TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    पंजाब की बाढ़: जब भाजपा ने जनता का हाथ थामा

    पंजाब की बाढ़: जब भाजपा ने जनता का हाथ थामा

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस का आत्मघाती दांव

    बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस का आत्मघाती दांव

    बिहार का जंगलराज और सत्येंद्र दुबे की शहादत: एक आईना

    बिहार का जंगलराज और सत्येंद्र दुबे की शहादत: एक आईना

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    पंजाब की बाढ़: जब भाजपा ने जनता का हाथ थामा

    पंजाब की बाढ़: जब भाजपा ने जनता का हाथ थामा

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 21 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 20 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    नेपाल और विदेशी साज़िश: भारत विरोधी नैरेटिव का सच

    नेपाल और विदेशी साज़िश: भारत विरोधी नैरेटिव का सच

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 21 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 20 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    प्रशांत पोळ की ‘खजाने की शोधयात्रा’ पुस्तक में छिपे ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ के अनमोल रत्न

    प्रशांत पोळ की ‘खजाने की शोधयात्रा’ पुस्तक में छिपे ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ के अनमोल रत्न

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    पंजाब की बाढ़: जब भाजपा ने जनता का हाथ थामा

    पंजाब की बाढ़: जब भाजपा ने जनता का हाथ थामा

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस का आत्मघाती दांव

    बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस का आत्मघाती दांव

    बिहार का जंगलराज और सत्येंद्र दुबे की शहादत: एक आईना

    बिहार का जंगलराज और सत्येंद्र दुबे की शहादत: एक आईना

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    पंजाब की बाढ़: जब भाजपा ने जनता का हाथ थामा

    पंजाब की बाढ़: जब भाजपा ने जनता का हाथ थामा

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 21 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 20 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    गुरुग्राम से हिंद महासागर तक: आईएनएस अरावली की दास्तान

    नेपाल और विदेशी साज़िश: भारत विरोधी नैरेटिव का सच

    नेपाल और विदेशी साज़िश: भारत विरोधी नैरेटिव का सच

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 21 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 20 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    ‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

    प्रशांत पोळ की ‘खजाने की शोधयात्रा’ पुस्तक में छिपे ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ के अनमोल रत्न

    प्रशांत पोळ की ‘खजाने की शोधयात्रा’ पुस्तक में छिपे ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ के अनमोल रत्न

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

भारत की स्वतंत्रता की वास्तविक कहानी- अध्याय 4: दांडी मार्च का अनसुना सत्य, जिसे आप नहीं जानते

ऐसा स्कैम और कहीं नहीं!

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
19 January 2022
in इतिहास
दांडी यात्रा

Source- TFI

Share on FacebookShare on X

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक महत्वपूर्ण अध्याय हैं, लेकिन उनमें सबसे प्रमुख अध्याय निस्संदेह दांडी यात्रा (12 मार्च 1930 – 6 अप्रैल 1930) का है। आज भी कई वामपंथी इतिहासकार मोहनदास करमचंद गांधी की तारीफ करते नहीं थकते कि कैसे उन्होंने नमक उठाकर ब्रिटिश साम्राज्य को घुटने टेकने पर विवश कर दिया। लेकिन दांडी यात्रा के पीछे कुछ ऐसे सत्य हैं, जिनसे आज भी देश अपरिचित हैं और आज भी लोग एक अनावश्यक यात्रा को स्वतंत्रता आंदोलन का अभिन्न अंग मानते हैं, जिसने भारत को लाभ के बजाए केवल हानि पहुंचाई।

इस कथा की उत्पत्ति होती है नमक कर से, जो ब्रिटिश शासन ने भारतीयों पर लगाया था। उनके अनुसार भारतीयों को यदि नमक का उत्पादन करना है, तो उन्हे अंग्रेज़ों को भारी मात्रा में कर यानि टैक्स चुकाना होगा, अन्यथा नमक उत्पादन किसी अपराध से कम नहीं होगा। इसके विरोध में महात्मा गांधी ने साबरमती में स्थित अपने आश्रम से लेकर गुजरात में दांडी के तट तक यात्रा की, जहां पर उन्होंने समुद्र के खारे पानी से नमक बनाया और यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन की नींव पड़ी। गांधी एक बार फिर राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बन गए और लोग मानो ‘उनका नाम जपने लगे’।

संबंधितपोस्ट

बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस का आत्मघाती दांव

नेपाल की सड़कों से उठी पीएम मोदी की गूंज: विपक्ष के सपने फिर अधूरे

पीएम मोदी का मास्टरस्ट्रोक: भागवत को बधाई, विपक्ष को ‘बाय-बाय’

और लोड करें

और पढ़ें: भारत की स्वतंत्रता की असल गाथा: अध्याय-1- कांग्रेस की स्थापना क्यों की गई थी?

साइमन कमीशन का विरोध

लेकिन क्या दांडी यात्रा सच में इतना महत्वपूर्ण था या इसके पीछे कोई और कारण था? पिछले अध्याय में हमने पढ़ा था कि कैसे पूर्ण स्वराज कांग्रेस का मूल सिद्धांत नहीं था, परंतु कैसे जन समर्थन के भारी दबाव में उन्हें इसे अपनाने पर विवश होना पड़ा। इसी प्रकार से दांडी यात्रा कोई राष्ट्रव्यापी आंदोलन नहीं था, परंतु गांधी को वापस लाइमलाइट में लाने और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा बदलने में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे एक बार फिर देश की स्वतंत्रता में बाधा आने वाली थी।

वो कैसे? ये बात है सन् 1928 की, जब साइमन कमीशन का दल भारत आया था। तब कांग्रेस को पूर्ण स्वराज में कोई रुचि नहीं थी और वे ‘Dominion Status’ की भीख में ही प्रसन्न रहना चाहते थे, लेकिन एक विरोध प्रदर्शन ने पूरा खेल बदल दिया। पूर्व कांग्रेस नेता और प्रखर राष्ट्रवादी, ‘पंजाब केसरी’ लाला लाजपत राय अग्रवाल के नेतृत्व में लाहौर स्टेशन के समक्ष साइमन कमीशन के दल का भारी विरोध हुआ, जिसमें कांग्रेस, हिन्दू महासभा समेत हर दल से लोग एकजुट हुए थे।

ये विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण होकर भी इतना तीव्र और प्रचंड था कि अंग्रेज़ बौखला गए और उन्होंने अंधाधुंध लाठियां बरसानी प्रारंभ कर दी। तत्कालीन एसपी जेम्स ए स्कॉट और उनके सहयोगी जॉन पी सॉन्डर्स ने लालाजी को घेरकर इतना पीटा, इतना पीटा कि वे लहू लुहान हो गए। लाला लाजपत राय इस आघात से उबर नहीं पाए और 17 नवंबर 1928 को उन्होंने अंतिम सांस ली। परंतु उनके बलिदान ने क्रांति की एक ऐसी ज्योति जलाई, जिसने देश का इतिहास ही बदलकर रख दिया।

और पढ़ें: लाला लाजपत राय: वो वीर पुरुष जिनके बलिदान ने स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा ही बदल दी!

‘पंजाब केसरी’ की हत्या का प्रतिशोध

फिर आया दिसंबर 1928। इस माह में दो दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं – 17 दिसंबर और 29 दिसंबर। 17 दिसंबर को लाला लाजपत राय की हत्या का प्रतिशोध अवश्य लिया गया, परंतु वह तनिक अधूरा था, क्योंकि मुख्य अपराधी स्कॉट के बजाए एएसपी सॉन्डर्स क्रांतिकारी शिवराम हरी राजगुरु और भगत सिंह के हाथों मारा गया था। उसे बचाने के चक्कर में हवलदार चनन सिंह को चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने पिस्तौल के एक वार से ढेर कर दिया था। उसके बाद ये तीनों क्रांतिकारी वेश बदलकर सकुशल लाहौर से कलकत्ता स्थानांतरित हो गए और कुछ दिन के पश्चात चंद्रशेखर आजाद और राजगुरु ने वाराणसी (बनारस) में शरण ले ली।

इसी बीच 28-29 दिसंबर 1928 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में वेश बदलकर भगत सिंह ने भी हिस्सा लिया। परंतु इस अधिवेशन में इतना क्या महत्वपूर्ण था? इस अधिवेशन की मेजबानी कर रहे थे एक युवा नेता, जिनका नाम था सुभाष चंद्र बोस। उन्होंने कांग्रेस के सेवादल को पारंपरिक पोशाक पहनाने के बजाए अंग्रेज़ी सैन्य परिधान पहनाया और सैन्य शक्ति प्रदर्शन भी कराया। अंग्रेज़ इस प्रदर्शन से स्तब्ध हुए, जबकि महात्मा गांधी ने इसका उपहास उड़ाते हुए इसे ‘सर्कस का बचकाना करतब’ बताया, जिसका उल्लेख हंसल मेहता द्वारा रचित वेब सीरीज़ ‘बोस – डेड ऑर अलाइव’ में बड़ी तत्परता से किया गया है।

और पढ़ें: अध्याय 2: भारतीय स्वतंत्रता की वास्तविक कहानी: मोहनदास करमचंद गांधी वास्तव में भारत क्यों लौटे?

लेकिन सुभाष चंद्र बोस द्वारा उस प्रदर्शन का एक विशेष उद्देश्य था। वो कांग्रेस के तौर तरीकों से पूर्णतया सहमत नहीं थे। बोस जानते थे कि सशस्त्र क्रांति के बिना भारत को स्वतंत्रता कदापि नहीं मिलेगी और इसीलिए उन्होंने ‘Bengal Volunteers’ नामक एक दल तैयार किया। इस दल ने न केवल विभिन्न क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लिया, अपितु इसी दल ने आगे चलकर सुभाष चंद्र बोस के बहुप्रतिष्ठित आज़ाद हिन्द फ़ौज की नींव भी रखी। इसी में एक स्वयंसेवक थे यतीन्द्रनाथ दास, जो बाद में जाकर भगत सिंह के हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का अभिन्न अंग बने और 63 दिन तक आमरण अनशन कर, उन्होंने गांधी को उन्हीं के अस्त्र से चारों खाने चित्त भी किया।

परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं रही। इसी ‘Bengal Volunteers’ ने 1930 के चटगांव क्रांति को भी बढ़ावा दिया। क्या आप सोच सकते हैं कि एक स्कूल मास्टर और कुछ बच्चे एक पूरे शहर को अंग्रेज़ों के शासन से लगभग एक हफ्ते तक मुक्त रख सकते हैं? परंतु ऐसा हुआ था, जिसके बारे में काफी कम लोग जानते हैं और वामपंथी इतिहासकारों ने भी दांडी यात्रा के आगे इसे दफन कर दिया। ऐसे में यह सिद्ध होता है कि दांडी यात्रा तो केवल बहाना था, असल में गांधी को सुर्खियों में वापस लाना था!

दांडी यात्रा ने हर तरह से देश को नुकसान पहुंचाया

दरअसल, 1929 के अंत तक भगत सिंह के क्रांतिकारी दल और गांधी के अनुयायियों में मानो एक प्रतियोगिता हो रही थी। कहीं न कहीं अंग्रेज़ों को भी आभास हो रहा था कि भगत सिंह के विचार गांधी से अधिक लोकप्रिय बन चुके हैं और लोकप्रियता में तो वो गांधी को भी पीछे छोड़ चुके थे। ऐसे में अंग्रेज अपने ‘प्रिय सेवक’ को लाइमलाइट से पीछे कैसे हटने देते?

यदि हम आपसे कहें कि फाइजर की भांति अंग्रेज़ों और उनके चाटुकारों ने एक कुत्सित रीति को बढ़ावा दिया, जिसका दुष्परिणाम हम आज तक भुगत रहे हैं, तो आप भी कहोगे – पागल हो क्या? परंतु दांडी यात्रा का एक कड़वा सत्य यह भी है – भारत को आयोडीन युक्त नमक पर अतिनिर्भर बना देना, जिसमें कहीं न कहीं महात्मा गांधी का भी महत्वपूर्ण योगदान था। आज भारत को समय-समय पर नीचा दिखाने वाले न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक समय स्वयं इस बात को स्वीकारा था कि गांधीवादी इस बात को लेकर बहस करते थे कि क्या उनके कारण भारत में आयोडीन युक्त नमक को बढ़ावा दिया गया।

परंतु आयोडीन युक्त नमक से समस्या क्या है? हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती, वैसे ही हर ‘औषधि’ गुणकारी नहीं होती। प्रत्यक्ष रूप से न सही पर अप्रत्यक्ष रूप से गांधी ने वही किया, जिसका अन्य स्वदेशी आंदोलनकारी विरोध करते आए थे, वो था विदेशी वस्तुओं को शालीनता से सजाकर प्रस्तुत करना। स्वदेशी तो मात्र छलावा था, अंग्रेज़ों के हितों को पूरा जो करना था। आज आयोडीन पर अत्यधिक निर्भरता के कारण हम कई ऐसे बीमारियों से ग्रसित हैं, जिनसे हमारा दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। दांडी यात्रा ने राजनीतिक रूप से देश को भ्रमित तो किया ही, संस्कृति और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी देश को काफी नुकसान पहुंचाया।

और पढ़ें: भारत की स्वतंत्रता की असल गाथा- अध्याय 3: क्यों और कब कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज को अपने मूल सिद्धांत के रूप में अपनाया?

Tags: कांग्रेसदांडी मार्चभगत सिंहमहात्मा गाँधीसुभाष चंद्र बोस
शेयर173ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

भारत की स्वतंत्रता की वास्तविक कहानी- अध्याय 3: क्यों और कब कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज को अपने मूल सिद्धांत के रूप में अपनाया?

अगली पोस्ट

DD बना ताइवान समर्थक देशों की सबसे बड़ी आवाज, तो चीन तिलमिलाया

संबंधित पोस्ट

हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया
अर्थव्यवस्था

हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

12 September 2025

नक्शे पर देखिए—दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया। समंदरों और पहाड़ों से घिरा यह इलाका इस समय दुनिया की राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा है। यहां केवल...

बैटल ऑफ सारागढ़ी
इतिहास

बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 21 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 20 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

12 September 2025

सैन्य शब्दकोश का एक शब्द है- ‘लास्ट स्टैंड’, यानी वो लड़ाई जहां एक पक्ष भले ही हार गया हो, लेकिन उसकी शूरवीरता, उसकी जांबाज़ी हार...

‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता
इतिहास

‘इतिहास’ का अनुवाद ‘हिस्ट्री’ नहीं होता

12 September 2025

अपनी पुस्तक आर्य (श्रेष्ठ) भारत का प्राक्कथन लिखते समय जो जो विचार मन में आये उन्हें यहाँ प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूँ। किसी...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Epic Battle of Saragarhi : A Tale of Unmatched Bravery That Every Indian Should Know

Epic Battle of Saragarhi : A Tale of Unmatched Bravery That Every Indian Should Know

00:07:14

Why PM Modi Is Compared to The Indus Valley Priest King! Amid uncertainty in India’s Neighbourhood!

00:06:42

‘The Bengal Files’ Exposing Bengal’s Darkest Chapter – What Mamata Won’t Show!

00:05:37

Why Periyar Is No Hero: The Anti-Hindu Legacy That Stalin & DMK Ecosystem Want You To Forget

00:06:26

Why Hindus Should Reclaim The Forgotten Truth of Onam | Sanatan Roots vs Secular Lies

00:07:03
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited