TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने 'चिकन नेक' को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    भारत ने ‘चिकन नेक’ को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने 'चिकन नेक' को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    भारत ने ‘चिकन नेक’ को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

मोपला नरसंहार: क्या हुआ जब मालाबार के हिंदू अपनी ज़मीन लेने वापस पहुँचे

भाग-2

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
14 September 2021
in इतिहास
मोपला नरसंहार: कैसे टीपू सुल्तान और उसके पिता हैदर अली ने मोपला नरसंहार के बीज बोए थे
Share on FacebookShare on X

केरल के मालाबार में हुए नरसंहार की कोरी कल्पना भी रोम-रोम में भय का संचार करती है। ये नरसंहार हत्या का वो तांडव था जिससे मनुष्य की अंतरात्मा तक कांप उठे। पिछले संस्करण में हम इस बात से अवगत हुए थे कि कैसे मोपला नरसंहार की नींव मैसूर के सल्तनत में पड़ी थी, जब हैदर अली और उसके बेटे फतेह अली अथवा टीपू सुल्तान के बर्बर और निरंकुश शासन के कारण मोपिलाह मुस्लिमों और उनके अत्याचारों को बढ़ावा मिला। परंतु ऐसा भी नहीं था कि हमारी मातृभूमि वीरों से वंचित रही थी। टीपू सुल्तान के निरंकुश शासन के विरुद्ध जनविद्रोह स्वाभाविक था, और वह हुआ भी।

आज के अंक में आपका परिचय इस तथ्य से होगा कि कैसे मलाबार पर अंग्रेजों के शासन में सनातन धर्म के अनुयाइयों ने हैदर अली और टीपू सुल्तान के शासन में जो खोया था, उसे पुनः प्राप्त तो किया, परंतु हैदर और टीपू के अत्याचारों के कारण मुस्लिमों और हिंदुओं में जो कड़वाहट उत्पन्न हुई थी, उससे ऐसी खाई उत्पन्न हुई जो फिर कभी नहीं पाटी जा सकी। हम ये जानेंगे कि आखिर ऐसे क्या कारण थे कि निरंकुश शासकों का सफल विद्रोह करके भी हम मोपला जैसे नृशंस नरसंहार नहीं रोक पाए। इस संस्करण में हम उन तथ्यों से परिचित होंगे कि कैसे हमारे पूर्वजों ने टीपू सुल्तान के निरंकुश शासन से विद्रोह कर अपना सम्मान और अपना यश मालाबार में पुनः प्राप्त तो किया, परंतु उस संस्कृति की रक्षा करने के लिए वे एक सशक्त व्यवस्था की रचना नहीं कर पाए।

संबंधितपोस्ट

“वोट के लिए हमारे पूर्वजों को अपमानित किया जा रहा”, टीपू सुल्तान के कथित वंशज राजनेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे

कर्नाटक में अब ‘सलाम आरती’ नहीं ‘सांध्य आरती’ होगी

“हम टीपू सुल्तान की 100 फीट ऊंची मूर्ति लगाएंगे” कर्नाटक में कांग्रेस के लिए ‘ईवीएम हैक’ होनी तय

और लोड करें

जैसा हमने पिछले अंक में आपको बताया था, मोपला दंगों के पीछे मैसूर के अंतिम इस्लामिक शासक, सुल्तान फतेह अली खान अर्थात टीपू सुल्तान और उसके पिता, हैदर अली की महत्वपूर्ण भूमिका थी। केरल में इस्लामी क्रूरताओं के साथ मैसूर सुल्तानों के आगमन से पहले मप्पिलाओं ने अपने हिंदू राजाओं की अवज्ञा करने की हिम्मत तक नहीं की थी, परंतु हैदर अली और टीपू सुल्तान के साथ हाथ मिलाने के बाद, उन्होंने हिंदू आबादी के विरुद्ध इस्लामी अत्याचारों में न केवल उनकी सहायता की अपितु उस हिन्दू विरोधी मानसिकता को अपनाया भी।

और पढ़ें- मोपला दंगों के 100 साल, परआज भी केरल में कुछ नहीं बदला है

हैदर अली तो हैदर अली, उसके पुत्र टीपू सुल्तान ने भी अपनी बर्बरता से मालाबार की भूमि को रक्तरंजित किया। परंतु अब प्रश्न ये उठता है – यदि टीपू सुल्तान और हैदर अली ने इतने अत्याचार ढाए थे, तो फिर मोपला दंगों की आवश्यकता क्यों पड़ी? वास्तव में, मालाबार के मुस्लिम निवासियों को उस क्षेत्र में सम्पूर्ण वर्चस्व चाहिए था।

टीपू सुल्तान के बर्बर शासन से सभी अवगत हैं, परंतु उसके बर्बर शासन के विरुद्ध विद्रोह से हमें अधिकतर अपरिचित ही रखा गया है। 1789 आते-आते टीपू के बर्बर शासन के विरुद्ध मालाबार में विद्रोह प्रारंभ हो गया था, जिसे कुचलने के लिए 1790 में स्वयं टीपू सुल्तान को मालाबार भूमि आने को विवश होना पड़ा। इसी बीच मालाबार के विद्रोहियों की रक्षा हेतु त्रावणकोर के दीवान, राजा केशवदास पिल्लई के नेतृत्व में नेदुमकोट्टा के समक्ष दोनों सेनाओं का सामना हुआ।

जहां टीपू को इस्लामी सेनाओं और फ्रेंच शासन का समर्थन प्राप्त था, तो वहीं त्रावणकोर को अप्रत्यक्ष तौर पर ब्रिटिश साम्राज्य का समर्थन प्राप्त था। यह युद्ध इसलिए प्रारंभ हुआ था क्योंकि मालाबार में टीपू के अत्याचार का विद्रोह कर रहे कई गैर-मुस्लिम योद्धाओं ने त्रावणकोर में शरण ली थी, और जब टीपू सुल्तान ने त्रावणकोर के शासक धर्मराज से उन योद्धाओं को सौंपने को कहा, तो उनका प्रतिनिधित्व कर रहे युवा सेनापति केशव पिल्लई ने उनका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया।

थ्रिसुर [Thrissur] में पाँच माह तक चले इस भीषण युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला, परंतु इसने शनै शनै: टीपू सुल्तान के अत्याचारी शासन के पतन की नींव डाल दी थी, क्योंकि त्रावणकोर पर आक्रमण मंगलुरु में हस्ताक्षरित ब्रिटिश मैसूर समझौते का उल्लंघन था, जो तीसरे ब्रिटिश मैसूर युद्ध का कारक बना, और इसी के कारण 1799 में टीपू सुल्तान को श्रीरंगपटनम में भीषण युद्ध के बाद त्रावणकोर और ब्रिटिश साम्राज्य की संयुक्त सेना ने यमलोक भेज दिया। उस एक क्षण के लिए एक अत्याचारी, निरंकुश आक्रांता का नाश करने के लिए ‘दो वैचारिक शत्रु’ एक हुए थे। इसी विद्रोह से आरंभ हुआ था हिंदुओं का वापस अपनी संपत्ति पर दावा।

तद्पश्चात ब्रिटिश साम्राज्य के नेत्रों में सबसे बड़ी बाधा बने टीपू सुल्तान का अंत हुआ, तो वहीं त्रावणकोर समेत सम्पूर्ण मालाबार को मैसूर के निरंकुश शासन से कुछ समय के लिए मुक्ति मिल गई।

परंतु, क्या इससे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच के संबंधों में जो खटास आई, वो कम हुई। ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। इसके विपरीत ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनसे यह सिद्ध होता है कि टीपू के निरंकुश शासन से विद्रोह करके मालाबार में सनातनियों ने अपनी संपत्ति, अपना सम्मान पुनः प्राप्त तो किया, परंतु कहीं न कहीं धार्मिक उन्माद के बीज यहीं से उत्पन्न होने लगे। इसी विद्रोह के पश्चात जिन संपत्तियों को सनातनियों ने पुनः प्राप्त किया, वहाँ से मोपला मुस्लिमों के मस्तिष्क में प्रतिघात की भावना उमड़ने लगी, जो कहीं न कहीं कश्मीर के नरसंहार से भी सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ है।

ये कैसे संभव है? 1852 में ब्रिटिश अधिकारी टी एल स्ट्रेन्ज को मालाबार के विशेष मंडलायुक्त यानि कमिश्नर के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने हिन्दू और मुस्लिम जमींदारों के बीच के अंतर को स्पष्ट रेखांकित करते हुए अपने रिपोर्ट में लिखा, “मैं … आश्वस्त हूं और हालांकि ऐसे उदाहरण हैं कि एक पट्टेदार के लिए इस व्यवस्था में व्यक्तिगत कठिनाई पैदा हो सकती है, परन्तु इस समस्त कार्य व्यवहार में हिन्दू जमींदार अपने काश्तकार, चाहे मोपला या हिंदू, सामान्यत: सौम्य, भेदभाव से रहित और न्यायसंगत रहता है। वहीं मोपला पट्टेदार, विशेष रूप से दक्षिण मालाबार के तालुकों में, जहां उपद्रव का प्रकोप सर्वाधिक है, अपने दायित्वों से बचने में बहुत कुशल हैं। झूठे और अपमानजनक मुकदमेबाजी का सहारा लेते हैं। जिन हिस्सों में सर्वाधिक उपद्रव हुए हैं, वहां हिंदू मोपला से इतना डरे हुए हैं कि अधिकतर मोपला मुस्लिमों के विरुद्ध अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाते। कई मोपला पट्टेदार ऐसे हैं, जो किराए का भुगतान भी नहीं करते हैं।’’ इस बात की पुष्टि अधिवक्ता एवं इतिहासकार सी शंकरण नायर ने भी की है।

स्ट्रेंज ने यह भी कहा था कि, ” चूंकि भूमि हिंदुओं के पास है और पैसा मप्पिलाओं के पास है, इसलिए भूमि पाने के लिए मप्पिलाओं ने कट्टरता को प्रोत्साहित किया। अंत में इसका परिणाम यह हुआ कि सभी क्षेत्र में मप्पिला बढ़ते गए तथा भूमि निश्चित रूप से मप्पिलाओं के कब्जे में चली गयी।”

वहीं मालाबार के जिलाधिकारी रह चुके मिस्टर कोनोली 1852 में अपनी रिपोर्ट में उल्लेख करते हैं कि,

“पिछले कई वर्षों से मालाबार की भूमि वीभत्स आक्रमणों से रक्तरंजित हुई है, जो हिंदुओं पर मोप्ला मुस्लिमों ने किए हैं। धनाढ्य और सम्मानित हिंदुओं को सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया गया, इनपर आक्रमण किया गया, इनके निवासों को अग्नि के हवाले किया और फिर पुलिस या सेना से संघर्ष में अपना सर्वस्व अर्पण किया। पूर्व में मपिल्ला यदा कदा महिलाओं और बच्चों को छोड़ दिया करते थे, परंतु इस बार जो भी मिलता, सबका नाश होता!”

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि कोनोली ने यह बात टीपू की मृत्यु के 50 वर्ष पश्चात 1852 में कही थी। अर्थात उसकी मृत्यु के बाद अपनी संपत्ति को पुनः प्राप्त करने वाले हिंदुओं के विरुद्ध वातावरण बन चुका था तथा वर्ष 1921 के नरसंहार के लिए मजबूत दीवार खड़ी हो चुकी थी। टीपू की मृत्यु के पश्चात हिंदुओं के खिलाफ छोटे-बड़े कई दंगे हुए, कभी संपत्ति को लेकर तो कभी भूमि को लेकर।

परंतु कथा इतने पर समाप्त नहीं होती। मालाबार में सांप्रदायिक हिंसा के पीछे एक और कारण भी था, मोपला मुस्लिमों का अलग स्वभाव, जिसपर अंग्रेज़ों का भी कोई नियंत्रण नहीं था। ब्रिटिश शासन के आधिकारिक रिकॉर्ड्स के अनुसार, तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक आर एच हिचकॉक बताते हैं, “खिलाफत आंदोलन के नेटवर्क से कहीं अधिक महत्वपूर्ण, मपिल्लाओं के बीच संचार की पारंपरिक प्रणाली थी। यह ऐसा बिंदु था जो हिंदू और मपिल्ला के बीच एक बड़ा अंतर निर्मित करता था। कुछ बाजारों में पूर्ण रूप से मपिल्ला ही मौजूद हैं, और अधिकांश मपिल्ला सप्ताह में कम से कम एक बार शुक्रवार की नमाज के लिए और अक्सर मस्जिदों में अन्य समय पर भी एकत्र होते हैं। इसलिए वे अपनी किसी तरह की सार्वजनिक राय बना सकते हैं और जोड़ सकते हैं, लेकिन यह सारा काम मजहब की आड़ में किया जाता है। इस कारण हिंदू या यूरोपीय लोगों को भी इसके बारे में कुछ भी जानकारी होना कठिन हो जाता।”

ये नींव एक दिन में तो अवश्य नहीं पड़ी होगी। इसके पीछे वर्षों का परिश्रम, तुष्टीकरण, और अनेकों प्रकार के प्रपंच सम्मिलित हैं, जिनसे मोपला के निकृष्ट आक्रान्ताओं को अपने कुकृत्य करने की प्रेरणा मिली होगी। इतिहास ऐसे ढेरों उल्लेख, उद्धरणों, साक्ष्यों तथा प्रमाणों से पटा पड़ा है।

आवश्यकता है तो बस आपको अपने चेतना को झकझोरने की। सच आपके सामने ही खड़ा है। अगले अंक में हमारा प्रयास इस पक्ष पर रहेगा कि कैसे इस द्वेष को बढ़ावा देते हुए 50 से भी अधिक हिंसक घटनाएँ हुई, जिन्होंने शनै शनै: मोपला के भीषण और नृशंस नरसंहार की नींव रखी। हम इस विषय पर भी चर्चा करेंगे कि कैसे वाम और ”वाम के हाथ’ अर्थात काँग्रेस नें इस घटना को न सिर्फ छुपाया बल्कि छद्म राष्ट्रवाद और कृषक विद्रोह के नाम पर इस्लामी कट्टरपंथियों का महिमामंडन किया और धार्मिक कट्टरता के इस वीभत्स स्वरूप को एक ‘कृषि आंदोलन’ का रूप देने का प्रयास किया।

भाग 1 – मोपला नरसंहार: कैसे टीपू सुल्तान और उसके पिता हैदर अली ने मोपला नरसंहार के बीज बोए थे

Tags: टीपू सुल्तानमोपला नरसंहार
शेयर274ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

1965 भारत-पाक युद्ध: चाविंडा की वह लड़ाई जो भुला दी गयी

अगली पोस्ट

दोषपूर्ण चीनी टीके चीनी अर्थव्यवस्था को परेशान करने के लिए वापस आ गए हैं

संबंधित पोस्ट

वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव
इतिहास

वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

7 November 2025

भारत के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब एक गीत, एक पंक्ति, या एक विचार समूचे राष्ट्र की आत्मा बन जाता है। वंदे...

कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम
इतिहास

कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

5 November 2025

आज कार्तिक पूर्णिमा है। कार्तिक पूर्णिमा सनातन परंपराओं में अत्यंत पवित्र दिन माना जाता है। यह केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक...

नगीना मस्जिद हमला
इतिहास

जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

31 October 2025

बात वर्ष 1939 की है।अंग्रेजी शासन के ख़िलाफ़ पूरे देशभर में भावनाएं उफान पर थीं जनता न सिर्फ अपने लिए ज्यादा से ज्यादा अधिकारों की...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why India’s “Chicken’s Neck” Defence Strategy Is a Warning to Dhaka & Islamabad

Why India’s “Chicken’s Neck” Defence Strategy Is a Warning to Dhaka & Islamabad

00:06:48

How Trump’s Numbers Reveal the Hidden Story of Pakistan’s Lost Jets?

00:05:17

How an Unverified US Shoplifting Incident Is Turned Into A Political Attack Against India & Modi

00:07:47

How Astra Mk-I Based VL-SRSAM will Power India’s Naval Air Defense Network?

00:05:52

What Is The Reason Behind India’s Withdrawal from Tajikistan’s Ayni Air Base?

00:06:48
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited