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यूपी चुनाव में आजम खान और उनके बेटे की जमानत जब्त होने वाली है!

इनके कर्म ही ऐसे हैं!

Aniket Raj द्वारा Aniket Raj
15 February 2022
in राजनीति
आजम खान जमानत

Source- Google

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रामपुर से लोकसभा सांसद आजम खान को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। रामपुर के सांसद ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के प्रचार के लिए जमानत मांगी थी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और बीआर गोवई की अगुवाई वाली पीठ ने याचिकाकर्ता, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा, क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत रिट याचिका दायर की गई थी। रिट याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए, पीठ ने कहा, “आप जमानत के लिए 32 के तहत रिट कैसे दायर कर सकते हैं? आप उच्च न्यायालय जाओ।” आजम 27 फरवरी, 2020 से सीतापुर जेल में बंद हैं। 

आजम खान ने अपनी याचिका में कहा था है कि राज्य की भाजपा सरकार जानबूझकर मामले की कार्यवाही को रोकने की कोशिश कर रही है, ताकि उन्हें जमानत न मिले। जिसपर पीठ ने कहा कि, “राजनीति को अदालत में मत लाओ।” SC ने इलाहाबाद HC से मामले को जल्द से जल्द निपटाने के लिए कहा है। इससे पहले, आजम की जमानत को विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने 27 जनवरी, 2022 को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उनकी रिहाई में जनता या समुदाय के सदस्यों को शांति और सद्भाव बिगाड़ने के लिए उकसाने की क्षमता है।

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और पढ़ें: आजम खान चुनावी रैलियों में शामिल नहीं होंगे, वो जेल में बैठे-बैठे चुनाव हारेंगे!

ध्यान देने वाली बात है कि आजम खान के खिलाफ दर्ज 88 मामलों में से 84 मामलों में उन्हें जमानत मिल गई है। चार मामले ऐसे हैं, जिनमें आपराधिक साजिश, आपराधिक मानहानि, सबूतों से छेड़छाड़, भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, जालसाजी के आरोप शामिल हैं और ये मामले अदालत में लंबित हैं। यूपी चुनाव 2022 के लिए समाजवादी पार्टी की ओर से आजम खान को रामपुर से मैदान में उतारा गया है। आजम के कट्टर प्रतिद्वंद्वी और रामपुर शाही परिवार के नवाब काज़िम अली खान आजम के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। काजिम इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लड़ाई को और भी तेज करने के लिए भाजपा ने आजम के एक और कट्टर प्रतिद्वंद्वी- भाजपा के पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे आकाश सक्सेना को रामपुर से मैदान में उतारा है।

रामपुर की लड़ाई

आजम खान का मुकाबला उनके चीर प्रतिद्वंद्वी नवाब काजिम अली खान उर्फ ​​नावेद मियां से है। आजम और रामपुर के नवाबों के बीच प्रतिद्वंद्विता चार दशक पुरानी है। खान और रामपुर नवाब परिवार एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। रामपुर से चार बार के विधायक रहे काजिम अली खान को कांग्रेस ने टिकट दिया है, ताकि वह आजम के वर्चस्व को तोड़ सके। आजम 1980 से इस सीट से जीत रहे हैं और रामपुर से नौ बार विधायक रह चुके हैं।

काजिम अली खान पहली बार रामपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। वर्ष 2002, 2007, 2012, 2017 में उन्होंने स्वार टांडा से चुनाव लड़ा और लगातार तीन बार जीत हासिल की। लेकिन वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में काज़िम अली खान, आजम के बेटे अब्दुल्ला खान से हार गए।इसके बाद काज़िम ने आजम के बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ स्वार टांडा से नामांकन के संबंध में मामले दर्ज किए। अब्दुल्ला को वर्ष 2019 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस आधार पर विधायक पद से हटा दिया था कि चुनाव लड़ने के समय उन्होंने अपनी उम्र छिपाई थी। अब्दुल्ला भी अपने पिता और मां के साथ दो साल सीतापुर जेल में रहे।

और पढ़ें: जिस IPS ऑफिसर से कही थी ‘जूते साफ कराने की बात’, उसी ने आजम खान के साम्राज्य की लंका लगा दी

रैलियों में नवाब ने आजम को बनाया निशाना

नवाब काजिम अली खान और उनके बेटे हैदर अली खान उर्फ ​​हमजा मियां ने हाल के अपनी रैलियों में लोगों को वर्ष 2012-2017 के आजम खान के अत्याचारों की याद दिलाई है, जब वह अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार में वो एक शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री थे। काजिम का कहना है कि लड़ाई उन लोगों के खिलाफ है, जिन्होंने गरीबों की जमीन हड़प ली और उस पर विश्वविद्यालय और स्कूल बनवाए। वह एक शासक के रूप में आजम के अत्याचार की भी लोगों को याद दिलाते रहे हैं। वहीं, हैदर अली खान का कहना है कि आजम खान ने केवल मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय का निर्माण आरंभ किया, जबकि नवाबों ने 35 विश्वविद्यालय, स्कूल, कॉलेज बनाए जो अभी भी सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं। ध्यान देने वाली बात है कि हैदर अली खान अपना दल के टिकट पर आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ स्वार टांडा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

अब्दुल्ला ने लिया प्रभार

दूसरी ओर जमानत पर छूटे आजम खान के बेटे अब्दुल्ला ने अपने पिता की अनुपस्थिति में रामपुर में नेतृत्व संभाला है। अब्दुल्ला को सपा ने स्वार टांडा से टिकट दिया है, जहां से उन्होंने 2017 में काजिम अली खान को हराकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। अब्दुल्ला चुनाव से पहले घर-घर जाकर बैठक कर रहे हैं। उन्होंने पार्टी कार्यालय में 200-300 सपा कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया। वो जानते हैं कि इस बार मामला आसान नहीं है। इस चुनाव में त्रिस्तरीय मुकाबले का असर वोटों पर पड़ना तय है। अतः उन्होंने इसे आवाम बनाम नवाब चुनाव प्रचार बना दिया है।

और पढ़ें: ‘कभी झूठे आरोप में गिरफ्तारी से सबसे बड़े राज्य का नेतृत्व करने तक’, CM योगी की यात्रा अद्वितीय है

तीन स्तरीय प्रतियोगिता

बताते चलें कि वर्ष 2017 के चुनाव में आजम खान ने रामपुर विधानसभा सीट 1,02,000 वोटों से जीती थी। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के शिव बहादुर सक्सेना को 55,258, जबकि बसपा के तनवेर अहमद खान को 54,248 मत मिले। जिले में आजम के प्रभाव ने उन्हें चुनाव जिताया था, लेकिन वर्ष 2019 में जब उनकी पत्नी तंज़ीम फातिमा ने उसी सीट से उपचुनाव लड़ा, तो उन्होंने बीजेपी के भारत भूषण पर 7,716 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की। इस बार ट्रिपल लड़ाई में आजम खान और काजिम अली खान के बीच अल्पसंख्यक वोटों का बंटवारा तय है। बीजेपी के आकाश सक्सेना, आजम के कट्टर आलोचक नवाब और वर्ष 2017 के बाद आजम खान के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज करने वाले बसपा उम्मीदवार को इस सीट से लाभ होने की संभावना है, क्योंकि इस चुनाव में मुस्लिम वोटों के बिखराव और गैर-मुस्लिम वोटों की एकजुटता होने की संभावना है।

Tags: आजम खानभाजपायूपी चुनाव 2022रामपुर
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सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के भीतर बिलों पर मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
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विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा से बाध्य नहीं हैं राष्ट्रपति और राज्यपाल , प्रेसिडेंट मुर्मू के सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या जवाब दिया, और ये क्यों महत्वपूर्ण हैं?

20 November 2025

20 नवंबर को एक ऐतिहासिक जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रपति या गवर्नर को किसी भी तय न्यायिक समयसीमा के...

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