्ट्र के चौकन्ने चौकीदारों ने इस आर्थिक अतिक्रमण को ध्वस्त करने जा रही है।
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